सरकारी स्कूलों के बच्चों को मिलने वाले मिड-डे मील में अब संस्था प्रधान
लापरवाही नहीं बरत सकेंगे। उन्हें तय मानकों के अनुसार प्रोटीन और कैलोरी
युक्त भोजन देना होगा। चिकित्सा विभाग अब किशनगढ़ उपखंड के 246 राजकीय
स्कूलों के हजारांे बच्चे को दिए जा रहे मिड डे मील की जांच करेगा।
विभाग ने इस संबंध में मिड डे मील, स्कूलों में बनने वाले पोषाहार की जांच के लिए स्कूलों एवं केंद्रीकृत रसोईघरों का चयन कर हर माह में एक बार निरीक्षण सैंपल लेने के आदेश जारी किए है।
मिड डे मील निदेशालय की ओर से लिखे गए पत्र भारत सरकार के निर्देश के बाद अब इस्तेमाल किए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्रा की चिकित्सा विभाग जांच करेगा। चिकित्सा विभाग पोषाहार में मिलने वाले पदार्थाें की गुणवत्ता, वितरण की स्थिति, रोजाना डाइट मिल रही है या नहीं इसकी निगरानी करेगा। इससे पोषाहार वितरण में सुधार होगा। अब तक पोषाहार वितरण के दौरान कई खामियां सामने आई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद चिकित्सा विभाग की ओर से चलाए गए अभियान में मावा मावे से बनी मिठाइयों के लिए 1189 सैंपल में से 145 नमूने मिलावटी मिले है। इनमें से 34 सैंपल अनसेफ पाए गए। इसके अलावा 111 सब स्टेंडर्ड पाए गए है। लैब में 17 सैंपल अनसेफ मिले है। इससे पूर्व सरकार की ओर से हाल ही में जारी आदेश में एसपी और आईजी रैंंक के अधिकारियों को भी स्क्ूलों में पोषाहार की जांच करने के निर्देश जारी किए है। समय-समय पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से भी पोषाहार की गुणवत्ता की जांच की जाती है।
^स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार की जांच के निर्देश आए है। सप्ताह में पोषाहार की जांच के बाद रिपोर्ट भेजी जाएगी। पोषाहार में कैलोरी गुणवत्ता की जांच होगी। डॉ.के. के. सोनी, डिप्टी सीमएचओ
^राष्ट्रीयखाद्य सुरक्षा अधिनियम की पालना के लिए स्कूली बच्चों को दिया जाने वाले मिड मील में काम के लिए जाने वाले पोषक तत्वों में प्रोटीन या कैलोरी की मात्र सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलों के सीएमएचअो को निर्देश दिए हैं। जिसके तहत माह में एक बार निरीक्षण सैंपल लेगा। साथ ही मौके पर हैल्थ एंड हाइजीन की रिपोर्ट तैयार करेगा। डॉ.सुनील सिंह, अतिरिक्त निदेशक (ग्रामीण स्वास्थ्य)ƹ
मदनगंज-किशनगढ़- अब स्कूलों में बंटने वाले मिड-डे मील। (फाइल फोटो)
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विभाग ने इस संबंध में मिड डे मील, स्कूलों में बनने वाले पोषाहार की जांच के लिए स्कूलों एवं केंद्रीकृत रसोईघरों का चयन कर हर माह में एक बार निरीक्षण सैंपल लेने के आदेश जारी किए है।
मिड डे मील निदेशालय की ओर से लिखे गए पत्र भारत सरकार के निर्देश के बाद अब इस्तेमाल किए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्रा की चिकित्सा विभाग जांच करेगा। चिकित्सा विभाग पोषाहार में मिलने वाले पदार्थाें की गुणवत्ता, वितरण की स्थिति, रोजाना डाइट मिल रही है या नहीं इसकी निगरानी करेगा। इससे पोषाहार वितरण में सुधार होगा। अब तक पोषाहार वितरण के दौरान कई खामियां सामने आई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद चिकित्सा विभाग की ओर से चलाए गए अभियान में मावा मावे से बनी मिठाइयों के लिए 1189 सैंपल में से 145 नमूने मिलावटी मिले है। इनमें से 34 सैंपल अनसेफ पाए गए। इसके अलावा 111 सब स्टेंडर्ड पाए गए है। लैब में 17 सैंपल अनसेफ मिले है। इससे पूर्व सरकार की ओर से हाल ही में जारी आदेश में एसपी और आईजी रैंंक के अधिकारियों को भी स्क्ूलों में पोषाहार की जांच करने के निर्देश जारी किए है। समय-समय पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से भी पोषाहार की गुणवत्ता की जांच की जाती है।
^स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार की जांच के निर्देश आए है। सप्ताह में पोषाहार की जांच के बाद रिपोर्ट भेजी जाएगी। पोषाहार में कैलोरी गुणवत्ता की जांच होगी। डॉ.के. के. सोनी, डिप्टी सीमएचओ
^राष्ट्रीयखाद्य सुरक्षा अधिनियम की पालना के लिए स्कूली बच्चों को दिया जाने वाले मिड मील में काम के लिए जाने वाले पोषक तत्वों में प्रोटीन या कैलोरी की मात्र सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलों के सीएमएचअो को निर्देश दिए हैं। जिसके तहत माह में एक बार निरीक्षण सैंपल लेगा। साथ ही मौके पर हैल्थ एंड हाइजीन की रिपोर्ट तैयार करेगा। डॉ.सुनील सिंह, अतिरिक्त निदेशक (ग्रामीण स्वास्थ्य)ƹ
मदनगंज-किशनगढ़- अब स्कूलों में बंटने वाले मिड-डे मील। (फाइल फोटो)
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