अजमेर। महिला आरएएस
अधिकारी और नगर सुधार न्यास की तत्कालीन विशेषाधिकारी के साथ बदसलूकी करने व
राजकार्य में बाधा पहुंचाने के मामले में तीन आरोपितों के खिलाफ दर्ज
मुकदमा राज्य सरकार ने वापस ले लिया है।
आरोपितों पर तत्कालीन विधायक व वर्तमान महिला व बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल के साथ नगर सुधार न्यास कार्यालय में जाकर तोडफ़ोड़ करने व राजकार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप था।
प्रकरण के तथ्य
सिविल लाइंस थाने में नगर सुधार न्यास की तत्कालीन विशेषाधिकारी (आेएसडी) प्रिया भार्गव ने 17 जनवरी 2012 को यूओ नोट के जरिए प्रकरण दर्ज कराया। इसमें बताया गया कि घटना वाले दिन वे अपने कार्यालय में राजकीय कामकाज निपटा रही थी। इस दौरान दोपहर 12.30 बजे अजमेर दक्षिण की विधायक भदेल के साथ करीब 100-150 लोग नारेबाजी करते हुए कार्यालय में घुस आए।
भीड़ में वे लोग भी शामिल थे जिनके दौराई व चंदवरदायी नगर में न्यास के दस्ते ने अतिक्रमण हटाए थे। आरोपितों ने कार्यालय में टेबल-कुर्सी पटक दी व तोडफ़ोड़ की व फाइलें बिखेर दी। समूह में खानपुरा निवासी गणपत सिंह भी था जो लोगों को आक्रामक कार्रवाई के लिए उकसा रहा था। एक महिला जिसे वह अपनी पत्नी बता रहा था उसने परिवादी प्रिया भार्गव के बाल पकड़ कर खींच लिए। इस प्रकार राजकार्य में बाधा पहुंचाई व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और अभद्रता की।
सीआईडी (सीबी) ने की थी जांच
आरोपितों के वकील अशोक सिंह रावत व भियां सिंह रावत ने बताया कि मामला यूओ नोट के जरिए दर्ज होने के कारण इसकी जांच गुप्तचर पुलिस की अपराध शाखा ने की थी। पुलिस ने आरोपितों गणपत सिंह, सीता देवी, धनराज के खिलाफ सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया था। विशिष्ट शासन सचिव गृह व संयुक्त विधि परामर्शी ने जनहित में मुकदमा वापस ले लिया है। आदेश की प्रति अदालत में पेश करने के बाद प्रकरण में तीनों आरोपितों को डिस्चार्ज कर दिया गया।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
आरोपितों पर तत्कालीन विधायक व वर्तमान महिला व बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल के साथ नगर सुधार न्यास कार्यालय में जाकर तोडफ़ोड़ करने व राजकार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप था।
प्रकरण के तथ्य
सिविल लाइंस थाने में नगर सुधार न्यास की तत्कालीन विशेषाधिकारी (आेएसडी) प्रिया भार्गव ने 17 जनवरी 2012 को यूओ नोट के जरिए प्रकरण दर्ज कराया। इसमें बताया गया कि घटना वाले दिन वे अपने कार्यालय में राजकीय कामकाज निपटा रही थी। इस दौरान दोपहर 12.30 बजे अजमेर दक्षिण की विधायक भदेल के साथ करीब 100-150 लोग नारेबाजी करते हुए कार्यालय में घुस आए।
भीड़ में वे लोग भी शामिल थे जिनके दौराई व चंदवरदायी नगर में न्यास के दस्ते ने अतिक्रमण हटाए थे। आरोपितों ने कार्यालय में टेबल-कुर्सी पटक दी व तोडफ़ोड़ की व फाइलें बिखेर दी। समूह में खानपुरा निवासी गणपत सिंह भी था जो लोगों को आक्रामक कार्रवाई के लिए उकसा रहा था। एक महिला जिसे वह अपनी पत्नी बता रहा था उसने परिवादी प्रिया भार्गव के बाल पकड़ कर खींच लिए। इस प्रकार राजकार्य में बाधा पहुंचाई व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और अभद्रता की।
सीआईडी (सीबी) ने की थी जांच
आरोपितों के वकील अशोक सिंह रावत व भियां सिंह रावत ने बताया कि मामला यूओ नोट के जरिए दर्ज होने के कारण इसकी जांच गुप्तचर पुलिस की अपराध शाखा ने की थी। पुलिस ने आरोपितों गणपत सिंह, सीता देवी, धनराज के खिलाफ सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया था। विशिष्ट शासन सचिव गृह व संयुक्त विधि परामर्शी ने जनहित में मुकदमा वापस ले लिया है। आदेश की प्रति अदालत में पेश करने के बाद प्रकरण में तीनों आरोपितों को डिस्चार्ज कर दिया गया।
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