अजमेर. सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि राज्य सरकार भी एक गांव, एक शिक्षक और एक विद्यालय की तर्ज पर प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक आदर्श विद्यालय बना रही है। इसके तहत प्रदेश में आने वाले तीन सालों में 10 हजार विद्यालय खोले जाएंगे। ऐसे सभी विद्यालयों में शिक्षक और प्रधानाध्यापक होंगे।
कम्पयूटर के साथ-साथ खेल भी जरूरी
स्कूल में आने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ कंप्यूटर ज्ञान और खेल सिखाएंगे। इन विद्यालयों में विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास के लिए सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक पढ़ाई के साथ-साथ खेल एवं कंप्यूटर शिक्षा दी जाएगी। सीएम मंगलवार को आजाद पार्क में एकल विद्यालय अभियान के अंचल प्रणाम कार्यक्रम के दौरान संबोधित कर रही थीं। सीएम राजे ने कहा कि संस्कार आधारित शिक्षा से ही प्रदेश और देश में विकास की क्रांति आएगी। तभी डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया तथा मेक इन इंडिया जैसे अभियान सफल होंगे। हम विकसित देशों की तर्ज पर ही प्रदेश में शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं, ताकि हमारी नई पीढ़ी शिक्षित होकर योग्य नागरिक बन सके।
इतने बच्चों को मिलेगा शिक्षा
हम राजस्थान में संस्कारयुक्त शिक्षा की क्रांति लाएंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और संस्कृति का ज्ञान देना भी जरूरी है। यह खुशी की बात है कि एकल विद्यालय अभियान जैसे कार्यक्रम बिना किसी सरकारी मदद के इस कार्य को कर रहे हैं। इस अभियान के तहत 15 लाख बच्चों को शिक्षित और संस्कारित किया गया है।
क्या था महात्मा गांधी का सपना
राजे ने “एक गांव, एक शिक्षक, एक विद्यालय’ की अवधारणा की सराहना करते हुए कहा कि इससे शिक्षा के साथ-साथ दूरदराज के गांव के सर्वांगीण विकास में भी सहयोग मिलता है। इन विद्यालयों में पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य, कौशल विकास, स्वाभिमान जागरण और संस्कार शिक्षा की सराहना की। एकल ग्लोबल के सुभाष चंद्रा ने कहा कि महात्मा गांधी ने एक सपना संजोया था। गांव सक्षम हों और बागडोर गांव के हाथों में हो, किसी कारणवश ऐसा नहीं हुआ। सारी ताकत दिल्ली में एकत्र हो गई। हम गांव को पूर्ण स्वराज चाहते हैं। उन्होंने बताया कि
यह अभियान झारखंड से शुरू होकर एक लाख गांव तक पहुंच गया है।
इसलिए हैरान हो गयी सीएम
राजे ने कहा कि मैं हैरान हूं। देश में 53 हजार एकल विद्यालय संचालित हैं। नेपाल में 1600, प्रदेश में 3500 और अजमेर में 390 स्कूल हैं। अब अजमेर में पांच सौ स्कूल हो जाएंगे। उन्होंने इस बात की सराहना की कि एकल विद्यालय में माताएं और युवा शामिल हैं। बच्चे पढ़ाई तो सरकारी स्कूलों में जाकर कर लेंगे, लेकिन पंच नीति का जो जोड़ बनाया है, वह अच्छा है। विश्व के विकसित राष्ट्र भी शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं।
भामाशाहों का किया स्वागत
एकल विद्यालय का खर्च वहन करने वाले भामाशाहों का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया। अजमेर अंचल के जिलाध्यक्ष सुभाष काबरा ने राजे को बताया कि जिले में अब 500 विद्यालय संचालित होंगे। इनका खर्च स्थानीय भामाशाह उठाएंगे। शतकवीर भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने 50 विद्यालय गोद लिए हैं एवं इसके लिए 21 लाख रुपए देने की घोषणा की है। इस पर राजे ने कहा कि पलाड़ा काफी सक्षम हैं उन्हें और जिम्मेदारी सौंपी जाए। इस पर काबरा ने कहा कि 500 विद्यालयों के खर्च वहन में जो कमी आएगी, वह पलाड़ा द्वारा पूरी की जाएगी।
नेहरू ने नहीं मानी थी गांधी की नसीहत
मुख्य वक्ता एवं एकल अभियान के संगठन प्रभारी और संस्थापक श्याम गुप्त ने कहा कि देश को आजादी के बाद विचारधारा की बात चली। महात्मा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर खेती और शिक्षित होने की बात कही। लेकिन नेहरू ने उनकी बात नहीं मानी। हमें शर्म आती है कि देश में एक तिहाई लोग निरक्षर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं के अभाव में मौतें हो रही हैं। इसकी जिम्मेदारी समाज की है। विद्यालयों के माध्यम से हम ग्रामीणों को शिक्षित करेंगे।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
कम्पयूटर के साथ-साथ खेल भी जरूरी
स्कूल में आने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ कंप्यूटर ज्ञान और खेल सिखाएंगे। इन विद्यालयों में विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास के लिए सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक पढ़ाई के साथ-साथ खेल एवं कंप्यूटर शिक्षा दी जाएगी। सीएम मंगलवार को आजाद पार्क में एकल विद्यालय अभियान के अंचल प्रणाम कार्यक्रम के दौरान संबोधित कर रही थीं। सीएम राजे ने कहा कि संस्कार आधारित शिक्षा से ही प्रदेश और देश में विकास की क्रांति आएगी। तभी डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया तथा मेक इन इंडिया जैसे अभियान सफल होंगे। हम विकसित देशों की तर्ज पर ही प्रदेश में शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं, ताकि हमारी नई पीढ़ी शिक्षित होकर योग्य नागरिक बन सके।
इतने बच्चों को मिलेगा शिक्षा
हम राजस्थान में संस्कारयुक्त शिक्षा की क्रांति लाएंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और संस्कृति का ज्ञान देना भी जरूरी है। यह खुशी की बात है कि एकल विद्यालय अभियान जैसे कार्यक्रम बिना किसी सरकारी मदद के इस कार्य को कर रहे हैं। इस अभियान के तहत 15 लाख बच्चों को शिक्षित और संस्कारित किया गया है।
क्या था महात्मा गांधी का सपना
राजे ने “एक गांव, एक शिक्षक, एक विद्यालय’ की अवधारणा की सराहना करते हुए कहा कि इससे शिक्षा के साथ-साथ दूरदराज के गांव के सर्वांगीण विकास में भी सहयोग मिलता है। इन विद्यालयों में पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य, कौशल विकास, स्वाभिमान जागरण और संस्कार शिक्षा की सराहना की। एकल ग्लोबल के सुभाष चंद्रा ने कहा कि महात्मा गांधी ने एक सपना संजोया था। गांव सक्षम हों और बागडोर गांव के हाथों में हो, किसी कारणवश ऐसा नहीं हुआ। सारी ताकत दिल्ली में एकत्र हो गई। हम गांव को पूर्ण स्वराज चाहते हैं। उन्होंने बताया कि
यह अभियान झारखंड से शुरू होकर एक लाख गांव तक पहुंच गया है।
इसलिए हैरान हो गयी सीएम
राजे ने कहा कि मैं हैरान हूं। देश में 53 हजार एकल विद्यालय संचालित हैं। नेपाल में 1600, प्रदेश में 3500 और अजमेर में 390 स्कूल हैं। अब अजमेर में पांच सौ स्कूल हो जाएंगे। उन्होंने इस बात की सराहना की कि एकल विद्यालय में माताएं और युवा शामिल हैं। बच्चे पढ़ाई तो सरकारी स्कूलों में जाकर कर लेंगे, लेकिन पंच नीति का जो जोड़ बनाया है, वह अच्छा है। विश्व के विकसित राष्ट्र भी शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं।
भामाशाहों का किया स्वागत
एकल विद्यालय का खर्च वहन करने वाले भामाशाहों का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया। अजमेर अंचल के जिलाध्यक्ष सुभाष काबरा ने राजे को बताया कि जिले में अब 500 विद्यालय संचालित होंगे। इनका खर्च स्थानीय भामाशाह उठाएंगे। शतकवीर भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने 50 विद्यालय गोद लिए हैं एवं इसके लिए 21 लाख रुपए देने की घोषणा की है। इस पर राजे ने कहा कि पलाड़ा काफी सक्षम हैं उन्हें और जिम्मेदारी सौंपी जाए। इस पर काबरा ने कहा कि 500 विद्यालयों के खर्च वहन में जो कमी आएगी, वह पलाड़ा द्वारा पूरी की जाएगी।
नेहरू ने नहीं मानी थी गांधी की नसीहत
मुख्य वक्ता एवं एकल अभियान के संगठन प्रभारी और संस्थापक श्याम गुप्त ने कहा कि देश को आजादी के बाद विचारधारा की बात चली। महात्मा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर खेती और शिक्षित होने की बात कही। लेकिन नेहरू ने उनकी बात नहीं मानी। हमें शर्म आती है कि देश में एक तिहाई लोग निरक्षर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं के अभाव में मौतें हो रही हैं। इसकी जिम्मेदारी समाज की है। विद्यालयों के माध्यम से हम ग्रामीणों को शिक्षित करेंगे।
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