जयपुर.निजी स्कूलों से मुकाबले व केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर के लिए खोले गए स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूलों में इन दिनों प्रवेश की मारामारी चल रही है। अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करा रहे इन स्कूलों में नए सत्र के प्रवेश के लिए सीटों के मुकाबले दो से पांच गुणा तक आवेदन आ गए हैं।
यहां तक कि बीच की कक्षा में सीट खाली नहीं होने के बावजूद अभिभावकों ने बच्चों के प्रवेश की उम्मीद में आवेदन जमा करा दिए। सागवाड़ा के मॉडल स्कूल में 9वीं में एक भी सीट खाली नहीं है और 203 आवेदन जमा हो गए। यहां की छठी कक्षा की 80 सीटों के लिए 450 आवेदन आ गए। यही स्थिति प्रदेश में वर्तमान में चल रहे 71 मॉडल स्कूलों की है। इन स्कूलों में वर्तमान में 20 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।
शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी का कहना है कि शिक्षकों की टीम के आधार पर अच्छी शिक्षा दे रहे हैं। इससे समाज में अच्छा संदेश गया है। दूर-दराज गांव के लोग कभी अच्छे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ने का सोच भी नहीं सकते। वे इन मॉडल स्कूलों में अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यही कारण है कि इन स्कूलों में प्रवेश के लिए होड़ सी है।
इसलिए खोले थे मॉडल स्कूल
प्रदेश सरकार ने शैक्षिक रूप से पिछड़े 186 ब्लॉकों में मॉडल स्कूल खोलने की योजना बनाई थी। सरकार का उद्देश्य था कि ऐसे स्कूल तैयार किए जाएं जहां केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर शिक्षा दी जा सके। इन ब्लॉकों में इसलिए खोलने की योजना बनाई कि यहां के लोग निजी स्कूलों में महंगी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते। इसलिए इन इलाकों में ही उनके स्तर की शिक्षा उपलब्ध करा दी जाए।
71 चल रहे हैं 61 एक जुलाई से : 186 मॉडल स्कूलों में से 71 स्कूल अभी चल रहे हैं। इनमें से 61 का तीसरा सत्र है और 5 स्कूलों का दूसरा सत्र। दो सत्रों में ही अच्छी पढ़ाई के कारण इन स्कूलों में प्रवेश के लिए होड़ मची है। यह स्कूल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध है और उसी के आधार पर एक अप्रैल से सत्र संचालित है। शेष 54 मॉडल स्कूलों के बारे में अभी राज्य सरकार को निर्णय करना है। इसका कारण है कि अब इन स्कूलों के लिए केंद्र से बजट मिलना बंद हो गया है और राज्य को बजट देना है।
यह हैं सुविधाएं : कक्षा 6 से 12 तक के अंग्रेजी माध्यम के इन मॉडल स्कूलों में इंग्लिश लैंग्वेज लैब, कंप्यूटर लैब, वर्चुअल लैब सहित अन्य सुविधाएं हैं। प्रिंसिपल और अध्यापकों का चयन भी साक्षात्कार से होता है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा अभियान के अतिरिक्त निदेशक जस्सा राम चौधरी ने बताया कि स्कूल में वाई फाई की सुविधा है। सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। शिक्षकों की उपस्थिति बायोमेट्रिक से हो रही है। अब नए सत्र से बच्चों की उपस्थिति भी इसी प्रकार होगी। निजी स्कूलों की तरह यहां भी खेल व अन्य गतिविधियों के लिए हाउस भी बने हैं। उनकी ड्रेस निर्धारित है और हर शनिवार को बच्चों को अपने हाउस की ड्रेस में ही आना होता है।
प्रवेश की नीति भी है तय : इन स्कूलों में प्रवेश के लिए नीति निर्धारित है। कक्षा 6 से 8 तक सबसे पहले बीपीएल, विधवा, परित्यक्ता, फिर अंत्योदय परिवार के विद्यार्थी, फिर एससी,एसटी, ओबीसी के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। इसके बाद सीट खाली रहने पर अन्य विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
यहां तक कि बीच की कक्षा में सीट खाली नहीं होने के बावजूद अभिभावकों ने बच्चों के प्रवेश की उम्मीद में आवेदन जमा करा दिए। सागवाड़ा के मॉडल स्कूल में 9वीं में एक भी सीट खाली नहीं है और 203 आवेदन जमा हो गए। यहां की छठी कक्षा की 80 सीटों के लिए 450 आवेदन आ गए। यही स्थिति प्रदेश में वर्तमान में चल रहे 71 मॉडल स्कूलों की है। इन स्कूलों में वर्तमान में 20 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।
शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी का कहना है कि शिक्षकों की टीम के आधार पर अच्छी शिक्षा दे रहे हैं। इससे समाज में अच्छा संदेश गया है। दूर-दराज गांव के लोग कभी अच्छे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ने का सोच भी नहीं सकते। वे इन मॉडल स्कूलों में अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यही कारण है कि इन स्कूलों में प्रवेश के लिए होड़ सी है।
इसलिए खोले थे मॉडल स्कूल
प्रदेश सरकार ने शैक्षिक रूप से पिछड़े 186 ब्लॉकों में मॉडल स्कूल खोलने की योजना बनाई थी। सरकार का उद्देश्य था कि ऐसे स्कूल तैयार किए जाएं जहां केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर शिक्षा दी जा सके। इन ब्लॉकों में इसलिए खोलने की योजना बनाई कि यहां के लोग निजी स्कूलों में महंगी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते। इसलिए इन इलाकों में ही उनके स्तर की शिक्षा उपलब्ध करा दी जाए।
71 चल रहे हैं 61 एक जुलाई से : 186 मॉडल स्कूलों में से 71 स्कूल अभी चल रहे हैं। इनमें से 61 का तीसरा सत्र है और 5 स्कूलों का दूसरा सत्र। दो सत्रों में ही अच्छी पढ़ाई के कारण इन स्कूलों में प्रवेश के लिए होड़ मची है। यह स्कूल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध है और उसी के आधार पर एक अप्रैल से सत्र संचालित है। शेष 54 मॉडल स्कूलों के बारे में अभी राज्य सरकार को निर्णय करना है। इसका कारण है कि अब इन स्कूलों के लिए केंद्र से बजट मिलना बंद हो गया है और राज्य को बजट देना है।
यह हैं सुविधाएं : कक्षा 6 से 12 तक के अंग्रेजी माध्यम के इन मॉडल स्कूलों में इंग्लिश लैंग्वेज लैब, कंप्यूटर लैब, वर्चुअल लैब सहित अन्य सुविधाएं हैं। प्रिंसिपल और अध्यापकों का चयन भी साक्षात्कार से होता है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा अभियान के अतिरिक्त निदेशक जस्सा राम चौधरी ने बताया कि स्कूल में वाई फाई की सुविधा है। सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। शिक्षकों की उपस्थिति बायोमेट्रिक से हो रही है। अब नए सत्र से बच्चों की उपस्थिति भी इसी प्रकार होगी। निजी स्कूलों की तरह यहां भी खेल व अन्य गतिविधियों के लिए हाउस भी बने हैं। उनकी ड्रेस निर्धारित है और हर शनिवार को बच्चों को अपने हाउस की ड्रेस में ही आना होता है।
प्रवेश की नीति भी है तय : इन स्कूलों में प्रवेश के लिए नीति निर्धारित है। कक्षा 6 से 8 तक सबसे पहले बीपीएल, विधवा, परित्यक्ता, फिर अंत्योदय परिवार के विद्यार्थी, फिर एससी,एसटी, ओबीसी के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। इसके बाद सीट खाली रहने पर अन्य विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है।
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