अजमेर/निखिल शर्मा : मानव संसाधन विकास मंत्रालय की टाउन मैपिंग योजना के तहत महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय कोटा व जोधपुर शहर का डाटाबेस तैयार करेगा। विवि का रिमोट सेंसिंग विभाग दोनों शहरों का मास्टर प्लान तैयार कर जीआइएस (ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम) की मदद से डाटाबेस बनाएगा। योजना के अंतर्गत चयनित शहर जोधपुर और कोटा को डिजिटल नक्शे पर उभारा जाएगा।
डिजिटल नक्शे में दोनों शहरों के सभी भवनों को आवासीय व वाणिज्यिक, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, गार्डन आदि के रूप में पृथक-पृथक दर्शाया जाएगा। डाटाबेस में प्रत्येक भवन की लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई, भवन की मंजिलें सहित सभी जानकारियां उपलब्ध होंगी। इसके पश्चात उन्हें बिजली, पानी, गैस, फोन केबल, डिश व इंटरनेट सहित सभी दैनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा। डाटाबेस तैयार होने के बाद किस क्षेत्र के कितने घरों अथवा भवनों में कौनसी सुविधाएं हैं व कौनसी नहीं, इसका आकलन करना आसान होगा।
विद्यार्थी होंगे शामिल, मिलेगा स्टाइपेंड
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक शहर का डाटाबेस तैयार करने के लिए 30 लाख रुपए का बजट जारी किया है। प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 100 दिन का समय दिया गया है। मंत्रालय को विवि की ओर से प्रोजेक्ट से जुड़ा प्रजंटेशन काफी पसन्द आया है। एेसे में अब विवि की टीम इसका मास्टर प्लान तैयार करने में जुटी है। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में रिमोट सेंसिंग विभाग के शिक्षकों सहित रिसर्च स्कॉलर व विद्यार्थी भी शामिल होंगे। प्रोजेक्ट में कार्य करने वाले विद्यार्थियों को स्टाइपेंड (प्रोत्साहन राशि) व प्रमाण-पत्र भी दिए जाएंगे।
इनका कहना है
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से शहरों का डाटाबेस तैयार करने के लिए हमें चुना गया है। यह विवि के लिए गर्व की बात है। प्रोजेक्ट को तय समय में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
-प्रो. सर्वेश पालरिया, विभागाध्यक्ष, रिमोट सेंसिंग विभाग मदस विवि अजमेर
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
डिजिटल नक्शे में दोनों शहरों के सभी भवनों को आवासीय व वाणिज्यिक, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, गार्डन आदि के रूप में पृथक-पृथक दर्शाया जाएगा। डाटाबेस में प्रत्येक भवन की लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई, भवन की मंजिलें सहित सभी जानकारियां उपलब्ध होंगी। इसके पश्चात उन्हें बिजली, पानी, गैस, फोन केबल, डिश व इंटरनेट सहित सभी दैनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा। डाटाबेस तैयार होने के बाद किस क्षेत्र के कितने घरों अथवा भवनों में कौनसी सुविधाएं हैं व कौनसी नहीं, इसका आकलन करना आसान होगा।
विद्यार्थी होंगे शामिल, मिलेगा स्टाइपेंड
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक शहर का डाटाबेस तैयार करने के लिए 30 लाख रुपए का बजट जारी किया है। प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 100 दिन का समय दिया गया है। मंत्रालय को विवि की ओर से प्रोजेक्ट से जुड़ा प्रजंटेशन काफी पसन्द आया है। एेसे में अब विवि की टीम इसका मास्टर प्लान तैयार करने में जुटी है। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में रिमोट सेंसिंग विभाग के शिक्षकों सहित रिसर्च स्कॉलर व विद्यार्थी भी शामिल होंगे। प्रोजेक्ट में कार्य करने वाले विद्यार्थियों को स्टाइपेंड (प्रोत्साहन राशि) व प्रमाण-पत्र भी दिए जाएंगे।
इनका कहना है
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से शहरों का डाटाबेस तैयार करने के लिए हमें चुना गया है। यह विवि के लिए गर्व की बात है। प्रोजेक्ट को तय समय में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
-प्रो. सर्वेश पालरिया, विभागाध्यक्ष, रिमोट सेंसिंग विभाग मदस विवि अजमेर
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