जोधपुर .
राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस विजय विश्नोई ने राष्ट्रीय विधि
विश्वविद्यालय जोधपुर की ओर से दायर याचिका की सुनवाई में राजस्थान सूचना
आयोग की ओर से ७ सितंम्बर को जारी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।
आयोग की ओर से विवि द्वारा आवेदनकर्ता को नियमानुसार सूचना उपलब्ध कराने बाबत जारी किए गए आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए ड्यू-कोर्स में सुनवाई के लिए सूचिबद्ध किए जाने के आदेश दिए हैं।
याचिकाकर्ता विवि की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता राजवेन्द्र सारस्वत ने कहा कि केवीएट कर्ता तथा सूचना के अधिकार एक्ट २००५ के तहत समय-समय पर सूचनाएं मांगने वाला अप्रार्थी सुरेन्द्र जैन प्रोफेशनल एक्टिविस्ट है। उसने अनेक बार सूचनाएं दिए जाने की मांग की है। इस बार उन्होंने विवि के आरंभ से अब तक हुई शिक्षक भर्ती आदि का पूरा रिकॉर्ड सहित, रजिस्ट्रार व वीसी के वाहनों की लॉगबुक, उनके द्वारा की गई यात्राओं आदि की जानकारी दिए जाने की मांग की। विवि ने उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार कुछ सूचनाएं उपलब्ध करा दी। अनुपलब्ध सूचनाएं नहीं दे पाए। इस कारण उन्होंने पहली अपील रजिस्ट्रार के पास की, जहां से खारिज हो जाने के बाद राजस्थान सूचना आयोग के पास द्वितीय अपील की गई। आयोग ने अप्रार्थी जैन के पक्ष में ७ सितंबर २०१७ को आदेश जारी करते हुए विवि को नियमानुसार सूचनाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिए।
सुप्रीमकोर्ट की नजीर पेश
अधिवक्ता सारस्वत ने सीबीएसई बनाम आदित्य बंधोपाध्याय मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की नजीर पेश कर कहा कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं में से सिर्फ उपलब्ध सूचनाएं ही दी जा सकती हैं। जो सूचनाएं रिकॉर्ड में नहीं है, उसे दिए जाने का नहीं कहा जा सकता। इस पर अप्रार्थी जैन ने कहा कि जो सूचनाएं मांगी गई हैं वे संपूर्ण रिकॉर्ड विवि में उपलब्ध है इसलिए इनकी जानकारी मांगना कुछ भी गलत नहीं है।
आयोग की ओर से विवि द्वारा आवेदनकर्ता को नियमानुसार सूचना उपलब्ध कराने बाबत जारी किए गए आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए ड्यू-कोर्स में सुनवाई के लिए सूचिबद्ध किए जाने के आदेश दिए हैं।
याचिकाकर्ता विवि की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता राजवेन्द्र सारस्वत ने कहा कि केवीएट कर्ता तथा सूचना के अधिकार एक्ट २००५ के तहत समय-समय पर सूचनाएं मांगने वाला अप्रार्थी सुरेन्द्र जैन प्रोफेशनल एक्टिविस्ट है। उसने अनेक बार सूचनाएं दिए जाने की मांग की है। इस बार उन्होंने विवि के आरंभ से अब तक हुई शिक्षक भर्ती आदि का पूरा रिकॉर्ड सहित, रजिस्ट्रार व वीसी के वाहनों की लॉगबुक, उनके द्वारा की गई यात्राओं आदि की जानकारी दिए जाने की मांग की। विवि ने उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार कुछ सूचनाएं उपलब्ध करा दी। अनुपलब्ध सूचनाएं नहीं दे पाए। इस कारण उन्होंने पहली अपील रजिस्ट्रार के पास की, जहां से खारिज हो जाने के बाद राजस्थान सूचना आयोग के पास द्वितीय अपील की गई। आयोग ने अप्रार्थी जैन के पक्ष में ७ सितंबर २०१७ को आदेश जारी करते हुए विवि को नियमानुसार सूचनाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिए।
सुप्रीमकोर्ट की नजीर पेश
अधिवक्ता सारस्वत ने सीबीएसई बनाम आदित्य बंधोपाध्याय मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की नजीर पेश कर कहा कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं में से सिर्फ उपलब्ध सूचनाएं ही दी जा सकती हैं। जो सूचनाएं रिकॉर्ड में नहीं है, उसे दिए जाने का नहीं कहा जा सकता। इस पर अप्रार्थी जैन ने कहा कि जो सूचनाएं मांगी गई हैं वे संपूर्ण रिकॉर्ड विवि में उपलब्ध है इसलिए इनकी जानकारी मांगना कुछ भी गलत नहीं है।
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