कोटा. गवर्नर कोटा आने को हुए तो विश्वविद्यालय प्रशासन को गोद लिए गांव
की याद आ गई। व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए आनन-फानन में कोटा विवि के
अफसर डूंगरज्या की ओर दौड़ पड़े। प्रशासनिक अधिकारियों को भी बुला लिया
गया। ग्रामीणों की जरूरतें पता करने के लिए तीन घंटे से भी ज्यादा वक्त तक
बैठक चली।
आखिर में ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के भरोसे न रहने की सीख देकर अफसर कोटा वापस लौट आए।
राज्यपाल कल्याण सिंह ने पांच मई 2015 को प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को एक-एक गांव गोद लेकर उनके समग्र विकास की जिम्मेदारी सौंपी थी। आदेश मिलने के बाद कोटा विश्वविद्यालय ने पहले समीपस्थ नयागांव को गोद ले लिया, लेकिन दो जुलाई 2015 को विवि प्रबंध मंडल की बैठक में इसे खारिज कर दीगोद विधानसभा के गांव डूंगरज्या को गोद लेने का फैसला हुआ। विश्वविद्यालय ने कुलसचिव, संकाय प्रभारियों और डीएसडब्ल्यू की एक कमेटी बनाकर गांव के विकास का खाका खींचने की जिम्मेदारी सौंपी। योजना को अमली जामा पहनाने के लिए भी एक दस सदस्यीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति गठित कर दी गई, लेकिन कोटा विवि के दीक्षांत समारोह के साथ ही गांव के विकास का काम भी टलता गया। विवि प्रशासन गांव के विकास का खाका खींचने का दावा तो कर रहा है, लेकिन बीते छह महीनों में अमल एक भी योजना पर नहीं हो सका है।
अब लगाई दौड़
राजभवन ने कोटा विश्वविद्यालय को फरवरी में दीक्षांत समारोह आयोजित करने का निर्देश दिया तो अफसरों को गोद लिया गांव भी याद आ गया। अचानक आई मुसीबत से बचने के लिए कोटा विवि ने जिला प्रशासन तक को डूंगरज्या के विकास में साझेदारी करने के लिए पत्र लिख डाला। सोमवार को कुलसचिव अम्बिका दत्त चतुर्वेदी, प्रो. एनके जैमन और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रांत शर्मा आदि की टीम आनन-फानन में गांव भी पहुंच गई। जिला कलक्टर के निर्देश पर दीगोद के एसडीएम और तहसीलदार भी मौके पर पहुंच गए। सबसे पहले अफसरों ने गांव का दौरा किया और फिर कमल सरोवर में बैठक कर ग्रामीणों से उनकी समस्याएं और डिजायर पूछी। ग्रामीणों ने शौचालय से लेकर खेत-खलिहान, मनरेगा, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और सड़क तक की दर्जनों समस्याएं गिना दी। जिसे सुनकर अफसरों के पसीने छूट गए। असमंजस में फंसे विवि अफसर आखिर में ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के भरोसे ही बैठे न रहने की सीख देते नजर आए।
विवि गोद लिए गांव में कौन-कौन से काम करा सकता है यह जानने के लिए डूंगरज्या गए थे। लोगों से बात कर उनकी समस्याएं पता की हैं। जल्द ही उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी।
अम्बिका दत्त चतुर्वेदी, कुलसचिव, कोटा विवि
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
आखिर में ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के भरोसे न रहने की सीख देकर अफसर कोटा वापस लौट आए।
राज्यपाल कल्याण सिंह ने पांच मई 2015 को प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को एक-एक गांव गोद लेकर उनके समग्र विकास की जिम्मेदारी सौंपी थी। आदेश मिलने के बाद कोटा विश्वविद्यालय ने पहले समीपस्थ नयागांव को गोद ले लिया, लेकिन दो जुलाई 2015 को विवि प्रबंध मंडल की बैठक में इसे खारिज कर दीगोद विधानसभा के गांव डूंगरज्या को गोद लेने का फैसला हुआ। विश्वविद्यालय ने कुलसचिव, संकाय प्रभारियों और डीएसडब्ल्यू की एक कमेटी बनाकर गांव के विकास का खाका खींचने की जिम्मेदारी सौंपी। योजना को अमली जामा पहनाने के लिए भी एक दस सदस्यीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति गठित कर दी गई, लेकिन कोटा विवि के दीक्षांत समारोह के साथ ही गांव के विकास का काम भी टलता गया। विवि प्रशासन गांव के विकास का खाका खींचने का दावा तो कर रहा है, लेकिन बीते छह महीनों में अमल एक भी योजना पर नहीं हो सका है।
अब लगाई दौड़
राजभवन ने कोटा विश्वविद्यालय को फरवरी में दीक्षांत समारोह आयोजित करने का निर्देश दिया तो अफसरों को गोद लिया गांव भी याद आ गया। अचानक आई मुसीबत से बचने के लिए कोटा विवि ने जिला प्रशासन तक को डूंगरज्या के विकास में साझेदारी करने के लिए पत्र लिख डाला। सोमवार को कुलसचिव अम्बिका दत्त चतुर्वेदी, प्रो. एनके जैमन और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रांत शर्मा आदि की टीम आनन-फानन में गांव भी पहुंच गई। जिला कलक्टर के निर्देश पर दीगोद के एसडीएम और तहसीलदार भी मौके पर पहुंच गए। सबसे पहले अफसरों ने गांव का दौरा किया और फिर कमल सरोवर में बैठक कर ग्रामीणों से उनकी समस्याएं और डिजायर पूछी। ग्रामीणों ने शौचालय से लेकर खेत-खलिहान, मनरेगा, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और सड़क तक की दर्जनों समस्याएं गिना दी। जिसे सुनकर अफसरों के पसीने छूट गए। असमंजस में फंसे विवि अफसर आखिर में ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के भरोसे ही बैठे न रहने की सीख देते नजर आए।
विवि गोद लिए गांव में कौन-कौन से काम करा सकता है यह जानने के लिए डूंगरज्या गए थे। लोगों से बात कर उनकी समस्याएं पता की हैं। जल्द ही उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी।
अम्बिका दत्त चतुर्वेदी, कुलसचिव, कोटा विवि
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