भास्कर संवाददाता | डूंगरपुर जिला परिषद सीईओ परशुराम धानका को कार्मिक विभाग ने दूसरी बार एपीओ किया
है। इसके पहले भी 2002 में 1 माह 21 दिनों तक वह एपीओ रह चुके है। तब
बानसूर अलवर में एसडीएम के पद पर कार्यरत थे। इसके बाद इन्हें सरकार ने
दुबारा पोस्टिंग दी गई थी।
पिछले एक माह से सीईओ धानका पर डूंगरपुर जिला परिषद में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के मामले में गड़बडिय़ों के आरोप लगे थे, इस बीच धानका स्वयं ने ही कलेक्टर आवास में अपहरण का आरोप लगाते हुए स्वयं को डूंगरपुर से हटाने की गुहार सरकार से लगाई थी, लेकिन अभी भी यह सरकार और विभागों के बीच यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि धानका को एपीओ उनके स्वयं के कहने पर किया है या फिर पोस्टिंग में सामने आई गड़बडिय़ों या फिर समानता मंच के दबाव में किया गया है।
अब तक का कार्यकाल : अधिकांशकार्यकाल पंचायतीराज और ग्रामीण विकास विभाग में ही कार्यरत रहे हैं। शुरुआती दिनों को छोड़ दिया जाए तो बाद के समय सीईओ धानका बांसवाड़ा, डूंगरपुर, पाली और नागौर में बतौर सीईओ काम कर चुके है।
सूत्रों के अनुसार धानका का डूंगरपुर से काफी लगाव था। इस कार्यकाल से पहले भी दो बार डूंगरपुर में सीईओ रह चुके थे। तीसरी बार बांसवाड़ा से स्थानांतरित होकर डूंगरपुर सीईओ बने थे। बताया जा रहा है कि सत्ताधारी दल के एक स्थानीय जनप्रतिनिधि की सिफारिश पर ही धानका को डूंगरपुर में लगाया गया था। इसके पहले (कार्मिक विभाग की रिपोर्ट के अनुसार) 24 जून 2013 से लेकर 1 मार्च 2014 तक डूंगरपुर में सीईओ रहे। फिर 27 अक्टूबर 2014 से लेकर 6 जुलाई 2016 तक, आखिरी बार 10 मई 2017 से लेकर 28 नवंबर 2017 तक डूंगरपुर में सीईओ रहे है। खास बात तो यह है कि धानका के अलावा ऐसा कोई अधिकारी नहीं रहा है जो डूंगरपुर में तीन बार बतौर सीईओ जिला परिषद में रहे हो।
पिछले एक माह से सीईओ धानका पर डूंगरपुर जिला परिषद में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के मामले में गड़बडिय़ों के आरोप लगे थे, इस बीच धानका स्वयं ने ही कलेक्टर आवास में अपहरण का आरोप लगाते हुए स्वयं को डूंगरपुर से हटाने की गुहार सरकार से लगाई थी, लेकिन अभी भी यह सरकार और विभागों के बीच यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि धानका को एपीओ उनके स्वयं के कहने पर किया है या फिर पोस्टिंग में सामने आई गड़बडिय़ों या फिर समानता मंच के दबाव में किया गया है।
अब तक का कार्यकाल : अधिकांशकार्यकाल पंचायतीराज और ग्रामीण विकास विभाग में ही कार्यरत रहे हैं। शुरुआती दिनों को छोड़ दिया जाए तो बाद के समय सीईओ धानका बांसवाड़ा, डूंगरपुर, पाली और नागौर में बतौर सीईओ काम कर चुके है।
सूत्रों के अनुसार धानका का डूंगरपुर से काफी लगाव था। इस कार्यकाल से पहले भी दो बार डूंगरपुर में सीईओ रह चुके थे। तीसरी बार बांसवाड़ा से स्थानांतरित होकर डूंगरपुर सीईओ बने थे। बताया जा रहा है कि सत्ताधारी दल के एक स्थानीय जनप्रतिनिधि की सिफारिश पर ही धानका को डूंगरपुर में लगाया गया था। इसके पहले (कार्मिक विभाग की रिपोर्ट के अनुसार) 24 जून 2013 से लेकर 1 मार्च 2014 तक डूंगरपुर में सीईओ रहे। फिर 27 अक्टूबर 2014 से लेकर 6 जुलाई 2016 तक, आखिरी बार 10 मई 2017 से लेकर 28 नवंबर 2017 तक डूंगरपुर में सीईओ रहे है। खास बात तो यह है कि धानका के अलावा ऐसा कोई अधिकारी नहीं रहा है जो डूंगरपुर में तीन बार बतौर सीईओ जिला परिषद में रहे हो।
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