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राजस्थान यूनिवर्सिटी: 80 फीसदी अंकों पर प्रवेश, ग्रेजुएशन में ज्यादातर के नंबर घटे

जयपुर. भले ही राजस्थान यूनिवर्सिटी के चार प्रमुख संघटक कॉलेजों- महारानी, महाराजा, कॉमर्स और राजस्थान कॉलेज में इस बार 32 हजार स्टूडेंट्स को एडमिशन नहीं मिला हो, लेकिन पिछले करीब आठ साल से इन कॉलेजों में 12वीं में 80 से 90 प्रतिशत अंक लाकर प्रवेश पाने वाले आधे से ज्यादा विद्यार्थी ग्रेजुएशन में द्वितीय या तृतीय श्रेणी के अंक ही ला पाए।
इस बार चारों कॉलेजों की पांच हजार सीटों के लिए 38 हजार से अधिक आवेदन आए थे (महारानी में 14718, महाराजा 11397, कॉमर्स 4814 और राजस्थान कॉलेज में 7158)। हालांकि इन्हीं कॉलेजों में जिन स्टूडेंट्स ने मेहनत की, उन्हें 85 प्रतिशत तक भी अंक हासिल हुए हैं। ग्रेजुएशन में खराब परफॉर्मेंस के मुद्दे पर भास्कर ने पड़ताल की और सवालों पर कॉलेज प्राचार्यों ने अपनी राय दी।

कॉमर्स कॉलेज : आधे छात्र द्वितीय या तृतीय श्रेणी या फेल
700 में से 325 प्रथम श्रेणी और शेष द्वितीय या तृतीय श्रेणी, सप्लीमेंट्री या फेल रहे। कॉलेज प्रशासन ने 75 से 90 प्रतिशत के बीच इन सभी स्टूडेंट्स को एडमिशन दिए थे। पढ़ाई में आधे ही पहले जैसी परफॉर्मेंस रख सके।
महाराजा कॉलेज: 655 में से 36 प्रतिशत द्वितीय या तृतीय
बीएससी फाइनल में 655 स्टू़ेंट्स ने परीक्षा दी थी। उनमें से 416 के 60 से 85%अंक आए और शेष 200 प्रतिशत छात्रों के द्वितीय श्रेणी या उससे भी कम अंक आए। पिछले वर्षों की तुलना में इस परिणाम को बेहतर माना जा रहा है।
राजस्थान कॉलेज:आधों की द्वितीय या तृतीय श्रेणी

इस साल 572 में से 470 छात्र ही बीए फाइनल में पास हुए। इनमें से अाधे से कम के प्रथम श्रेणी में, शेष द्वितीय या तृतीय में हैं। हालांकि कॉलेज का परिणाम 82 प्रतिशत रहा है। कॉलेज का रिजल्ट औसतन अच्छा रहा।

महारानी कॉलेज कॉमर्स में प्रथम श्रेणी में 371 छात्राएं
बीकॉम पास कोर्स में प्रथम श्रेणी में 371 छात्राएं और 171 द्वितीय या तृतीय श्रेणी में पास हुईं। इनमें छह फेल और एक सप्लीमेंट्री भी शामिल। बीएससी पासकोर्स और ऑनर्स में 85 से 90 प्रतिशत छात्राएं 60 प्रतिशत या इससे अधिक प्रतिशत अंक लेकर आई। ये परिणाम पिछले वर्षों की तुलना में काफी अच्छा रहा।
बीए में आधे ही फ़र्स्ट डिवीजन महारानी कॉलेज से 907 छात्राओं ने बीए की परीक्षा दी। इसमें 829 ही पास हुईं। इसमें से 60 प्रतिशत या इससे अधिक अंक पाने वाली छात्राओं की संख्या टोटल की तुलना में आधी ही है।
आधे छात्र प्रथम श्रेणी के अंक ला रहे हैं, इसका क्रेडिट शिक्षकों को जाता है, जबकि आधे छात्र द्वितीय या तृतीय श्रेणी के अंक ला रहे हैं, इसके लिए शिक्षक जिम्मेवार नहीं है क्योंकि छात्र को खुद का कैरियर खुद देखना है। -प्रो. नवीन माथुर, कॉमर्स कॉलेज

महाराजा कॉलेज की परफॉर्मेंस सबसे बेहतर है। यहां 64 प्रतिशत छात्र प्रथम श्रेणी के अंक लाए। परफॉर्मेंस को और सुधारने की जरूरत है, जिस पर हम लगातार फोकस करते रहे हैं। भविष्य में और बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। -प्रो. एम.के पंडित, प्राचार्य
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