उदयपुर. राजस्थान में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 15 खंडों की ग्रंथावली प्रदेश के 13 हजार सरकारी माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में रखने के आदेश जारी दिए हैं। इस ग्रंथावली को खरीदने में स्कूलों के विकास कोष से 6 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
15 खंडों की इस ग्रंथावली के संपादक भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सभा सदस्य महेश शर्मा हैं। साथ ही दिल्ली के प्रभात प्रकाशन ने इस ग्रंथावली को प्रकाशित किया है। इस ग्रंथावली में दीनदयाल की जीवनी, उनके संघर्ष, उनके किए कार्य और एकात्म मानववाद का उल्लेख है। साढ़े पांच हजार पृष्ठ की पुस्तक हैं।
विकास कोष की राशि से होगा भुगतान
इसमें खास बात यह है कि एक आदेश में आया कि जिन माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भाषा और पुस्तकालय विभाग के सहयोग सार्वजनिक पुस्तकालय संचालित हैं, उनमें इस ग्रंथावली के सेट का क्रय इसी विभाग से किया जाएगा। दूसरे आदेश में विद्यालय विकास कोष की राशि से सेट को खरीदने के लिए कहा गया है। जबकि यह कोष कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्र से हर साल 100 रुपए ली जाने वाली राशि से बनता है।
एक पुस्तक 400 रुपए की, 4500 का सेट :
आदेश में जिस ग्रंथावली को खरीदने के लिए कहा है उसमें एक खंड का मूल्य 400 रुपए हैं लेकिन दुकानदार छूट में 300 रुपए तक में दे रहे हैं। 15 ग्रंथावली का यह सेट 4500 रुपए में मिलेगा।
पहले मिलते थे 2500, उपाध्याय की पुस्तकों के लिए होंगे 4500 खर्च
वर्तमान में प्रत्येक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों को बीकानेर निदेशालय से हर वर्ष पत्र-पत्रिकाएं खरीदने के लिए 2500 रुपए का अनुदान दिया जाता है। लेकिन उपाध्याय की ग्रंथावली के लिए अलग से आदेश जारी कर विकास कोष से 4500 रुपए के सेट खरीदने को कहा है। हालांकि रमसा से हर विद्यालय को 50 हजार रुपए अनुदान दिया जाता है। इसमें 10 हजार रुपए तक का अनुदान पत्र -पत्रिकाओं को खरीदने के लिए दिया जाता है।
13659 स्कूलों में खर्च होंगे 6 करोड़ रुपए
प्रदेश में 13659 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय है जिसमें 43 लाख 51 हजार 895 छात्र है। सभी विद्यालयों में इस सैट को खरीदने पर विकास कोष से 6 करोड़ 14 लाख 65 हजार 500 रुपए खर्च होंगे।
इनका कहना
यह ग्रंथावली एक विचारधारा वाली है। पुस्तक लाने के लिए एक जांच कमेटी होनी चाहिए जो यह देखे की कौन-सी पुस्तक आनी चाहिए और कौन-सी नहीं। पुस्तकालय में विवेकशील और तार्किक सोच वाली पुस्तकें होनी चाहिए जो बच्चों में प्रजातांत्रिक मूल्यों की जानकारी लाए और वैज्ञानिक ढंग से सोचने का नजरिया हो।
-प्रो. सुधा चौधरी, दर्शनशास्त्री
शिक्षा मंत्री बोले- विभाग को अधिकार है
विभाग का अधिकार है पुस्तकें खरीदने का। पहले भी खरीदी गई हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय देश के चिंतक रहे हैं। लोकतंत्र में सभी बालक को विद्वानों की पुस्तकें पढ़ने का अधिकार है।
-वासुदेव देवनानी, शिक्षा राज्य मंत्री, राजस्थान
- SBC आरक्षण ने लगाए 2017 की भर्तियों पर Break, आरपीएससी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर
- राज्य की ग्राम पंचायतों में लगेंगे 20 हजार से अधिक ग्राम पंचायत सहायक
- II Grd. Teacher Exam 2016 ( SOCIAL SCIENCE ) में आवेदकों का Category wise विवरण
- सरकार नियुक्तियों में नहीं एसबीसी आरक्षण : सुप्रीमकोर्ट
- 3rd Grade : ऑफलाइन आवेदन वाले अभ्यर्थियों को मेरिट में शामिल करने के आदेश
- 3rd Grade teachers News updates
15 खंडों की इस ग्रंथावली के संपादक भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सभा सदस्य महेश शर्मा हैं। साथ ही दिल्ली के प्रभात प्रकाशन ने इस ग्रंथावली को प्रकाशित किया है। इस ग्रंथावली में दीनदयाल की जीवनी, उनके संघर्ष, उनके किए कार्य और एकात्म मानववाद का उल्लेख है। साढ़े पांच हजार पृष्ठ की पुस्तक हैं।
विकास कोष की राशि से होगा भुगतान
इसमें खास बात यह है कि एक आदेश में आया कि जिन माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भाषा और पुस्तकालय विभाग के सहयोग सार्वजनिक पुस्तकालय संचालित हैं, उनमें इस ग्रंथावली के सेट का क्रय इसी विभाग से किया जाएगा। दूसरे आदेश में विद्यालय विकास कोष की राशि से सेट को खरीदने के लिए कहा गया है। जबकि यह कोष कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्र से हर साल 100 रुपए ली जाने वाली राशि से बनता है।
एक पुस्तक 400 रुपए की, 4500 का सेट :
आदेश में जिस ग्रंथावली को खरीदने के लिए कहा है उसमें एक खंड का मूल्य 400 रुपए हैं लेकिन दुकानदार छूट में 300 रुपए तक में दे रहे हैं। 15 ग्रंथावली का यह सेट 4500 रुपए में मिलेगा।
पहले मिलते थे 2500, उपाध्याय की पुस्तकों के लिए होंगे 4500 खर्च
वर्तमान में प्रत्येक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों को बीकानेर निदेशालय से हर वर्ष पत्र-पत्रिकाएं खरीदने के लिए 2500 रुपए का अनुदान दिया जाता है। लेकिन उपाध्याय की ग्रंथावली के लिए अलग से आदेश जारी कर विकास कोष से 4500 रुपए के सेट खरीदने को कहा है। हालांकि रमसा से हर विद्यालय को 50 हजार रुपए अनुदान दिया जाता है। इसमें 10 हजार रुपए तक का अनुदान पत्र -पत्रिकाओं को खरीदने के लिए दिया जाता है।
13659 स्कूलों में खर्च होंगे 6 करोड़ रुपए
प्रदेश में 13659 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय है जिसमें 43 लाख 51 हजार 895 छात्र है। सभी विद्यालयों में इस सैट को खरीदने पर विकास कोष से 6 करोड़ 14 लाख 65 हजार 500 रुपए खर्च होंगे।
इनका कहना
यह ग्रंथावली एक विचारधारा वाली है। पुस्तक लाने के लिए एक जांच कमेटी होनी चाहिए जो यह देखे की कौन-सी पुस्तक आनी चाहिए और कौन-सी नहीं। पुस्तकालय में विवेकशील और तार्किक सोच वाली पुस्तकें होनी चाहिए जो बच्चों में प्रजातांत्रिक मूल्यों की जानकारी लाए और वैज्ञानिक ढंग से सोचने का नजरिया हो।
-प्रो. सुधा चौधरी, दर्शनशास्त्री
शिक्षा मंत्री बोले- विभाग को अधिकार है
विभाग का अधिकार है पुस्तकें खरीदने का। पहले भी खरीदी गई हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय देश के चिंतक रहे हैं। लोकतंत्र में सभी बालक को विद्वानों की पुस्तकें पढ़ने का अधिकार है।
-वासुदेव देवनानी, शिक्षा राज्य मंत्री, राजस्थान
- राजस्थान में गुर्जरों को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने एसबीसी आरक्षण पर लगाया स्टे !
- 3 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में एसबीसी मामले पर हुई सुनवाई के आदेश
- शिक्षक भर्ती मामले मे हुई सुनवाई मे 28 फ़रवरी 2017 से पहले जोइनिंग के आदेश
- स्थायीकरण और एरियर के आदेश सोमवार तक , समस्त शिक्षक 2012. के होंगे आदेश
- राजस्थान में SBC आरक्षण को लेकर फिर आई बड़ी खबर, इस बार सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये आदेश
- चार साल बेहाल 2012 शिक्षक को के स्थायीकरण और एरियर के बाबत पोस्ट
- पंचायतों में सहायकों की नियुक्त, भर्ती के लिए एक अभ्यर्थी एक ही करेगा आवेदन
No comments:
Post a Comment