जिला स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ का अधिवेशन सेंट सोल्जर महाविद्यालय में संपन्न हुआ। इसमें संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सत्यव्रत सामवेदी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र, राज्य एवं समाज की पहली आवश्यकता गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है।
राजस्थान में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में निजी शिक्षण संस्थाओं का सर्वाधिक योगदान रहा है। निजी शिक्षण संस्थाएं सरकार से एक पैसे की सहायता लिए बिना उत्कृष्ट शिक्षा दे रही हैं और बोर्ड की परीक्षा में योग्यता सूची में समस्त विद्यार्थी निजी शिक्षण संस्थाओं के होते हैं। शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने स्पष्ट घोषणा की है कि उनका उद्देश्य निजी शिक्षण संस्थाओं को समाप्त करना है। उन्होंने राजस्थान के विद्यार्थियों के साथ विश्वासघात किया है और राजस्थान बोर्ड से सम्बद्ध निजी स्कूलों के पाठ्यक्रम में से केन्द्रीय बोर्ड के पाठ्यक्रम को हटा दिया गया है ताकि वे प्रतियोगिता की परीक्षाओं में उत्तीर्ण नहीं हो सकें। आज 36 हजार निजी शिक्षण संस्थाएं देवनानी की विरोधी हैं। यदि केंद्रीय बोर्ड के पाठ्यक्रम को पुनः लागू नहीं किया तो करोड़ों अभिभावक भी सरकार के खिलाफ हो जाएंगे। यदि देवनानी को नहीं हटाया गया तो आगामी विधानसभा में सरकार को सबक सिखया जाएगा। निजी शिक्षण संस्थाओं में 10 लाख कर्मचारी हैं और प्रत्येक कर्मचारी 10 सदस्य बनाएगा और एक करोड़ मतदाताओं की लोकशक्ति खड़ी होगी। हम आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हीं प्रत्याशियों को सहयोग देंगे जो निजी शिक्षण संस्थाओं के हित में काम करेगा और शैक्षणिक क्रांति की मुहिम में अपनी आहुति देंगें। सामवेदी ने कहा कि हम मांग करते हैं कि सरकार निजी शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा दे और सरकारी स्कूलों में प्रति विद्यार्थी जो व्यय आता है उसका भुगतान निजी शिक्षण संस्थाओं को किया जाए। अधिवेशन में संघ के प्रदेशाध्यक्ष सामवेदी, महामंत्री किशन मित्तल, रतन सिंह पिलानियां, जिलाध्यक्ष बाबूलाल शर्मा, मिडिया प्रभारी अनीस भारतीय, एलसी भारतीय, इनामुल्लाह खान, बाबूलाल मेमोरिया, प्रदीप भटनागर, मोहम्मद मुमताज, प्रदीप मधुकर, गोरधन हिरोनी, सुरेश विजयवर्गीय, कमलेश सिंगोदिया सहित कई निजी स्कूलों के निदेशक शिक्षक मौजूद थे।
राजस्थान में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में निजी शिक्षण संस्थाओं का सर्वाधिक योगदान रहा है। निजी शिक्षण संस्थाएं सरकार से एक पैसे की सहायता लिए बिना उत्कृष्ट शिक्षा दे रही हैं और बोर्ड की परीक्षा में योग्यता सूची में समस्त विद्यार्थी निजी शिक्षण संस्थाओं के होते हैं। शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने स्पष्ट घोषणा की है कि उनका उद्देश्य निजी शिक्षण संस्थाओं को समाप्त करना है। उन्होंने राजस्थान के विद्यार्थियों के साथ विश्वासघात किया है और राजस्थान बोर्ड से सम्बद्ध निजी स्कूलों के पाठ्यक्रम में से केन्द्रीय बोर्ड के पाठ्यक्रम को हटा दिया गया है ताकि वे प्रतियोगिता की परीक्षाओं में उत्तीर्ण नहीं हो सकें। आज 36 हजार निजी शिक्षण संस्थाएं देवनानी की विरोधी हैं। यदि केंद्रीय बोर्ड के पाठ्यक्रम को पुनः लागू नहीं किया तो करोड़ों अभिभावक भी सरकार के खिलाफ हो जाएंगे। यदि देवनानी को नहीं हटाया गया तो आगामी विधानसभा में सरकार को सबक सिखया जाएगा। निजी शिक्षण संस्थाओं में 10 लाख कर्मचारी हैं और प्रत्येक कर्मचारी 10 सदस्य बनाएगा और एक करोड़ मतदाताओं की लोकशक्ति खड़ी होगी। हम आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हीं प्रत्याशियों को सहयोग देंगे जो निजी शिक्षण संस्थाओं के हित में काम करेगा और शैक्षणिक क्रांति की मुहिम में अपनी आहुति देंगें। सामवेदी ने कहा कि हम मांग करते हैं कि सरकार निजी शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा दे और सरकारी स्कूलों में प्रति विद्यार्थी जो व्यय आता है उसका भुगतान निजी शिक्षण संस्थाओं को किया जाए। अधिवेशन में संघ के प्रदेशाध्यक्ष सामवेदी, महामंत्री किशन मित्तल, रतन सिंह पिलानियां, जिलाध्यक्ष बाबूलाल शर्मा, मिडिया प्रभारी अनीस भारतीय, एलसी भारतीय, इनामुल्लाह खान, बाबूलाल मेमोरिया, प्रदीप भटनागर, मोहम्मद मुमताज, प्रदीप मधुकर, गोरधन हिरोनी, सुरेश विजयवर्गीय, कमलेश सिंगोदिया सहित कई निजी स्कूलों के निदेशक शिक्षक मौजूद थे।
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