बैठक में वसुंधरा सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों का विरोध करते हुए
महासंघ के प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड़ ने कहा कि कर्मचारियों को धैर्य
की परीक्षा लेना छोड़कर सातवां वेतन आयोग सहित 15 सूत्री मांग पत्र पर
शीघ्र समाधान कराना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो कर्मचारी चुप नहीं बैठेंगे। चुनरी ओढ़ाने वाले और सरकार की आरती उतारने वाले स्वयं भू कर्मचारी नेताओं से कर्मचारियों को सावचेत रहने की आवश्यकता है। सरकारी संगठन मुख्यमंत्री से वार्ता होने, सारी मांगें मान लेने जैसे भ्रामक प्रचार प्रसार पर कर्मचारी आंदोलन को कमजोर करते हैं।
उन्होंने कहा कि पांचवें छठे वेतनमान की विसंगतियों को दूर कर सातवां वेतनमान लागू करने, न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए करने, केंद्रीय कर्मचारियों के अनुरूप वेतन एवं बोनस के एरियर का भुगतान करने, ग्रामीण भत्ता देकर शहरों की ओर बढ़ते तबाव को कम करने, संविदाकर्मी, विद्यार्थी मित्र, नरेगाकर्मी, एनआरएचएमकर्मी, वनकर्मी, एसएसए कर्मी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, मिड डे मील कर्मी आदि को नियमित करने, प्रबोधक का नाम पर अध्यापक करने, शारीरिक शिक्षक के पद सृजित करने, अंशदायी पेंशन योजना समाप्त करने, 20 वर्ष की सेवा पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारियों को 50 प्रतिशत पेंशन का लाभ देने, चयनित वेतन 7, 14, 21 वर्ष पर लागू करने का मांग पर सरकार हठधर्मिता अपनाकर कर्मचारियों को आंदोलन के लि बाध्य कर रही है। प्रदेश संयुक्त महामंत्री अर्जुन शर्मा ने कहा कि 12 दिसंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर सांकेतिक धरना देकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे। 28 दिसंबर को तहसील मुख्यालयों पर धरना देंगे।
दो से 4 जनवरी तक जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा। 5 से 15 तक गेट मीटिंग कर कार्यालयाध्यक्ष के माध्यम से ज्ञापन देंगे। 16 से 21 तक आम हड़ताल के लिए मतदान कराया जाएगा। प्रदेश मंत्री नारायण सिंह ने पंचायत राज के सुव्यवस्थित ढांचे के साथ खिलवाड़ कर सरकार द्वारा पंचायत राज को समाप्त करने की साजिश बताया। जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा, विजय सिंह गुर्जर, रामस्वरूप चतुर्वेदी, दामोदर शर्मा, फैलीराम मीणा, नरेंद्र शर्मा, अनंत कुमार शर्मा, कजोड़मल मीणा, रघुवीर अवस्थी, चेतराम मीणा, अखिलेश शर्मा, प्रहलाद सिं, रामकिशोर गुप्ता, दिलीप गुप्ता, अशोक शर्मा, बनेसिंह गुर्जर, रमेश कोली, प्रभा शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो कर्मचारी चुप नहीं बैठेंगे। चुनरी ओढ़ाने वाले और सरकार की आरती उतारने वाले स्वयं भू कर्मचारी नेताओं से कर्मचारियों को सावचेत रहने की आवश्यकता है। सरकारी संगठन मुख्यमंत्री से वार्ता होने, सारी मांगें मान लेने जैसे भ्रामक प्रचार प्रसार पर कर्मचारी आंदोलन को कमजोर करते हैं।
उन्होंने कहा कि पांचवें छठे वेतनमान की विसंगतियों को दूर कर सातवां वेतनमान लागू करने, न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए करने, केंद्रीय कर्मचारियों के अनुरूप वेतन एवं बोनस के एरियर का भुगतान करने, ग्रामीण भत्ता देकर शहरों की ओर बढ़ते तबाव को कम करने, संविदाकर्मी, विद्यार्थी मित्र, नरेगाकर्मी, एनआरएचएमकर्मी, वनकर्मी, एसएसए कर्मी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, मिड डे मील कर्मी आदि को नियमित करने, प्रबोधक का नाम पर अध्यापक करने, शारीरिक शिक्षक के पद सृजित करने, अंशदायी पेंशन योजना समाप्त करने, 20 वर्ष की सेवा पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारियों को 50 प्रतिशत पेंशन का लाभ देने, चयनित वेतन 7, 14, 21 वर्ष पर लागू करने का मांग पर सरकार हठधर्मिता अपनाकर कर्मचारियों को आंदोलन के लि बाध्य कर रही है। प्रदेश संयुक्त महामंत्री अर्जुन शर्मा ने कहा कि 12 दिसंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर सांकेतिक धरना देकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे। 28 दिसंबर को तहसील मुख्यालयों पर धरना देंगे।
दो से 4 जनवरी तक जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा। 5 से 15 तक गेट मीटिंग कर कार्यालयाध्यक्ष के माध्यम से ज्ञापन देंगे। 16 से 21 तक आम हड़ताल के लिए मतदान कराया जाएगा। प्रदेश मंत्री नारायण सिंह ने पंचायत राज के सुव्यवस्थित ढांचे के साथ खिलवाड़ कर सरकार द्वारा पंचायत राज को समाप्त करने की साजिश बताया। जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा, विजय सिंह गुर्जर, रामस्वरूप चतुर्वेदी, दामोदर शर्मा, फैलीराम मीणा, नरेंद्र शर्मा, अनंत कुमार शर्मा, कजोड़मल मीणा, रघुवीर अवस्थी, चेतराम मीणा, अखिलेश शर्मा, प्रहलाद सिं, रामकिशोर गुप्ता, दिलीप गुप्ता, अशोक शर्मा, बनेसिंह गुर्जर, रमेश कोली, प्रभा शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए।