झुंझुनूं. । झुंझुनूं. ये हैं झुंझुनूं के सुशील जांगिड़ बगडिय़ा...। हुनर के हीरो...। दसवीं तक की पढ़ाई की और कमाल इंजीनियरों जैसा कर दिखाया है। पशुओं से बिजली पैदा करने का यंत्र बना डाला है। अब यह यंत्र जिला प्रशासन की मदद से काम करने की योजना है ताकि जिलेभर के आवारा पशुओं से बिजली का उत्पादन किया जाए।
ऐसे तैयार किया यंत्र
सुशील पहले ऑटो मोबाइल्स का काम करते थे। वर्तमान में इनकी रीको में फर्नीचर की फैक्ट्री है। तकनीकी कामों में इनका दीमाग खूब चलता है। इसी बात का नतीजा है कि सुशील ने कबाड़ी से डम्पर, बस व ट्रक का गियर बॉक्स, एल्टरनेटर व डिफ्रेन्टर को जोड़कर एक ऐसा यंत्र तैयार किया है, जिसे पशु से घुमाया जा सकता है।
मिल रही तीन सौ वॉट बिजली
यंत्र के एक बड़ा पाइप लगाया गया है, जिससे के पशु को बांधा जाता है। पशु यंत्र के चारों ओर घूमेगा तो बिजली बनेगी। सुशील फिलहाल तीन सौ वॉट बिजली प्राप्त कर रहे हैं, जिससे एक बल्ब, पंखा और पानी की मोटर चलाई जा रही है। यंत्र को बनाने का खर्च करीब 50 हजार रुपए व एक सप्ताह की मेहनत लगी है। सुशील का ख्वाब है कि वह अपनी फैक्ट्री भी इसी यंत्र की मदद से चलाए।
स्टोरेज की करेंगे व्यवस्था
सुशील ने बताया कि फिलहाल यंत्र उनकी फैक्ट्री में अस्थायी रूप से लगाया गया है। आर्थिक मदद व जगह मिलने पर इसे मॉडीफाई करके किसी एक जगह स्थायी किया जा सकता है। इससे पैदा होने वाली बिजली की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ उसे स्टोर करने की भी व्यवस्था हो सकती है।
इनका कहना है...
सुशील जांगिड़ ने कमाल का यंत्र बनाया है। मैंने इसका निरीक्षण किया है। अब इसकी विशेषज्ञों से स्टडी करवा रहे हैं। इसके बाद न केवल प्रचार-प्रचार करवाएंगे बल्कि इसे बड़े पैमाने पर लागू भी करेंगे। इस मामले में झुंझुनूं पूरे प्रदेश में मॉडल साबित हो सकता है।
-प्रदीप कुमार बोरड़, जिला कलक्टर, झुंझुनूं
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ऐसे तैयार किया यंत्र
सुशील पहले ऑटो मोबाइल्स का काम करते थे। वर्तमान में इनकी रीको में फर्नीचर की फैक्ट्री है। तकनीकी कामों में इनका दीमाग खूब चलता है। इसी बात का नतीजा है कि सुशील ने कबाड़ी से डम्पर, बस व ट्रक का गियर बॉक्स, एल्टरनेटर व डिफ्रेन्टर को जोड़कर एक ऐसा यंत्र तैयार किया है, जिसे पशु से घुमाया जा सकता है।
मिल रही तीन सौ वॉट बिजली
यंत्र के एक बड़ा पाइप लगाया गया है, जिससे के पशु को बांधा जाता है। पशु यंत्र के चारों ओर घूमेगा तो बिजली बनेगी। सुशील फिलहाल तीन सौ वॉट बिजली प्राप्त कर रहे हैं, जिससे एक बल्ब, पंखा और पानी की मोटर चलाई जा रही है। यंत्र को बनाने का खर्च करीब 50 हजार रुपए व एक सप्ताह की मेहनत लगी है। सुशील का ख्वाब है कि वह अपनी फैक्ट्री भी इसी यंत्र की मदद से चलाए।
स्टोरेज की करेंगे व्यवस्था
सुशील ने बताया कि फिलहाल यंत्र उनकी फैक्ट्री में अस्थायी रूप से लगाया गया है। आर्थिक मदद व जगह मिलने पर इसे मॉडीफाई करके किसी एक जगह स्थायी किया जा सकता है। इससे पैदा होने वाली बिजली की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ उसे स्टोर करने की भी व्यवस्था हो सकती है।
इनका कहना है...
सुशील जांगिड़ ने कमाल का यंत्र बनाया है। मैंने इसका निरीक्षण किया है। अब इसकी विशेषज्ञों से स्टडी करवा रहे हैं। इसके बाद न केवल प्रचार-प्रचार करवाएंगे बल्कि इसे बड़े पैमाने पर लागू भी करेंगे। इस मामले में झुंझुनूं पूरे प्रदेश में मॉडल साबित हो सकता है।
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