अदालत ने कहा है कि स्कूल प्रशासन की ओर से आयोजित किए जाने वाले ऐसे मेलों में स्कूली बच्चों से दवाब डालकर टिकट बिकवाने से उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश वर्ष 2004 में स्कूल के अभिभावकों की ओर से भेजी पत्र याचिका का निस्तारण करते हुए दिए।
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पत्र याचिका में कहा गया था कि स्कूल को जनरेटर खरीदने के लिए फंड एकत्रित करना है। इसलिए स्कूल प्रशासन की ओर से मेला आयोजित किया जा रहा है। इसमें बडों के लिए दस रुपए और बच्चों के लिए पांच रुपए का टिकट रखा गया है। पत्र में यह भी कहा गया था कि स्कूली बच्चों से दवाब डालकर तय संख्या में टिकट बिकवाए जा रहे हैं। इसके अलावा जो टिकट नहीं बिके, उनकी राशि भी संबंधित बच्चों से वसूली जा रही है।
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वहीं स्कूल प्रशासन की ओर से कहा गया कि बचे हुए टिकट वापस ले लिए गए थे। इसके अलावा बच्चों पर किसी तरह का दवाब नहीं डाला गया। इसके बावजूद भी यदि किसी कानून का उल्लंघन हुआ है तो स्कूल प्रशासन बिना सशर्त माफी मांगता है। वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि स्कूलों की ओर से आए दिन ऐसे आयोजन किए जाते हैं। प्रकरण हाईकोर्ट में कई सालों से लंबित है। ऐसे में प्रकरण का निस्तारण करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
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