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झुंझुनू जिला कलेक्टर श्री प्रदीप जी बोरड का सकारात्मक दृष्टिकोण व विद्यालयों से लगाव बहुत ही प्रेरक

झुंझुनू जिला कलेक्टर श्री प्रदीप जी बोरड का सकारात्मक दृष्टिकोण व विद्यालयों से लगाव बहुत ही प्रेरक है।
विद्यालयों में जाना, डांट फटकार की बजाय अच्छाइयों की सराहना व कमियों पर चर्चा कर समाधान के सुझाव देने से शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारी बहुत उत्साहित हैं।

कक्षाओं में पढ़ाना, बच्चों के साथ खेलना, जिला मुख्यालय की स्कूल जाकर सराहना, सब कुछ अलग।
कल ऐसा ही मेरे साथ भी कुछ यादगार हुआ,
पांच बजे कलेक्टर सर का फोन आया, एक दिन मैंने शिष्टाचार भेंट की थी तो मेरे पास नम्बर सेव थे।
मैंने नाम देखते ही कहा, सर नमस्कार, आदेश करें।
सर ने कहा, तेतरवाल जी कहाँ हो।
मैंने बताया सर जयपुर हूँ, बेटी की परीक्षा है उसके साथ आया हूँ।आदेश करें।
सर ने कहा कोई बात नही, आराम से आजाओ। मैं तो बिसाऊ जा रहा था तो सोचा अपना स्कूल देखलू व आपसे कुछ चर्चा भी कर लेते।
मैंने कहा सर कल बताया होता तो मैं जयपुर किसी और को भेज देता।
सर ने कहा नही मैं फिर आऊंगा जल्दी ही और बैठ कर चर्चा करेंगे।
अब भी विश्वास नही हो रहा है कि जिला कलेक्टर स्तर के अधिकारी इतनी सकारात्मक सोच रखते है विभाग के प्रति।
आम धारणा व परम्परा यही है कि निरीक्षण अधिकारी चाहे शिक्षा विभाग के हों चाहे अन्य विभागों के वो तो छापामार पद्दति से ही निरीक्षण करते है और कितनी भी अच्छाईयां मिलें दूसरे दिन अखबारों में तो वो ही खबरें आती है जो विभाग की छवि धूमिल करती हैं।
आदरणीय कलेक्टर साब का सरल, शालीन व्यक्तित्व ना केवल नमन योग्य है अपितु अन्य अधिकारियों व हम सब के लिए अनुकरणीय है।
जिले में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को हम सब पूर्ण सहयोग देकर शिक्षा की सर्वोच्चता स्थापित करने में जुट जायें।
कमलेश कुमार तेतरवाल
प्रधानाचार्य,
सेठ दुर्गादत्त जटिया रा उ मा विद्यालय,
बिसाऊ, झुंझुनू।

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