जयपुर। तृतीय श्रेणी शिक्षकों के मामले में उदासीन रवैया अपनाने और सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों का मजबूती से पक्ष नहीं रखने पर राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ ने शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महासंघ ने मुख्यमंत्री से देवनानी को हटाने की मांग की है।
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार के उदासीन रवैये के चलते 2012 में चयनित हुए तृतीय श्रेणी के 13 हज़ार 339 शिक्षकों के साथ ही 2013 में चयनित हुए 7 हज़ार शिक्षकों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है। जबकि 13 हज़ार 339 तो पिछले तीन साल से नौकरी कर रहे हैं।
यादव ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट में पेरवी कर 2013 में चयनित हुए 7 हज़ार शिक्षकों के जल्द नियुक्ति दिए जाने की मांग की।
यादव ने कहा कि आरटेट मामले में अंतिम सुनवाई 6 अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट में हई जिसमें सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट नहीं जाने की वजह से सरकार अपना मजबूत पक्ष नहीं रख पाई। इसकी वजह से आरटेट में 60 प्रतिशत से कम 2012 के 13 हज़ार 339 शिक्षक तीन साल से कार्यरत हैं। उनकी नौकरी पर भी संकट के बादल हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास अभी मौका है, अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखती है तो हजारों शिक्षकों की नौकरी बच सकती है। साथ ही उन्होंनेे मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले शिक्षा राज्यमंत्री को हटाया जाए।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार के उदासीन रवैये के चलते 2012 में चयनित हुए तृतीय श्रेणी के 13 हज़ार 339 शिक्षकों के साथ ही 2013 में चयनित हुए 7 हज़ार शिक्षकों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है। जबकि 13 हज़ार 339 तो पिछले तीन साल से नौकरी कर रहे हैं।
यादव ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट में पेरवी कर 2013 में चयनित हुए 7 हज़ार शिक्षकों के जल्द नियुक्ति दिए जाने की मांग की।
यादव ने कहा कि आरटेट मामले में अंतिम सुनवाई 6 अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट में हई जिसमें सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट नहीं जाने की वजह से सरकार अपना मजबूत पक्ष नहीं रख पाई। इसकी वजह से आरटेट में 60 प्रतिशत से कम 2012 के 13 हज़ार 339 शिक्षक तीन साल से कार्यरत हैं। उनकी नौकरी पर भी संकट के बादल हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास अभी मौका है, अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखती है तो हजारों शिक्षकों की नौकरी बच सकती है। साथ ही उन्होंनेे मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले शिक्षा राज्यमंत्री को हटाया जाए।
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