अब प्रदेश की सरकारी स्कूलों को भी पैन कार्ड बनवाकर 80जी के तहत पंजीयन कराना होगा,ताकि भामाशाह स्कूलों को दिए गए दान और आर्थिक मदद पर आयकर में छूट ले सकें। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने राज्य के सभी उप निदेशकों,जिला शिक्षा अधिकारियों को क्षेत्र के सभी संस्था प्रधानों को आयकर विभाग में पंजीयन कराने के निर्देश दिए हैं।
जोधपुर जिले की कई स्कूलों के संस्था प्रधानों ने तो इस प्रक्रिया के तहत संबंधित विद्यालय प्रबंधन विकास समिति के नाम पर परमानेंट अकाउंट नंबर(पैन)भी लिए हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक जस्साराम चौधरी ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया था।
इसके लिए एसडीएमसी,डीडीएमसी या एसएमसी की बैठक आयोजित कर प्रस्ताव लेकर किसी पदाधिकारी को पूरी कार्रवाई संपादित करने के लिए अधिकृत करने को कहा गया है। उप निदेशक(मा.शि.)नूतनबाला कपिला ने बताया कि स्कूलों की एसडीएमसी,डीडीएमसी या एसएमसी के नाम पर 80जी में पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इनमें से कई समितियों के पैन भी मिल चुके हैं। सभी को औपचारिकताएं जल्दी पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे दानदाताओं को भी टैक्स में बचत होगी और स्कूलों के डवलपमेंट में भी तेजी आएगी।
संस्था प्रधानों को करनी होगी यह कार्रवाई
-एसडीएमसी,डीडीएमसी या एसएमसी का पैन(परमानेंट एकाउंट नंबर)लेना
-पंजीयन के लिए जरूरी फार्म 10ए,10जी भरना
-एसडीएमसी,डीडीएमसी या एसएमसी का विधान,रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र(सहकारिता विभाग से),पैन कार्ड की प्रतिलिपि,विद्यालय स्तर पर समिति गठन की प्रतिलिपि,सदस्यों के परिचय पत्र और तीन साल के बैंक खाते की जानकारी संलग्न करनी होगी।
-इन सभी दस्तावेजों का सेट तैयार करके आयकर आयुक्त(छूट)जयपुर को भेजना होगा।
धर्मार्थ शिक्षण संस्थानों को दान पर मिलती है छूट
आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत धर्मार्थ शिक्षण संस्थानों को दान दी गई राशि पर आयकर में छूट मिलती है। जानकारों के अनुसार ऐसे संस्थानों को दान की गई राशि के 50 प्रतिशत हिस्से पर आयकर से छूट दी जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी भामाशाह ने शिक्षण संस्था को 50 हजार रुपए दान में दिए हैं,तो उसकी सकल आय में से 25000 रुपए पर आयकर नहीं देना होगा।
जोधपुर जिले की कई स्कूलों के संस्था प्रधानों ने तो इस प्रक्रिया के तहत संबंधित विद्यालय प्रबंधन विकास समिति के नाम पर परमानेंट अकाउंट नंबर(पैन)भी लिए हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक जस्साराम चौधरी ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया था।
इसके लिए एसडीएमसी,डीडीएमसी या एसएमसी की बैठक आयोजित कर प्रस्ताव लेकर किसी पदाधिकारी को पूरी कार्रवाई संपादित करने के लिए अधिकृत करने को कहा गया है। उप निदेशक(मा.शि.)नूतनबाला कपिला ने बताया कि स्कूलों की एसडीएमसी,डीडीएमसी या एसएमसी के नाम पर 80जी में पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इनमें से कई समितियों के पैन भी मिल चुके हैं। सभी को औपचारिकताएं जल्दी पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे दानदाताओं को भी टैक्स में बचत होगी और स्कूलों के डवलपमेंट में भी तेजी आएगी।
संस्था प्रधानों को करनी होगी यह कार्रवाई
-एसडीएमसी,डीडीएमसी या एसएमसी का पैन(परमानेंट एकाउंट नंबर)लेना
-पंजीयन के लिए जरूरी फार्म 10ए,10जी भरना
-एसडीएमसी,डीडीएमसी या एसएमसी का विधान,रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र(सहकारिता विभाग से),पैन कार्ड की प्रतिलिपि,विद्यालय स्तर पर समिति गठन की प्रतिलिपि,सदस्यों के परिचय पत्र और तीन साल के बैंक खाते की जानकारी संलग्न करनी होगी।
-इन सभी दस्तावेजों का सेट तैयार करके आयकर आयुक्त(छूट)जयपुर को भेजना होगा।
धर्मार्थ शिक्षण संस्थानों को दान पर मिलती है छूट
आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत धर्मार्थ शिक्षण संस्थानों को दान दी गई राशि पर आयकर में छूट मिलती है। जानकारों के अनुसार ऐसे संस्थानों को दान की गई राशि के 50 प्रतिशत हिस्से पर आयकर से छूट दी जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी भामाशाह ने शिक्षण संस्था को 50 हजार रुपए दान में दिए हैं,तो उसकी सकल आय में से 25000 रुपए पर आयकर नहीं देना होगा।
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