चयन समिति ने ही सृजित कर दिए थे नए पद
कोटा विश्वविद्यालय में 'बहु-बेटे' को नौकरी देने के लिए अफसरों ने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया था। नियुक्तियों के बाबत पिछले सप्ताह विधान सभा को भेजे गए जवाब में खुलासा हुआ है कि विज्ञापित पदों पर पर अभ्यार्थियों का चयन करने के लिए गठित की गई समिति ने नए पद सृजित कर दिए।
इतना ही नहीं प्रबंध मंडल की बैठक से पहले ही कार्रवाई की रिपोर्ट (मिनिट्स) भी तैयार कर ली गईं थी। जिसमें चयनित अभ्यार्थियों के नाम बाद में लिखे गए।
*सांगोद विधायक हीरालाल नागर ने विधान सभा में तारांकित प्रश्र के जरिए उच्च शिक्षामंत्री से कोटा विश्वविद्यालय में वर्ष 2012 से लेकर 2014 तक हुई नियुक्तिों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी। इस बाबत कोटा विश्वविद्यालय की ओर से दाखिल किए गए जवाब से बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जिसके मुताबिक विवि ने सितंबर 2012 को विज्ञापन संख्या 1/2012 के जरिए नौ पदों पर 14 रिक्तियां निकाली थीं। उपकुलसचिव के दो पदों पर अभ्यार्थियों का चयन करने के लिए 17 जनवरी 2013 को राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी यादव की अध्यक्षता में चयन समिति गठित की गई।*
*जिसकी अनुशंसा पर 13 फरवरी 2013 को प्रबंध समिति की बैठक में चयनित अभ्यार्थियों के लिफाफे खुले तो प्रो. मधुसूदन शर्मा के बेटे विपुल शर्मा को उपकुलसचिव (शोध) और जौली भंडारी को उपकुलसचिव (प्रशासन) के पद पर नियुक्ति दी गई। जबकि इन पदों के लिए विवि ने कोई विज्ञापन ही नहीं निकाला था।नियुक्ति पत्र में फिर हुआ खेलबोम की बैठक के बाद विवि प्रशासन ने विपुल शर्मा को उपकुलसचिव (शोध) का नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। जबकि जौली भंडारी को उपकुलसचिव के पद पर चयनित किए जाने का पत्र सौंपा। जबकि चयन समिति ने इस पद पर उनका चयन ही नहीं किया था।*
*हालांकि विवि प्रशासन ने विधानसभा में सफाई दी कि इन पदों का नाम कार्य आवंटन के आधार पर तय किया गया था। जबकि विवि में कार्य आवंटन का अधिकार सिर्फ कुलपति को होता है ना कि किसी चयन समिति को। बोम सदस्य डॉ. एलके दाधीच की मौजूदगी में हुई इस बैठक में उनकी बहू शिखा दीक्षित का भी चयन सहायक कुलसचिव के पद पर किया गया था।*
*एक बैठक के दो मिनिट्स*
*नियुक्ति के लिए बुलाई गई प्रबंध मंडल की इस बैठक के मिनिट्स कार्रवाई शुरू होने से पहले ही तैयार कर लिए गए थे। कंप्यूटर टाइपिंग के जरिए तैयार किए गए मिनिट्स में सिर्फ अभ्यार्थियों के नाम खाली छोड़े गए थे, जिन्हें बाद में पेन से लिखा गया। साथ ही प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस के नॉमिनी को इन मिनिट्स में उपस्थित दिखाया गया, लेकिन बाद में पेन से अनुपस्थित लिख दिया गया। इस मिनिट्स के मुताबिक वरिष्ठ तकनीकी सहायक के पद पर किसी पायल जोशी को नियुक्ति दी गई थी। जब विवि प्रशासन को फर्जीवाड़े के खुलासे का अंदेशा हुआ तो दोबारा मिनिट्स तैयार करवाए गए, लेकिन इस बैठक में मौजूद सदस्यों ने उन पर दस्तखत करने से मना कर दिया।*
*ऐसी स्थिति में दूसरी बार तैयार हुए मिनिट्स पर सिर्फ तत्कालीन कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा और कुलसचिव रामनिवास के ही साइन हो सके।नए मिनिट्स में पायल जोशी का नाम बदलकर पायल दीक्षित हो गया और जौली भंडारी का पदनाम बदलकर उपकुलसचिव कर दिया गया।*
*जोधपुर में गिरफ्तारी, कोटा में सन्नाटा*
*वर्ष 2013 में छात्र नेता जितेंद्र चौधरी ने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ एसीबी कोर्ट में इस्तगाशा दायर किया था। जिस पर तत्कालीन कुलपति, डीन और बोम सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन इसके बाद एसीबी ने कोई कार्रवाई करना तो दूर जांच तक शुरू नहीं की है। वहीं जोधपुर के जयनारायण व्यास विवि में नियुक्तियों में फर्जीवाड़े के मिलते जुलते मामले में एसीबी ने 2013 में परिवाद दर्ज किया था और पिछले दिनों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। जहां से उन्हें जमानत पर छोड़ा गया है।*
*सांगोद विधायक हीरालाल नागर मार्च 2015 में इस मामले को लेकर विधान सभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए तो मार्च 2015 में फर्जीवाड़े की जांच के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। जिसे एक महीने में अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन दो साल बाद भी इस कमेटी की कार्रवाई कहां तक पहुंची किसी को कोई पता नहीं ।*
कोटा विश्वविद्यालय में 'बहु-बेटे' को नौकरी देने के लिए अफसरों ने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया था। नियुक्तियों के बाबत पिछले सप्ताह विधान सभा को भेजे गए जवाब में खुलासा हुआ है कि विज्ञापित पदों पर पर अभ्यार्थियों का चयन करने के लिए गठित की गई समिति ने नए पद सृजित कर दिए।
इतना ही नहीं प्रबंध मंडल की बैठक से पहले ही कार्रवाई की रिपोर्ट (मिनिट्स) भी तैयार कर ली गईं थी। जिसमें चयनित अभ्यार्थियों के नाम बाद में लिखे गए।
*सांगोद विधायक हीरालाल नागर ने विधान सभा में तारांकित प्रश्र के जरिए उच्च शिक्षामंत्री से कोटा विश्वविद्यालय में वर्ष 2012 से लेकर 2014 तक हुई नियुक्तिों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी। इस बाबत कोटा विश्वविद्यालय की ओर से दाखिल किए गए जवाब से बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जिसके मुताबिक विवि ने सितंबर 2012 को विज्ञापन संख्या 1/2012 के जरिए नौ पदों पर 14 रिक्तियां निकाली थीं। उपकुलसचिव के दो पदों पर अभ्यार्थियों का चयन करने के लिए 17 जनवरी 2013 को राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी यादव की अध्यक्षता में चयन समिति गठित की गई।*
*जिसकी अनुशंसा पर 13 फरवरी 2013 को प्रबंध समिति की बैठक में चयनित अभ्यार्थियों के लिफाफे खुले तो प्रो. मधुसूदन शर्मा के बेटे विपुल शर्मा को उपकुलसचिव (शोध) और जौली भंडारी को उपकुलसचिव (प्रशासन) के पद पर नियुक्ति दी गई। जबकि इन पदों के लिए विवि ने कोई विज्ञापन ही नहीं निकाला था।नियुक्ति पत्र में फिर हुआ खेलबोम की बैठक के बाद विवि प्रशासन ने विपुल शर्मा को उपकुलसचिव (शोध) का नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। जबकि जौली भंडारी को उपकुलसचिव के पद पर चयनित किए जाने का पत्र सौंपा। जबकि चयन समिति ने इस पद पर उनका चयन ही नहीं किया था।*
*हालांकि विवि प्रशासन ने विधानसभा में सफाई दी कि इन पदों का नाम कार्य आवंटन के आधार पर तय किया गया था। जबकि विवि में कार्य आवंटन का अधिकार सिर्फ कुलपति को होता है ना कि किसी चयन समिति को। बोम सदस्य डॉ. एलके दाधीच की मौजूदगी में हुई इस बैठक में उनकी बहू शिखा दीक्षित का भी चयन सहायक कुलसचिव के पद पर किया गया था।*
*एक बैठक के दो मिनिट्स*
*नियुक्ति के लिए बुलाई गई प्रबंध मंडल की इस बैठक के मिनिट्स कार्रवाई शुरू होने से पहले ही तैयार कर लिए गए थे। कंप्यूटर टाइपिंग के जरिए तैयार किए गए मिनिट्स में सिर्फ अभ्यार्थियों के नाम खाली छोड़े गए थे, जिन्हें बाद में पेन से लिखा गया। साथ ही प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस के नॉमिनी को इन मिनिट्स में उपस्थित दिखाया गया, लेकिन बाद में पेन से अनुपस्थित लिख दिया गया। इस मिनिट्स के मुताबिक वरिष्ठ तकनीकी सहायक के पद पर किसी पायल जोशी को नियुक्ति दी गई थी। जब विवि प्रशासन को फर्जीवाड़े के खुलासे का अंदेशा हुआ तो दोबारा मिनिट्स तैयार करवाए गए, लेकिन इस बैठक में मौजूद सदस्यों ने उन पर दस्तखत करने से मना कर दिया।*
*ऐसी स्थिति में दूसरी बार तैयार हुए मिनिट्स पर सिर्फ तत्कालीन कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा और कुलसचिव रामनिवास के ही साइन हो सके।नए मिनिट्स में पायल जोशी का नाम बदलकर पायल दीक्षित हो गया और जौली भंडारी का पदनाम बदलकर उपकुलसचिव कर दिया गया।*
*जोधपुर में गिरफ्तारी, कोटा में सन्नाटा*
*वर्ष 2013 में छात्र नेता जितेंद्र चौधरी ने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ एसीबी कोर्ट में इस्तगाशा दायर किया था। जिस पर तत्कालीन कुलपति, डीन और बोम सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन इसके बाद एसीबी ने कोई कार्रवाई करना तो दूर जांच तक शुरू नहीं की है। वहीं जोधपुर के जयनारायण व्यास विवि में नियुक्तियों में फर्जीवाड़े के मिलते जुलते मामले में एसीबी ने 2013 में परिवाद दर्ज किया था और पिछले दिनों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। जहां से उन्हें जमानत पर छोड़ा गया है।*
*सांगोद विधायक हीरालाल नागर मार्च 2015 में इस मामले को लेकर विधान सभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए तो मार्च 2015 में फर्जीवाड़े की जांच के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। जिसे एक महीने में अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन दो साल बाद भी इस कमेटी की कार्रवाई कहां तक पहुंची किसी को कोई पता नहीं ।*
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