मंत्री का वादा- स्कूलों को नहीं बनने देंगे दुकान - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

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Wednesday 6 April 2016

मंत्री का वादा- स्कूलों को नहीं बनने देंगे दुकान

जयपुर. प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए प्रस्तावित फीस सम्बन्धी कानून न सिर्फ निजी स्कूलों के शुल्क का नियमन करेगा, बल्कि यूनिफॉर्म, किताबों और अन्य सम्बन्धित सामग्री को लेकर भी अभिभावकों की परेशानी दूर करने के प्रावधान इसमें होगा।

इसके लिए विधेयक के कानून बनने के बाद अलग से नियम-निर्देश जारी किए जाएंगे। शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने मंगलवार को विधानसभा में राजस्थान विद्यालय विधेयक (फीस का विनियमन)2016 पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि निजी स्कूलों में व्यवसाय नहीं चलने दिया जाएगा। सरकार विद्यालयों के निजीकरण के पक्ष में तो है, लेकिन व्यवसायीकरण के पक्ष में नहीं। जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
यूनिफॉर्म और किताबों के लिए बनेंगे नियम
विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों पर देवनानी ने कहा कि नया कानून राजस्थान और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दोनों के ही स्कूलों पर समान रूप से लागू होगा। निजी स्कूलों में किताबों, यूनिफॉर्म समेत कई चीजों को लेकर शिकायतें रहती हैं। अभिभावकों की शिकायतें रहती हैं। इसके बारे में नियम-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
ये होंगे निर्देश
किताबों, लेखक व मूल्य की सूची एक माह पूर्व नोटिस बोर्ड पर लगाएंगे
कम से कम तीन दुकानों पर यह पुस्तकें उपलब्ध होंगी
जूतें, कॉपियां अभिभावक खुले बाजार से खरीद सकेंगे।
शिक्षण सामग्री पर विद्यालय का नाम कहीं अंकित नहीं होगा।
यूनिफॉर्म तय होने के बाद पांच साल तक नहीं बदल सकेंगे।
'इसलिए लाए नया विधेयक'
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान बनी फीस कमेटी ने तीन वर्ष में सिर्फ 9483 स्कूलों की ही फीस तय की थी। जबकि, निजी स्कूलों की संख्या प्रदेश में 34 हजार से अधिक है । सभी स्कूलों की फीस निर्धारण में बहुत अधिक समय लगता। कमेटी में शिक्षक, अभिभावकों की भूमिका ही नहीं थी। इसलिए निजी स्कूल संचालकों के द्वारा मनमानी की जा रही थी। इसके साथ ही कमेटी के फैसलों को भी न्यायालय में चुनौती दी गई। इसको देखते हुए सरकार को नए कानून की आवश्यकता महसूस हुई। इसलिए यह बदलाव किया जा रहा है।
इनका कहना है...
बढ़ी फीस पर इसी सत्र से लगे रोक
पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष दिनेश कांवट ने कहा कि अब इसके आधार पर नियमों के लागू होने में देरी नहीं होनी चाहिए। एेसा प्रावधान किया जाए कि मौजूदा सत्र में बढ़ी फीस को भी वापस लिया जाए। अभिभावकों का कहना है कि सरकार को स्कूलों में सज रही किताब कॉपियों की दुकानों पर भी तुरंत प्रभाव से रोक लगानी चाहिए।
गलत है, हम इसका विरोध करेंगे
स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ राजस्थान के अध्यक्ष सत्यव्रत सामवेदी और मंत्री किशन मित्तल ने बताया कि इसमें खामियां हैं। निजी स्कूल विरोध करेंगे। स्कूल शिक्षा परिवार की अध्यक्ष हेमलता शर्मा व सोसायटी फॉर अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष दामोदर प्रसाद गोयल ने कहा कि नया कानून अभिभावक व स्कूल के हितों के खिलाफ है।
इसी सत्र से लागू हों नियम : अभिभावक
मौलिक अधिकारों का हनन : संचालक
स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ोतरी के खिलाफ राजस्थान पत्रिका का 'विद्या का व्यापार' अभियान के पांचवें दिन ही सुखद समाचार आया। मंगलवार को राज्य विधानाभा में नया फीस विधेयक पास हो गया। प्रदेशभर के अभिभावकों ने इस पर खुशी जाहिर की। अभिभावकों के संगठनों ने इसे तुरंत और इसी सत्र से लागू करने की मांग की। वहीं 2013 के कानून का विरोध कर नए फीस कानून की मांग करने वाले स्कूल संगठनों ने फिर से विरोध जता दिया है। संचालकों ने इसे अपने मौलिक अधिकारों का हनन तक बता दिया।

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