स्कूल स्टाफ की ड्यूटी है कि वह उसके अभिभावक को फोन कर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर बच्चे के स्कूल नहीं पहुंचने का पता लगाएं, तभी ड्रॉप आउट को रोका जा सकता है। ये बात प्रारंभिक शिक्षा डायरेक्टर श्यामसिंह राजपुरोहित ने कही। वे होटल व्यू वैली में एसआईईआरटी, यूनिसेफ, एजुकेट गर्ल्स व समग्र शिक्षा अभियान के दो दिन के “आउट ऑफ चिल्ड्रन’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार के आखिरी दिन बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों के हुनर को पढ़ें और उसे आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करें। दूसरे दिन ग्रुप डिस्कशन हुआ, सुझावों के माध्यम से राजस्थान में ड्रॉप आउट बच्चों को स्कूल से जोड़ने को लेकर पॉलिसी बनाई जाएगी।
उदयपुर, जालोर, जोधपुर, पाली में सबसे ज्यादा ड्रॉप आउट बच्चे
समग्र शिक्षा अभियान आयुक्त डॉ. जोगाराम ने कहा कि प्रदेश में करीब 70 हजार ड्रॉप आउट बच्चे हैं। चित्तौड़गढ़, उदयपुर, जालोर, जोधपुर, पाली व सिरोही में सबसे ज्यादा है।
आईएएस अफसरों के ये सुझाव आए, करेंगे पहल
पंचायत स्तर पर हर घर में स्कूल से वंचित बच्चों का पता लगाना। इसकी जिम्मेदार पंचायत यूनिट की है।
प्रत्येक बच्चे का डाटा ऑनलाइन होगा, ताकि सभी को हर बच्चे की डिटेल आसानी से पता लगे।
डॉटा के आधार पर योजना बनानी होगी। जिसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी प्रत्येक स्टाफ की होगी।
एमआईएस सिस्टम के आधार पर ड्रॉप आउट बच्चों को ट्रेकिंग के जरिए पता लगाना होगा।
No comments:
Post a Comment