विनोदमित्तल | जयपुर होटलों की तर्ज पर अब प्रदेश के सरकारी स्कूल भी फाइव स्टार, फोर स्टार
और थ्री स्टार होंगे। जी हां, स्कूलों में पढ़ाई के प्रति प्रतिस्पर्धा
बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार के लिए बोर्ड परीक्षा परिणाम के आधार पर
सरकारी स्कूलों को रेटिंग प्रदान की जाएगी।
रेटिंग देने के लिए शिक्षा विभाग ने कवायद पूरी कर ली है। रेटिंग को पांच श्रेणियों में बांटा गया है। अच्छे परफॉर्मेंस पर फाइव स्टार रेटिंग मिलेगी और अगर खराब परफॉर्मेंस रहा तो फोर स्टार से लेकर वन स्टार तक रेटिंग मिलेगी।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की मार्च 2017 में होने वाली परीक्षाओं के परिणाम के आधार पर स्कूलों को रेटिंग दी जाएगी। पढ़ाई के प्रति स्कूलों में आपस में ही प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने यह अभिनव पहल की है। देवनानी के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने इस योजना की कवायद लगभग पूरी कर ली है और आगामी बोर्ड परीक्षा परिणाम के बाद इस योजना को अमलीजामा पहना दिया जाएगा। हर स्कूल को 8वीं, 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा परिणाम के आधार पर अलग अलग रेटिंग मिलेगी। बारहवीं कक्षा में भी संकायवार कला, विज्ञान और वाणिज्य वर्ग के परिणाम के आधार पर अलग अलग ही रेटिंग तैयार होगी।
शेष| पेज 9
इसप्रकार मिलेगी रेटिंग
फाइव स्टार : अगर किसी स्कूल का परिणाम बोर्ड के कुल परीक्षा परिणाम से अधिक है। साथ ही स्कूल में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत भी राज्य स्तर पर प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों के कुल प्रतिशत से अधिक है तो स्कूल को फाइव स्टार रेटिंग दी जाएगी।
फोर स्टार : अगर किसी स्कूल का परिणाम तो बोर्ड के कुल परिणाम से अधिक है, लेकिन प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत राज्य स्तर पर बोर्ड परीक्षा में प्रथम आने वाले विद्यार्थियों के कुल प्रतिशत से कम है तो स्कूल को फोर स्टार रेटिंग दी जाएगी।
थ्री स्टार : अगर किसी स्कूल में प्रथम आने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत राज्य स्तर पर प्रथम आने वाले विद्यार्थियों के प्रतिशत से तो अधिक है, लेकिन उस स्कूल का परिणाम बोर्ड के कुल परिणाम से कम है तो स्कूल को थ्री स्टार रेटिंग दी जाएगी।
टू स्टार : स्कूल का परिणाम और प्रथम श्रेणी से पास होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत बोर्ड के परिणाम और प्रथम आने वाले विद्यार्थियों के परिणाम से कम है तो स्कूल को टू स्टार रेटिंग मिलेगी।
वन स्टार : बोर्ड परीक्षा में अगर स्कूल के 95 प्रतिशत से कम विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया स्कूल को वन स्टार रेटिंग दी जाएगी। भले ही उसका परिणाम और प्रथम आने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत कुछ भी हो।
कम रेटिंग मिली तो बताना होगा कारण
स्कूलको फाइव स्टार रेटिंग से कम मिलती है तो उसको यह रेटिंग मिलने का कारण बताना होगा। संस्था प्रधान को कमियों की पहचान करते हुए यह भी बताना होगा कि इन कमियों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है। स्कूल को यह वार्षिक योजना में भी शामिल करना होगा।
रेटिंग देने के लिए शिक्षा विभाग ने कवायद पूरी कर ली है। रेटिंग को पांच श्रेणियों में बांटा गया है। अच्छे परफॉर्मेंस पर फाइव स्टार रेटिंग मिलेगी और अगर खराब परफॉर्मेंस रहा तो फोर स्टार से लेकर वन स्टार तक रेटिंग मिलेगी।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की मार्च 2017 में होने वाली परीक्षाओं के परिणाम के आधार पर स्कूलों को रेटिंग दी जाएगी। पढ़ाई के प्रति स्कूलों में आपस में ही प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने यह अभिनव पहल की है। देवनानी के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने इस योजना की कवायद लगभग पूरी कर ली है और आगामी बोर्ड परीक्षा परिणाम के बाद इस योजना को अमलीजामा पहना दिया जाएगा। हर स्कूल को 8वीं, 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा परिणाम के आधार पर अलग अलग रेटिंग मिलेगी। बारहवीं कक्षा में भी संकायवार कला, विज्ञान और वाणिज्य वर्ग के परिणाम के आधार पर अलग अलग ही रेटिंग तैयार होगी।
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इसप्रकार मिलेगी रेटिंग
फाइव स्टार : अगर किसी स्कूल का परिणाम बोर्ड के कुल परीक्षा परिणाम से अधिक है। साथ ही स्कूल में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत भी राज्य स्तर पर प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों के कुल प्रतिशत से अधिक है तो स्कूल को फाइव स्टार रेटिंग दी जाएगी।
फोर स्टार : अगर किसी स्कूल का परिणाम तो बोर्ड के कुल परिणाम से अधिक है, लेकिन प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत राज्य स्तर पर बोर्ड परीक्षा में प्रथम आने वाले विद्यार्थियों के कुल प्रतिशत से कम है तो स्कूल को फोर स्टार रेटिंग दी जाएगी।
थ्री स्टार : अगर किसी स्कूल में प्रथम आने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत राज्य स्तर पर प्रथम आने वाले विद्यार्थियों के प्रतिशत से तो अधिक है, लेकिन उस स्कूल का परिणाम बोर्ड के कुल परिणाम से कम है तो स्कूल को थ्री स्टार रेटिंग दी जाएगी।
टू स्टार : स्कूल का परिणाम और प्रथम श्रेणी से पास होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत बोर्ड के परिणाम और प्रथम आने वाले विद्यार्थियों के परिणाम से कम है तो स्कूल को टू स्टार रेटिंग मिलेगी।
वन स्टार : बोर्ड परीक्षा में अगर स्कूल के 95 प्रतिशत से कम विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया स्कूल को वन स्टार रेटिंग दी जाएगी। भले ही उसका परिणाम और प्रथम आने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत कुछ भी हो।
कम रेटिंग मिली तो बताना होगा कारण
स्कूलको फाइव स्टार रेटिंग से कम मिलती है तो उसको यह रेटिंग मिलने का कारण बताना होगा। संस्था प्रधान को कमियों की पहचान करते हुए यह भी बताना होगा कि इन कमियों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है। स्कूल को यह वार्षिक योजना में भी शामिल करना होगा।
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