सर्वशिक्षा अभियान शिक्षा अधिकार कानून सहित शिक्षा विकास के अनेक प्रयासों
के बावजूद आज भी ग्रामीण क्षैत्र के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों
की कमी के चलते आज भी शुरुआती शिक्षा प्रभावित है।
आलम यह है कि इलाके के कई स्कूल आज भी महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है जहां शिक्षा मात्र खानीपूर्ति साबित हो रही है। मालपुरा ब्लॉक क्षेत्र क्षैत्र की प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था पर नजर डाले तो यहां होने को तो 195 स्कूल संचालित हैं इनमें से 114 स्कूल उच्च प्राथमिक स्तर के है जबकि 81 स्कूल प्राथमिक शिक्षा के लिए सरकार के प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे है। लेकिन इन सरकारी स्कूलों की आंतरिक स्थिति सरकारी आंकड़ों के मुकाबले भिन्न है। ग्राम डोकरिया जैसे अनेक गांव है, जहां एक-एक शिक्षक नियुक्त है। जबकि द्वितीय श्रेणी के 50 तृतीय श्रेणी के लगभग 132 शिक्षकों का टोटा है।
यह स्थिति तब है जब सरकार की ओर से बीते दिनों शिक्षक भर्ती किए जा चुके हैं। मजे की बात तो यह है कि स्कूलों का परीक्षा परिणाम न्यूनतम रहने पर स्कूल के उन शिक्षकों को नोटिस थमाए गए है जो शिक्षकों के रिक्त पदों के बावजूद स्वयं भार वहन कर शैक्षिणक व्यवस्था संचालित कर रहे है।
शिक्षक नेता वरिष्ठ शिक्षक संयुक्त कर्मचारी महासंघ एकीकृत के ब्लॉक अध्यक्ष राजाराम गुर्जर का कहना है कि प्राथमिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में लंबे समय से शिक्षकों के पद खाली है सरकार ध्यान नहीं दे रही है। हालत यह है कि कमी के कारण स्कूल में कार्यरत अन्य शिक्षकों पर भार बढ़ रहा है, ऐसे में शिक्षकों की परेशानी बढ़ रही है।
हां, शिक्षकों की कमी है
ब्लॉक प्राथमिक शिक्षा अधिकारी राधेश्याम जाट ने बताया कि शिक्षकों की कमी है हालांकि बीते दिनों कुछ भर्तियां की गई है। इसके बावजूद उक्त शिक्षकों की आवश्यकता बनी हुई है। हालांकि जहां आवश्यकता है, वहां बीएड एसटीसी कर रहे प्रशिक्षु शिक्षकों को सरकारी आदेशानुसार लगा कर शैक्षणिक व्यवस्था की गई है। गत वर्ष न्यूनतम परिणाम वाले शिक्षकों को नोटिस देकर जवाब तलब किया गया है
सर्व शिक्षा अभियान
आलम यह है कि इलाके के कई स्कूल आज भी महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है जहां शिक्षा मात्र खानीपूर्ति साबित हो रही है। मालपुरा ब्लॉक क्षेत्र क्षैत्र की प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था पर नजर डाले तो यहां होने को तो 195 स्कूल संचालित हैं इनमें से 114 स्कूल उच्च प्राथमिक स्तर के है जबकि 81 स्कूल प्राथमिक शिक्षा के लिए सरकार के प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे है। लेकिन इन सरकारी स्कूलों की आंतरिक स्थिति सरकारी आंकड़ों के मुकाबले भिन्न है। ग्राम डोकरिया जैसे अनेक गांव है, जहां एक-एक शिक्षक नियुक्त है। जबकि द्वितीय श्रेणी के 50 तृतीय श्रेणी के लगभग 132 शिक्षकों का टोटा है।
यह स्थिति तब है जब सरकार की ओर से बीते दिनों शिक्षक भर्ती किए जा चुके हैं। मजे की बात तो यह है कि स्कूलों का परीक्षा परिणाम न्यूनतम रहने पर स्कूल के उन शिक्षकों को नोटिस थमाए गए है जो शिक्षकों के रिक्त पदों के बावजूद स्वयं भार वहन कर शैक्षिणक व्यवस्था संचालित कर रहे है।
शिक्षक नेता वरिष्ठ शिक्षक संयुक्त कर्मचारी महासंघ एकीकृत के ब्लॉक अध्यक्ष राजाराम गुर्जर का कहना है कि प्राथमिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में लंबे समय से शिक्षकों के पद खाली है सरकार ध्यान नहीं दे रही है। हालत यह है कि कमी के कारण स्कूल में कार्यरत अन्य शिक्षकों पर भार बढ़ रहा है, ऐसे में शिक्षकों की परेशानी बढ़ रही है।
हां, शिक्षकों की कमी है
ब्लॉक प्राथमिक शिक्षा अधिकारी राधेश्याम जाट ने बताया कि शिक्षकों की कमी है हालांकि बीते दिनों कुछ भर्तियां की गई है। इसके बावजूद उक्त शिक्षकों की आवश्यकता बनी हुई है। हालांकि जहां आवश्यकता है, वहां बीएड एसटीसी कर रहे प्रशिक्षु शिक्षकों को सरकारी आदेशानुसार लगा कर शैक्षणिक व्यवस्था की गई है। गत वर्ष न्यूनतम परिणाम वाले शिक्षकों को नोटिस देकर जवाब तलब किया गया है
सर्व शिक्षा अभियान
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