जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बिहार सरकार
के सुर में सुर मिलाते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि नियोजित शिक्षक
नियमित शिक्षकों के समान नहीं है। नियोजित शिक्षकों को प्रतियोगी परीक्षा
के बाद मेरिट के आधार पर भर्ती किये गए नियमित शिक्षकों के बराबर नहीं माना
जा सकता।
दोनों की भर्ती प्रक्रिया में अंतर है।केंद्र सरकार की ओर से ये
बात सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गए ताजा हलफनामें मे कही गई है। इसके साथ
ही बिहार सरकार ने कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान नियोजित शिक्षकों को
नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने की मांग का विरोध किया। सुनवाई बुधवार
को भी जारी रहेगी।
समान कार्य समान वेतन
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि नियोजित और नियमित शिक्षकों की
भर्ती में अंतर है। नियमित शिक्षकों की भर्ती बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन
(बीपीएससी) द्वारा आयोजित प्रतियोगी भर्ती परीक्षा के जरिये होती है। जिसमे
दो स्तर की परीक्षा होती है पहली प्रारंभिक जिसमे सामान्य ज्ञान परीक्षा
होती है और दूसरी मुख्य परीक्षा जिसमें साहित्य, गणित और सामान्य ज्ञान
परीक्षा होती है।
केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
बीपीएससी भर्ती के जिलावार पैनल तैयार करता है। जिसके आधार पर जिला
मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला शिक्षा स्थापना कमेटी नियुक्तियां करती
है। इस प्रक्रिया के जरिये करीब 26800 भर्तियां हुईं थीं। जबकि दूसरी ओर
नियोजित शिक्षकों की भर्ती बिहार पंचायत एलीमेंट्री टीचर्स स्कूल रूल के
तहत होती है। ये भर्तियां 9000 स्थानीय निकायों जैसे पंचायत, ब्लाक, नगर
पंचायत, नगर परिषद, नगर निगम या जिला परिषद के जरिए होता है।
नियोजित शिक्षकों की भर्ती शैक्षणिक योग्यता में प्राप्त अंकों और
ट्रेनिंग और एकेडेमिक कोर्स में प्राप्त अंको के आधार पर होती है। केन्द्र
का कहना है कि इससे साफ होता है कि नियोजित शिक्षकों की भर्ती नियमित
शिक्षकों की भर्ती के समान नहीं है। इनकी भर्ती की कोई प्रतियोगी भर्ती
परीक्षा नहीं हुई। इतना ही नहीं दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की
प्रक्रिया में भी अंतर है।
नियमित शिक्षकों के खिलाफ बिहार गवर्नमेंट सर्वेट रूल के तहत
अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है जबकि नियोजित शिक्षकों के खिलाफ स्थानीय
निकाय की भर्ती यूनिट कार्रवाई कर सकती है। ऐसे में कर्तव्य का निर्वाहन न
करने वाले नियोजित शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करना काफी
मुश्किल होता है।
उधर बहस के दौरान बिहार सरकार ने कोर्ट में दलीलें रखते हुए नियोजित
शिक्षकों को नियमित के बराबर वेतन देने का विरोध किया। कहा कि उन्हें
नियमित के बराबर वेतनमान देने से राज्य सरकार पर बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ
आयेगा। अगर ऐसा करना पड़ेगा को स्कूल बंद करने पड़ेंगे। मामले में बहस
बुधवार को भी जारी रहेगी।
हाईकोर्ट ने कहा था कि समान कार्य के लिए समान वेतन देना होगा क्योंकि
नियोजित शिक्षक भी नियमित शिक्षकों के समान कार्य कर रहे हैं जिसके खिलाफ
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है जिस पर आजकल बहस चल रही
है।
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Tuesday 31 July 2018
केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, नियोजित शिक्षक नहीं हैं नियमित शिक्षकों के बराबर
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