राजस्थान सरकार ने वर्ष 2013 में कनिष्ठ लिपिकों की सीधी भर्ती के शेष
रहे 10,000 रिक्त पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने और इसे पूरा
करने का फैसला किया है।
यह काम छह साल से रुका हुआ था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह फैसला किया है। इसके तहत पंचायतीराज विभाग के माध्यम से वर्ष 2013 में कनिष्ठ लिपिकों की सीधी भर्ती के शेष रहे 10,029 रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने तथा इस भर्ती को पूरा करने का फैसला किया है। इससे पिछले लगभग छह साल से नियुक्ति की राह देख रहे युवाओं की आस पूरी होगी।
2013 में मांगे गए थे आवेदन
उल्लेखनीय है कि पंचायतीराज विभाग ने वर्ष 2013 में 33 जिला परिषदों में कनिष्ठ लिपिकों के 19,275 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इनमें अभ्यर्थियों को सीनियर सैकंडरी परीक्षा में प्राप्तांकों का 70 प्रतिशत वेटेज दिए जाने व अनुभव के आधार पर प्रतिवर्ष दस बोनस अंक (अधिकतम 30 अंक) का वेटेज देने तथा आर.एस.सी.आई.टी. की पात्रता का प्रावधान किया गया था।
15 जुलाई 2013 को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी थी
इस भर्ती में से चयन के बाद वर्ष 2013 में ही 7,755 अभ्यर्थियों ने कार्यग्रहण कर लिया था। इसी बीच उच्च न्यायालय ने 15 जुलाई 2013 को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी तथा यह मामला विस्तृत पीठ में चला गया। पीठ ने 25 सितम्बर 2013 के अपने निर्णय में सेवा अनुभव के बोनस अंकों की अधिकतम सीमा 15 अंक निर्धारित कर दी। इस निर्णय पर राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की।
10,029 पदों की भर्ती प्रक्रिया अब पूरी होगी
शीर्ष न्यायालय ने 29 नवम्बर 2016 को अपने निर्णय में राज्य सरकार द्वारा सेवा अनुभव के अधिकतम 30 बोनस अंकों को सही माना और सरकार की अपील स्वीकार कर ली। इस फैसले के बाद भी पूर्ववर्ती सरकार ने जिला परिषदों द्वारा पहले जारी कटऑफ सीमा तक ही नियुक्ति प्रदान की जिस कारण 1,156 अभ्यर्थी ही कार्यभार ग्रहण कर सके। भाषा की खबर के मुताबिक, अब मुख्यमंत्री गहलोत ने इस मामले में संवेदनशील रुख अपनाते हुए रिक्त रहे 10,029 पदों की भर्ती प्रक्रिया को पूरी करने का निर्णय किया है।
यह काम छह साल से रुका हुआ था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह फैसला किया है। इसके तहत पंचायतीराज विभाग के माध्यम से वर्ष 2013 में कनिष्ठ लिपिकों की सीधी भर्ती के शेष रहे 10,029 रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने तथा इस भर्ती को पूरा करने का फैसला किया है। इससे पिछले लगभग छह साल से नियुक्ति की राह देख रहे युवाओं की आस पूरी होगी।
2013 में मांगे गए थे आवेदन
उल्लेखनीय है कि पंचायतीराज विभाग ने वर्ष 2013 में 33 जिला परिषदों में कनिष्ठ लिपिकों के 19,275 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इनमें अभ्यर्थियों को सीनियर सैकंडरी परीक्षा में प्राप्तांकों का 70 प्रतिशत वेटेज दिए जाने व अनुभव के आधार पर प्रतिवर्ष दस बोनस अंक (अधिकतम 30 अंक) का वेटेज देने तथा आर.एस.सी.आई.टी. की पात्रता का प्रावधान किया गया था।
15 जुलाई 2013 को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी थी
इस भर्ती में से चयन के बाद वर्ष 2013 में ही 7,755 अभ्यर्थियों ने कार्यग्रहण कर लिया था। इसी बीच उच्च न्यायालय ने 15 जुलाई 2013 को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी तथा यह मामला विस्तृत पीठ में चला गया। पीठ ने 25 सितम्बर 2013 के अपने निर्णय में सेवा अनुभव के बोनस अंकों की अधिकतम सीमा 15 अंक निर्धारित कर दी। इस निर्णय पर राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की।
10,029 पदों की भर्ती प्रक्रिया अब पूरी होगी
शीर्ष न्यायालय ने 29 नवम्बर 2016 को अपने निर्णय में राज्य सरकार द्वारा सेवा अनुभव के अधिकतम 30 बोनस अंकों को सही माना और सरकार की अपील स्वीकार कर ली। इस फैसले के बाद भी पूर्ववर्ती सरकार ने जिला परिषदों द्वारा पहले जारी कटऑफ सीमा तक ही नियुक्ति प्रदान की जिस कारण 1,156 अभ्यर्थी ही कार्यभार ग्रहण कर सके। भाषा की खबर के मुताबिक, अब मुख्यमंत्री गहलोत ने इस मामले में संवेदनशील रुख अपनाते हुए रिक्त रहे 10,029 पदों की भर्ती प्रक्रिया को पूरी करने का निर्णय किया है।
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