नई दिल्ली, राजस्थान के उच्च शिक्षा मंत्राी श्री कालीचरण सर्राफ ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) अभियान के अन्तर्गत राज्य में तीनों संकायों से युक्त नवीन महाविद्यालय खोलने के लिए 1600 करोड़ रूपये का एकमुश्त अनुदान स्वीकृत करने का आग्रह किया है।
रूसा के अन्तर्गत केवल 96 राजकीय विद्यालयो, 4 राजकीय संस्कृत, 5 राजकीय विश्वविद्यालयों एवं दो राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को ही अनुदान प्राप्त हुआ है।
श्री सर्राफ मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्राी श्री प्रकाश जावेड़कर की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 64वीं बैठक में राजस्थान का पक्ष रखते हुए बोल रहे थे। उन्होनें बताया कि राज्य मे कुल 289 उपखण्ड़ों मंे से 30 उपखण्ड़ों मंे सरकारी या निजी महाविद्यालय नही है। इसी प्रकार 160 उपखण्ड ऐसे है जिनमें सहशिक्षा महाविद्यालय नही है। राज्य मंे महिला शिक्षा के राजकीय महाविद्यालयों से वंचित उपखण्ड़ों की संख्या 248 है।
श्री सर्राफ ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान मंे संचालित 95 राजकीय महाविद्यालयों में विज्ञान संकाय एवं 84 राजकीय महाविद्यालयों में वाणिज्य संकाय नहीं है। अतः इन महाविद्यालयों में विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय प्रारम्भ करने के लिए लगभग 750 करोड़ का एकमुश्त अनुदान स्वीकृत किया जावे।
उन्होनें बताया कि प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थायें यथा राजकीय महाविद्यालय, राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय राजकीय संस्कृत महाविद्यालय एवं राजकीय विश्वविद्यालय जो यू.जी.सी. के अधिनियम की धारा 12(बी) एवं 2(एफ) के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त नहीं है उनकों भी इस नियम में छूट प्रदान करते हुये आधारभूत संरचना में विकास के लिए अनुदान स्वीकृत किया जाना चाहिए।
श्री सर्राफ ने बताया कि आई.आई.आई.टी, कोटा जो वर्तमान में एम.एन.आई.टी., जयपुर के कैम्पस में संचालित की जा रही है के लिए राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क भूमि का आवंटन किया जा चुका है तथा इसमें चार दीवारी का कार्य भी हो चुका है। आई.आई.आई.टी. कोटा को अपने परिसर में संचालित करने के लिए भवन तैयार करवाया जाना आवश्यक है। इसके लिए सम्पूर्ण शतप्रतिशत बजट केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया जावे।
उन्होनें बताया कि राजस्थान प्रदेश में वर्तमान में 24 राजकीय एवं 44 निजी विश्वविद्यालयों के साथ केवल एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय संचालित है। श्री सर्राफ ने मांग की कि देश के सबसे बड़े भू-भाग वाले प्रदेश में एक और केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्वीकृत किया जाना चाहिए।
श्री सर्राफ ने बताया कि राष्ट्रीय उच्च शिक्षा परिषद् (रूसा) द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सम्बंधित विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को ही आधारभूत संरचना के लिए अनुदान देय होता है, जिसमें केन्द्र राज्य सरकार का सहभागिता 60ः40 के अनुपात मंे है, जिसे राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये 90ः10 किये जाने की आवश्यकता है।
उन्होनें बताया कि राजस्थान प्रदेश में लगभग 82 राजकीय महाविद्यालय ऐसे है जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एन.ए.ए.सी.की मान्यता योग्य नहीं है, क्योंकि यह महाविद्यालय आयोग के आधारभूत संरचना के न्यूनतम मानदंड पूर्ण नही करते है। अतः इन महाविद्यालयों के आधरभूत संरचना विकास करने के लिए केन्द्र सरकार से प्रति महाविद्यालय 10 करोड़ के हिसाब के लगभग 820 करोड़ रूपये अनुदान दिलाया जाना जरूरी है।
श्री सर्राफ ने बताया कि राजस्थान प्रदेश के जनजाति एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रा बासंवाडा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ आदि जिलों में एक जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। हमारा संकल्प है कि इस क्षेत्रा के प्रत्येक व्यक्ति को उच्च शिक्षा का अवसर मिले, परन्तु वित्तीय संसाधन सीमित होने की वजह से ें कठिनाई आ रही है। अतः इस विश्वविद्यालय एवं इस क्षेत्रा में संचालित महाविद्यालयों में छात्रावास सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार से एकमुश्त वित्तीय सहायता की जानी चाहिए।
उन्होनंे बताया कि प्रधानमंत्राी श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से राजस्थान में एक योग केन्द्र की स्थापना की गई है, जिसमें विद्यार्थियों का जबदस्त रूझान सामने आया है। राज्य सरकार की मंशा है कि यह योग केन्द्र अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का योग केन्द्र बने एवं इसका विस्तार प्रदेश के प्रत्येग उपखण्ड स्तर पर हो, इसके लिए केन्द्र सरकार से एकमुश्त अनुदान की आवश्यकता है।
श्री सर्राफ ने बताया कि आई.एस.एम. धनबाद की कोटा शहर में माइनिंग का इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के स्तर पर लम्बित है जिसे शीघातिशीघ्र स्वीकृत करवाया जावे। इसी प्रकार ए.आई.सी.टी.ई के कैम्प ऑफिस खोलने के प्रस्ताव को सैद्वान्तिक स्वीकृति भी प्रदान की गई है। इसे प्रारम्भ होने से राजस्थान तथा इसके पड़ोसी राज्यों के तकनीकी महाविद्यालयों को लाभ मिलेगा।उन्होनें भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं सवर्द्धन के लिए संस्कृत शिक्षा के लिए बजट का निश्चित प्रतिशत का आवंटन सुनिश्चित करने, शास्त्रों में उपलब्ध आयुर्वेद के ज्ञान का लाभ जनसामान्य को पहुंचाने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए संस्कृत को अनिवार्य विषय करने ,देश के उपलब्ध पाण्डुलिपियों एवं दुर्लभ ग्रन्थों का संरक्षण एवं डिजीटाईजेशन करवाने को और संस्कृत को रोजगारपरक बनाने के लिए पूर्ववत संस्कृत को अनिवार्य विषय और विज्ञान के विद्यार्थियों को भी पूर्व आयुर्वेद परीक्षा में शामिल करवाने का आग्रह किया।
श्री सर्राफ ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रदेश में संचालित संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालय से जिला स्तर पर आदर्श विद्यालय एवं संभाग स्तर पर आदर्श महाविद्यालय विकसित किया जाना आवश्यक है। इनमें भाषा प्रयोगशाला, छात्रावास, कम्प्यूटर प्रयोगशाला विकसित करने के लिए केन्द्र की ओर से विशेष बजट प्रावधान उपलब्ध करवाने का आग्रह किया।
उन्होनें राज्य में नवाचारो की चर्चा करते हुए बताया कि राज्य के सभी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्राध्यापकों को सत्रा 2016-17 से इन्टर्नशीप करने के लिए राजीकीय विधालयों में भेजा जायेगा जिसमें प्रशिक्षण की गुणवता बढाने के साथ ही राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को भी दूर किया जा सकेगा। श्री सर्राफ ने बताया कि राज्य मे इस वर्ष 12 नये सरकारी कॉलेज शुरू किए गये है। इस प्रकार 5 कॉलेजों को पी.जी. में क्रमौन्नत किया गया है। तीन कॉलेजो मंे नवीन संकाय शुरू किए गये है तथा आठ पी.जी. कॉलेजांे में 13 नये विषय तथा 12 स्नातक महाविद्यालयों में नये विषय प्रारम्भ किए गये है।
बैठक में कैब के सदस्य सचिव श्री विनय शील ओबेराय, राजस्थान के प्रमुख सचिव, संस्कृत शिक्षा, श्री संजय दीक्षित सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी गण भी मौजूद थे।
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रूसा के अन्तर्गत केवल 96 राजकीय विद्यालयो, 4 राजकीय संस्कृत, 5 राजकीय विश्वविद्यालयों एवं दो राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को ही अनुदान प्राप्त हुआ है।
श्री सर्राफ मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्राी श्री प्रकाश जावेड़कर की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 64वीं बैठक में राजस्थान का पक्ष रखते हुए बोल रहे थे। उन्होनें बताया कि राज्य मे कुल 289 उपखण्ड़ों मंे से 30 उपखण्ड़ों मंे सरकारी या निजी महाविद्यालय नही है। इसी प्रकार 160 उपखण्ड ऐसे है जिनमें सहशिक्षा महाविद्यालय नही है। राज्य मंे महिला शिक्षा के राजकीय महाविद्यालयों से वंचित उपखण्ड़ों की संख्या 248 है।
श्री सर्राफ ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान मंे संचालित 95 राजकीय महाविद्यालयों में विज्ञान संकाय एवं 84 राजकीय महाविद्यालयों में वाणिज्य संकाय नहीं है। अतः इन महाविद्यालयों में विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय प्रारम्भ करने के लिए लगभग 750 करोड़ का एकमुश्त अनुदान स्वीकृत किया जावे।
उन्होनें बताया कि प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थायें यथा राजकीय महाविद्यालय, राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय राजकीय संस्कृत महाविद्यालय एवं राजकीय विश्वविद्यालय जो यू.जी.सी. के अधिनियम की धारा 12(बी) एवं 2(एफ) के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त नहीं है उनकों भी इस नियम में छूट प्रदान करते हुये आधारभूत संरचना में विकास के लिए अनुदान स्वीकृत किया जाना चाहिए।
श्री सर्राफ ने बताया कि आई.आई.आई.टी, कोटा जो वर्तमान में एम.एन.आई.टी., जयपुर के कैम्पस में संचालित की जा रही है के लिए राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क भूमि का आवंटन किया जा चुका है तथा इसमें चार दीवारी का कार्य भी हो चुका है। आई.आई.आई.टी. कोटा को अपने परिसर में संचालित करने के लिए भवन तैयार करवाया जाना आवश्यक है। इसके लिए सम्पूर्ण शतप्रतिशत बजट केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया जावे।
उन्होनें बताया कि राजस्थान प्रदेश में वर्तमान में 24 राजकीय एवं 44 निजी विश्वविद्यालयों के साथ केवल एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय संचालित है। श्री सर्राफ ने मांग की कि देश के सबसे बड़े भू-भाग वाले प्रदेश में एक और केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्वीकृत किया जाना चाहिए।
श्री सर्राफ ने बताया कि राष्ट्रीय उच्च शिक्षा परिषद् (रूसा) द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सम्बंधित विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को ही आधारभूत संरचना के लिए अनुदान देय होता है, जिसमें केन्द्र राज्य सरकार का सहभागिता 60ः40 के अनुपात मंे है, जिसे राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये 90ः10 किये जाने की आवश्यकता है।
उन्होनें बताया कि राजस्थान प्रदेश में लगभग 82 राजकीय महाविद्यालय ऐसे है जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एन.ए.ए.सी.की मान्यता योग्य नहीं है, क्योंकि यह महाविद्यालय आयोग के आधारभूत संरचना के न्यूनतम मानदंड पूर्ण नही करते है। अतः इन महाविद्यालयों के आधरभूत संरचना विकास करने के लिए केन्द्र सरकार से प्रति महाविद्यालय 10 करोड़ के हिसाब के लगभग 820 करोड़ रूपये अनुदान दिलाया जाना जरूरी है।
श्री सर्राफ ने बताया कि राजस्थान प्रदेश के जनजाति एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रा बासंवाडा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ आदि जिलों में एक जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। हमारा संकल्प है कि इस क्षेत्रा के प्रत्येक व्यक्ति को उच्च शिक्षा का अवसर मिले, परन्तु वित्तीय संसाधन सीमित होने की वजह से ें कठिनाई आ रही है। अतः इस विश्वविद्यालय एवं इस क्षेत्रा में संचालित महाविद्यालयों में छात्रावास सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार से एकमुश्त वित्तीय सहायता की जानी चाहिए।
उन्होनंे बताया कि प्रधानमंत्राी श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से राजस्थान में एक योग केन्द्र की स्थापना की गई है, जिसमें विद्यार्थियों का जबदस्त रूझान सामने आया है। राज्य सरकार की मंशा है कि यह योग केन्द्र अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का योग केन्द्र बने एवं इसका विस्तार प्रदेश के प्रत्येग उपखण्ड स्तर पर हो, इसके लिए केन्द्र सरकार से एकमुश्त अनुदान की आवश्यकता है।
श्री सर्राफ ने बताया कि आई.एस.एम. धनबाद की कोटा शहर में माइनिंग का इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के स्तर पर लम्बित है जिसे शीघातिशीघ्र स्वीकृत करवाया जावे। इसी प्रकार ए.आई.सी.टी.ई के कैम्प ऑफिस खोलने के प्रस्ताव को सैद्वान्तिक स्वीकृति भी प्रदान की गई है। इसे प्रारम्भ होने से राजस्थान तथा इसके पड़ोसी राज्यों के तकनीकी महाविद्यालयों को लाभ मिलेगा।उन्होनें भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं सवर्द्धन के लिए संस्कृत शिक्षा के लिए बजट का निश्चित प्रतिशत का आवंटन सुनिश्चित करने, शास्त्रों में उपलब्ध आयुर्वेद के ज्ञान का लाभ जनसामान्य को पहुंचाने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए संस्कृत को अनिवार्य विषय करने ,देश के उपलब्ध पाण्डुलिपियों एवं दुर्लभ ग्रन्थों का संरक्षण एवं डिजीटाईजेशन करवाने को और संस्कृत को रोजगारपरक बनाने के लिए पूर्ववत संस्कृत को अनिवार्य विषय और विज्ञान के विद्यार्थियों को भी पूर्व आयुर्वेद परीक्षा में शामिल करवाने का आग्रह किया।
श्री सर्राफ ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रदेश में संचालित संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालय से जिला स्तर पर आदर्श विद्यालय एवं संभाग स्तर पर आदर्श महाविद्यालय विकसित किया जाना आवश्यक है। इनमें भाषा प्रयोगशाला, छात्रावास, कम्प्यूटर प्रयोगशाला विकसित करने के लिए केन्द्र की ओर से विशेष बजट प्रावधान उपलब्ध करवाने का आग्रह किया।
उन्होनें राज्य में नवाचारो की चर्चा करते हुए बताया कि राज्य के सभी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्राध्यापकों को सत्रा 2016-17 से इन्टर्नशीप करने के लिए राजीकीय विधालयों में भेजा जायेगा जिसमें प्रशिक्षण की गुणवता बढाने के साथ ही राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को भी दूर किया जा सकेगा। श्री सर्राफ ने बताया कि राज्य मे इस वर्ष 12 नये सरकारी कॉलेज शुरू किए गये है। इस प्रकार 5 कॉलेजों को पी.जी. में क्रमौन्नत किया गया है। तीन कॉलेजो मंे नवीन संकाय शुरू किए गये है तथा आठ पी.जी. कॉलेजांे में 13 नये विषय तथा 12 स्नातक महाविद्यालयों में नये विषय प्रारम्भ किए गये है।
बैठक में कैब के सदस्य सचिव श्री विनय शील ओबेराय, राजस्थान के प्रमुख सचिव, संस्कृत शिक्षा, श्री संजय दीक्षित सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी गण भी मौजूद थे।
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