प्रत्येक संस्थाप्रधान एवम स्टाफ सदस्यों की अंतर्मन से इच्छा होती है कि उनका विद्यालय एक श्रेष्ठ विद्यालय के रूप में अपनी पहचान बनाए। अनेकानेक कारणो से विद्यालय में शैक्षिक वातावरण का निर्माण नहीं हो पाता है।
विद्यालय में हम एक बार शैक्षिक वातावरण की स्थापना कर ले तो समस्त पक्षकार स्वयं स्फूर्त भाव से विद्यालय संचालन में सहयोग देने लगते हैं। विद्यार्थी स्वानुशासन में एवम शिक्षक साथी उत्तम गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण हेतु नवाचारों की तलाश करने लगते हैं।
वातावरण निर्माण हेतु यह तरीके कारगार साबित हो सकते हैं।
1. हम विद्यालय का केंद्र बिंदु " विद्यार्थी " को मानकर हर योजना व रणनीती बनाये।
2. विद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण कार्य विद्यार्थी के "अधिगम" को माने।
3. सबसे पहले उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करे एवम इसके पश्चात सरकार या समुदाय के समक्ष सुस्पष्ट मांग प्रस्तुत करे।
4. प्रत्येक विद्यार्थी विद्यालय समय में तो सलग्न रहे और उसे घर पर भी रोजाना एक डेढ़ घंटे के विनियोग लायक गृहकार्य प्रदान किया जाए।
5. संस्था प्रधान नियमित रूप से विद्यालय हेतु इतना काम अवश्य करे कि उसे स्वयम् के कार्य से संतुष्टि प्राप्त हो। जब हम स्वयं से संतुष्ट होंगे तो दूसरे को भी प्रेरित कर सकेंगे।
6. कठोरता नियमो की अनुपालना में हो ना कि कार्मिको के साथ व्यवहार में।
7. यह स्थापित तथ्य है कि हमें हमारी शक्ति बुरी आदतो के उन्मूलन हेतु निवेश करने के स्थान पर अच्छी आदतो के निर्माण पर करनी चाहिये।
8. प्रोत्साहन और चेलेंजो की स्थापना अभिप्रेरणा का सर्वोत्तम माध्यम हैं। योजना बनाने में थोडा समय लग जाना बुरा नहीं लेकिन योजना पर कार्य अविलम्ब, अनुपालन नियमित व परिवर्तन समयानुसार होता रहना उचित हैं।
9. दुसरो की सहायता करे व सहायता ले परन्तु काम वही पूरा करे जो उस पद का वेतन ले रहा हैं।
10. हम सामाजिक प्राणी है लेकिन विद्यालय पदेन दायित्व के निर्वहन हेतु जाते है, स्टाफ के प्रति सामाजिक दायित्व विद्यालय समय के बाद निभा ले।
सादर।
सुरेन्द्र सिंह चौहान
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
विद्यालय में हम एक बार शैक्षिक वातावरण की स्थापना कर ले तो समस्त पक्षकार स्वयं स्फूर्त भाव से विद्यालय संचालन में सहयोग देने लगते हैं। विद्यार्थी स्वानुशासन में एवम शिक्षक साथी उत्तम गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण हेतु नवाचारों की तलाश करने लगते हैं।
वातावरण निर्माण हेतु यह तरीके कारगार साबित हो सकते हैं।
1. हम विद्यालय का केंद्र बिंदु " विद्यार्थी " को मानकर हर योजना व रणनीती बनाये।
2. विद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण कार्य विद्यार्थी के "अधिगम" को माने।
3. सबसे पहले उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करे एवम इसके पश्चात सरकार या समुदाय के समक्ष सुस्पष्ट मांग प्रस्तुत करे।
4. प्रत्येक विद्यार्थी विद्यालय समय में तो सलग्न रहे और उसे घर पर भी रोजाना एक डेढ़ घंटे के विनियोग लायक गृहकार्य प्रदान किया जाए।
5. संस्था प्रधान नियमित रूप से विद्यालय हेतु इतना काम अवश्य करे कि उसे स्वयम् के कार्य से संतुष्टि प्राप्त हो। जब हम स्वयं से संतुष्ट होंगे तो दूसरे को भी प्रेरित कर सकेंगे।
6. कठोरता नियमो की अनुपालना में हो ना कि कार्मिको के साथ व्यवहार में।
7. यह स्थापित तथ्य है कि हमें हमारी शक्ति बुरी आदतो के उन्मूलन हेतु निवेश करने के स्थान पर अच्छी आदतो के निर्माण पर करनी चाहिये।
8. प्रोत्साहन और चेलेंजो की स्थापना अभिप्रेरणा का सर्वोत्तम माध्यम हैं। योजना बनाने में थोडा समय लग जाना बुरा नहीं लेकिन योजना पर कार्य अविलम्ब, अनुपालन नियमित व परिवर्तन समयानुसार होता रहना उचित हैं।
9. दुसरो की सहायता करे व सहायता ले परन्तु काम वही पूरा करे जो उस पद का वेतन ले रहा हैं।
10. हम सामाजिक प्राणी है लेकिन विद्यालय पदेन दायित्व के निर्वहन हेतु जाते है, स्टाफ के प्रति सामाजिक दायित्व विद्यालय समय के बाद निभा ले।
सादर।
सुरेन्द्र सिंह चौहान
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