बेसिक शिक्षा नियमावली जारी होने के बाद शिक्षा विभाग ने नई भर्ती की तैयारी शुरू कर दी है। अपात्र शिक्षा मित्रों के पद रिक्त मानते हुए सभी डीईओ-बेसिक को भर्ती के निर्देश दिए जा रहे हैं। डीएलएड और टीईटी न होने के कारण करीब दो हजार शिक्षा मित्र अपात्र की श्रेणी में हैं।
अपर निदेशक-बेसिक वीएस रावत ने बताया कि सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक)संशोधित सेवा नियमावली मंगलवार को विधिवत रूप से जारी कर दी। नियमावली सभी डीईओ को भेजी जा रही है। इसके अनुसार 31 मार्च 2019 तक डीएलएड या टीईटी न कर पाए शिक्षकों का अपात्र माना गया है। लिहाजा ऐसे सभी शिक्षा मित्रों के पद रिक्त मानते हुए आगे भर्ती की कार्यवाही की जाए। वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में इन पदों को भी शामिल किया जाएगा। इन पर ऊहापोह : हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2015 में सहायक अध्यापक बनाए करीब 2800 शिक्षा मित्रों को परमानेंट शिक्षक की तरह 4200 रुपये ग्रेड पे मिल रहा है। नियमावली के अनुसार अब ये भी इस पद को अपात्र हो चुके हैं। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि इन के बाबत सरकार से निर्देश लिए जा रहे हैं।
इन पर संकट
वर्ष 2015 में हाईकोर्ट के आदेश पर 2800शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए गए थे। इन में से 1200 के करीब ही टीईटी कर पाए। इसके बाद 2013-14 में मानदेय आधारित 1070 शिक्षा मित्रों में भी 329 के करीब ही टीईटी पास कर पाए। बाकी अर्ह नहीं हैं।
वर्ष 2015 में हाईकोर्ट के आदेश पर 2800शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए गए थे। इन में से 1200 के करीब ही टीईटी कर पाए। इसके बाद 2013-14 में मानदेय आधारित 1070 शिक्षा मित्रों में भी 329 के करीब ही टीईटी पास कर पाए। बाकी अर्ह नहीं हैं।
टीईटी को वक्त मिले
डीएलएड-टीईटी विहीन शिक्षा मित्रों ने सरकार से टीईटी के लिए कुछ वक्त मांगा है। समायोजित प्राथमिक शिक्षक के प्रदेश अध्यक्ष ललित द्विवेदी ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने से पहले करीब 2800 शिक्षा मित्रों की नियुक्ति हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर 2015 में उन्हें औपबंधिक रूप से सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त कर दिया गया था। इनमें 1500 के करीब अभी टीईटी नहीं कर पाए हैं। जबकि एनसीटीई पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इन शिक्षा मित्रों के लिए टीईटी अनिवार्य नहीं है। पर, उस आदेश का नोटिफिकेशन न होने से यह समस्या आई। ऐसे शिक्षा मित्रों को अनर्ह मान भर्ती करना नाइंसाफी है। इस बाबत केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक को भी ज्ञापन दिया गया है।
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