बाड़मेर राज्य में होमगार्ड के करीब तीस हजार जवानों को न तो पर्याप्त रोजगार मिल रहा है, न ही ये बेरोजगार की श्रेणी में हैं। रोटेशन के आधार पर इन्हें रोजगार मिल रहा है। इसके तहत चार महीने रोजगार व आठ महीने खाली हाथ रहना पड़ रहा है। इन हालात में जवानों के सामने रोजी रोटी का गंभीर संकट है। हालांकि हाईकोर्ट व मानवाधिकार आयोग की एकल पीठ ने होमगार्ड जवानों को पुलिस कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन के समकक्ष मानदेय व नियमित ड्यूटी देने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैं, लेकिन ये आदेश क्रियान्वित नहीं हुए हैं। होमगार्ड के जवान इन आदेशों की क्रियान्विति का इंतजार कर रहे हैं।
उपस्थिति प्रतिमाह देने का नियम
होमगार्ड जवानों को ड्यूटी भले ही वर्ष में चार महीने ही मिल रही है, लेकिन उन्हें प्रत्येक महीने की पच्चीस तारीख को कम्पनी हैडक्वाटर पर उपस्थिति देनी पड़ती है। ऐसे में जवानों का तर्क है कि वे अपने गृह जिले से दूर कहीं बाहर जाकर कोई अन्य कामकाज नहीं कर पाते और मौसमी बेरोजगारी के शिकार हैं।
प्रतिदिन 325 रुपए मानदेय
इन्हें ड्यूटी मिलने पर प्रतिदिन 325 रुपए मानदेय मिलता है। शहर क्षेत्र के आठ किलोमीटर के दायरे के बाहर ड्यूटी मिलने पर उन्हें 85 रुपए अतिरिक्त मिलते हैं। एक जवान को औसतन वर्ष भर में चार महीने ड्यूटी मिलती है। ऐसे में उसे वर्ष भर में मात्र करीब चालीस से पचास हजार रुपए मानदेय पर संतोष करना पड़ रहा है।
एकलपीठ ने दिया निर्णय
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग की एकलपीठ के अध्यक्ष एच आर कुड़ी ने होमगार्ड जवानों के विभिन्न परिवादों का निस्तारण करते हुए 18 मार्च 2015 को राज्य सरकार को निर्देश दिए कि होमगार्ड को पुलिस को पुलिस कांस्टेबल का न्यूनतम वेतन, भत्ते, पेंशन, चिकित्सा सुविधा देने एवं होमगार्ड एक्ट 1963 व संशोधित एक्ट 2009 के अंतर्गत कार्यदशा में सुधार के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन करें।
इसके लिए तीन माह का समय दिया गया। पीठ ने समिति के निर्णय तक अंतरिम तौर पर पुलिस कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन के समकक्ष होमगार्ड को वेतन देने एवं रोटेशन प्रणाली समाप्त कर वर्ष भर ड्यूटी देने के आदेश दिए, लेकिन अभी तक इसकी पालना नहीं हुई है। इसी तरह हाईकोर्ट ने ईश्वर बनाम राज्य सरकार तथा अन्य एक दर्जन होमगार्ड की याचिकाओं का निस्तारण करते हुए नियमित ड्यूटी के आदेश दिए, लेकिन इन आदेशों की भी पालना नहीं हुई है।
सड़कों पर उतरेंगे होमगार्ड
मानवाधिकार आयोग की एकलपीठ के निर्णय व हाईकोर्ट के आदेशों की शीघ्र ही पालना नहीं हुई तो राज्य भर के होमगार्ड्स सड़कों पर उतरेंगे और अपने अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन करेंगे।
झलकनसिंह राठौड़, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान होमगार्ड कर्मचारी संगठन
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