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Friday 23 November 2018

प्रवेश पत्र पर लिखा परीक्षा केंद्र का गलत नाम, परीक्षा नहीं दे पाए पति-पत्नी, अब आरपीएससी पर 50-50 हजार का जुर्माना

सात साल पहले द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रवेश पत्र पर गलत पता लिखने के कारण परीक्षा न दे पाए झुंझुनूं जिले के एक दंपती को राहत प्रदान करते हुए जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच ने आरपीएसपी को निर्देश दिए हैं वह दोनों को अनुतोष के रूप में 50-50 हजार रुपए तथा परिवाद व्यय के पेटे 5-5 हजार रुपए अदा करे।
साथ ही परिवाद की तिथि से अब तक की अवधि (2013 से 2018 तक) का इस पर आठ प्रतिशत ब्याज भी दे। परिवाद के अनुसार चिड़ावा पंचायत समिति के तिगियास गांव निवासी दंपती राजश्री कटारिया व उनके पति भंवरलाल मेघवाल ने जून, 2011 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) में ऑनलाइन आवेदन किया था।

इसकी परीक्षा 8 दिसंबर, 2011 को तय कर आयोग ने सभी परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र अपने वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड किए थे। इस पर राजश्री कटारिया व भंवरलाल मेघवाल ने 6 दिसंबर को अपने प्रवेश पत्र डाउनलोड किए। उनमें परीक्षा केंद्र का पता सरस्वती बाल मंदिर सीनियर सैकंडरी स्कूल, रेलवे फाटक, चिड़ावा अंकित था।

2013 से अब तक 8 प्रतिशत ब्याज भी चुकाने के निर्देश

परीक्षा वाले दिन दोनों चिड़ावा में रेलवे फाटक के समीप इस स्कूल को ढूंढ़ते रहे। तब तक चिड़ावा में दस बज कर दस मिनट का समय हो गया जबकि परीक्षा दस बजे शुरू हो चुकी थी। चिड़ावा में ही उन्हें जानकारी मिली थी,कि उनका केंद्र बलवंतपुरा चेलासी (नवलगढ़) में रेलवे फाटक के समीप है। इसके बाद राजश्री व भंवरलाल 11 बज कर 25 मिनट पर बलंवतपुरा चेलासी में उस स्कूल तक पहुंचे, वहां केंद्र अधीक्षक को देरी से आने का वाजिब कारण भी बताया, लेकिन परीक्षा देने नहीं दी। दोनों ने बताया कि अगले दिन उन्होंने इसी परीक्षा का दूसरा पेपर दिया जिसमें उन्हें क्रमश: 121.27 व 112.93 अंक मिले। वे पहला पेपर देते तो वे पास होकर शिक्षक बनते। उन्हें बतौर क्षतिपूर्ति तीन-तीन लाख रुपए, तीन लाख रुपए एरियर, तीन-तीन लाख रुपए बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी तथा मानसिक संताप पेटे दो-दो लाख व परिवाद व्यय के दस-दस हजार रुपए दिलाए जाएं। जिला उपभोक्ता मंच के न्यायाधीश महेंद्र कुमार शर्मा तथा सदस्य शिव कुमार शर्मा ने 15 नवंबर को फैसला सुनाया।

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