भास्कर ब्रेकिंग
आरपीएससी ने आरएएस 2013 के इंटरव्यू से 5 दिन पहले बदल दिया था नियम
इस निर्णय का क्या औचित्य है?
इसतरह की व्यवस्था संघ लोकसेवा आयोग में है। इसी के आधार पर यह व्यवस्था लागू की गई है।
साक्षात्कारमें अंक विशेषज्ञों के समक्ष दिए जाते हैं अथवा बाद में?
सभी अंक विशेषज्ञों के समक्ष दिए जाते हैं तथा उनके समक्ष ही लिफाफा सील कर दिया जाता है।
कुछ विशेषज्ञों का आरोप है कि नंबर उनके समक्ष नहीं दिए गए और लिफाफे भी सामने सील नहीं हुए?
कुछ विशेषज्ञों ने विरोध किया था और विवाद भी हुआ था, लेकिन मेरे समक्ष मामला अाया तो मैंने उन्हें संतुष्ट कर दिया था।
आरपीएससी के साक्षात्कार 10 अगस्त, 2016 को शुरू हुए और यह निर्णय इसके ठीक 5 दिन पूर्व लिया गया। इसका क्या कारण है?
साक्षात्कार शुरू होने से पूर्व साक्षात्कार प्रक्रिया की समीक्षा की जाती है। उक्त समीक्षा को साक्षात्कार प्रक्रिया से कुछ दिन पूर्व ही किया जाता है, जिसमें यह निर्णय लिया गया।
क्याइसमें किसी अनियमितता की संभावनाएं नहीं है?
आयोगहमेशा वरिष्ठ अनुभवी विशेषज्ञों को ही साक्षात्कार बोर्ड का सदस्य बनाता है। इसमें अनियमितता की संभावनाएं निराधार है।
भास्कर को इंटरव्यू में शामिल हुए दो विषय विशेषज्ञों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताए ये तथ्य
एक्सपर्ट के रूप में हमने साइन कराने के बारे में पूछा तो बताया गया कि अब नियम बदल दिया है और इसके तहत आपके साइन की जरूरत ही नहीं है। एक अन्य एक्सपर्ट ने बताया कि साक्षात्कार के बाद नंबर देने के लिए पूछा तो आरपीएससी के सदस्य ने कहा कि यह उनका अधिकार है और वह विशेषज्ञों के सामने अभ्यर्थी को नंबर नहीं देगा। इंटरव्यू पूरा होने के बाद आरपीएससी सदस्य ने एक्सपर्ट से कहा कि वे जा सकते हैं। अभ्यर्थियों को अंक बाद में भर दूंगा। आरपीएससी सदस्य से एक एक्सपर्ट की बहस हुई तो एक्सपर्ट ने सवाल पूछने बंद कर दिए। उन्होंने कहा जब हमारे साइन नहीं होंगे तो सवालों का क्या औचित्य
तो क्या एक्सपर्ट के सवाल का जवाब सही है या गलत, इसका आकलन कैसे होगा?
जानकारोंने बताया कि आरपीएससी की नई व्यवस्था के बाद डॉक्टरों के भी इंटरव्यू हुए। इनमें स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी शामिल हुए। ऐसी स्थिति में एक डाक्टर ने दूसरे डॉक्टर से सवाल पूछा और अभ्यर्थी का जवाब सही है या गलत, इसका आकलन आरपीएससी का मैंबर ही करेगा क्योंकि नई व्यवस्था में बतौर एक्सपर्ट शामिल डॉक्टर अपने द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब पर नंबर नहीं दे सकेगा। ऐसी स्थिति में चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में होगी।
आरपीएससी ने आरएएस 2013 के इंटरव्यू से 5 दिन पहले बदल दिया था नियम
इस निर्णय का क्या औचित्य है?
इसतरह की व्यवस्था संघ लोकसेवा आयोग में है। इसी के आधार पर यह व्यवस्था लागू की गई है।
साक्षात्कारमें अंक विशेषज्ञों के समक्ष दिए जाते हैं अथवा बाद में?
सभी अंक विशेषज्ञों के समक्ष दिए जाते हैं तथा उनके समक्ष ही लिफाफा सील कर दिया जाता है।
कुछ विशेषज्ञों का आरोप है कि नंबर उनके समक्ष नहीं दिए गए और लिफाफे भी सामने सील नहीं हुए?
कुछ विशेषज्ञों ने विरोध किया था और विवाद भी हुआ था, लेकिन मेरे समक्ष मामला अाया तो मैंने उन्हें संतुष्ट कर दिया था।
आरपीएससी के साक्षात्कार 10 अगस्त, 2016 को शुरू हुए और यह निर्णय इसके ठीक 5 दिन पूर्व लिया गया। इसका क्या कारण है?
साक्षात्कार शुरू होने से पूर्व साक्षात्कार प्रक्रिया की समीक्षा की जाती है। उक्त समीक्षा को साक्षात्कार प्रक्रिया से कुछ दिन पूर्व ही किया जाता है, जिसमें यह निर्णय लिया गया।
क्याइसमें किसी अनियमितता की संभावनाएं नहीं है?
आयोगहमेशा वरिष्ठ अनुभवी विशेषज्ञों को ही साक्षात्कार बोर्ड का सदस्य बनाता है। इसमें अनियमितता की संभावनाएं निराधार है।
भास्कर को इंटरव्यू में शामिल हुए दो विषय विशेषज्ञों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताए ये तथ्य
एक्सपर्ट के रूप में हमने साइन कराने के बारे में पूछा तो बताया गया कि अब नियम बदल दिया है और इसके तहत आपके साइन की जरूरत ही नहीं है। एक अन्य एक्सपर्ट ने बताया कि साक्षात्कार के बाद नंबर देने के लिए पूछा तो आरपीएससी के सदस्य ने कहा कि यह उनका अधिकार है और वह विशेषज्ञों के सामने अभ्यर्थी को नंबर नहीं देगा। इंटरव्यू पूरा होने के बाद आरपीएससी सदस्य ने एक्सपर्ट से कहा कि वे जा सकते हैं। अभ्यर्थियों को अंक बाद में भर दूंगा। आरपीएससी सदस्य से एक एक्सपर्ट की बहस हुई तो एक्सपर्ट ने सवाल पूछने बंद कर दिए। उन्होंने कहा जब हमारे साइन नहीं होंगे तो सवालों का क्या औचित्य
तो क्या एक्सपर्ट के सवाल का जवाब सही है या गलत, इसका आकलन कैसे होगा?
जानकारोंने बताया कि आरपीएससी की नई व्यवस्था के बाद डॉक्टरों के भी इंटरव्यू हुए। इनमें स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी शामिल हुए। ऐसी स्थिति में एक डाक्टर ने दूसरे डॉक्टर से सवाल पूछा और अभ्यर्थी का जवाब सही है या गलत, इसका आकलन आरपीएससी का मैंबर ही करेगा क्योंकि नई व्यवस्था में बतौर एक्सपर्ट शामिल डॉक्टर अपने द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब पर नंबर नहीं दे सकेगा। ऐसी स्थिति में चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में होगी।
No comments:
Post a Comment