प्रदेशके गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया के जवानों की वेतन कटौतियों सहित
अन्य मांगों को वाजिब बताने वाले बयान पर शिक्षकों ने कटारिया से इस्तीफे
की मांग की है।
शिक्षकों का कहना है कि कटारिया काे अगर मांगें वाजिब लगती हैं, तो मानते क्यों नहीं। वे मांगों को मानें या फिर अपने पद से इस्तीफा दे दें।
शिक्षकों ने ये बात बुधवार को अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के बैनर तले कलेक्ट्री पर जवानों की मांगों के समर्थन में एक दिवसीय अनशन के दौरान कही। महासंघ के संघर्ष समिति के संयोजक शेरसिंह चौहान के नेतृत्व में धरना दिया गया। इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और वेतन कटौती के निर्णय को वापस लेने की मांग की। शिक्षकों ने कहा कि पुलिसकर्मी लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे हैं लेकिन उनकी मांगों पर सरकार चुप है। बल्कि पुलिस-प्रशासन के अधिकारी पुलिस कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करके उनके आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। लोकतंत्र इसकी इजाजत नहीं देता। राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष नवीन व्यास ने कहा कि पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता है और रात-दिन कहीं भी मनमानी ड्यूटी लगा दी जाती है जो शोषण है। पुलिस कर्मियों की सेवा संबंधी प्रकरणों के निस्तारण और कर्मचारी कल्याण के लिए कोई प्राधिकरण या मंच तक नहीं है। जहां वे अपनी वाजिब अपील कर सकें। संघ ने कलक्टर बिष्णुचरण मल्लिक को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें आदेश वापस नहीं लिए जाने पर आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। प्रतिनिधि मंडल में योगेन्द्र सिंह भाटी, चन्द्र शेखर परमार, सतीश जैन, प्रेम बैरवा, देवीसिंह सारंगदेवोत, सुरेश खंडारिया और जब्बरसिंह आदि थे।
श्रमिक संगठनों ने कहा- पुलिस कर्मियों के वेतन में से कटौती नहीं की जाए
केन्द्रीयश्रमिक संगठनों की समन्वय समिति ने कांस्टेबल की मांगों के विरोध का समर्थन किया है। समिति संयोजक पीएस खींची ने कहा कि वर्ष 2006 के बाद भर्ती पुलिस कर्मियों के वेतन में से कटौती नहीं की जाए। एक बार लागू पे-ग्रेड हमेशा रहेगी और यही आधार आने वाले वेतनमान में भी रहेगा। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मी के विरोध में संगठन साथ हैं।
मांगें नहीं मानने तक मैस का बहिष्कार जारी
मांगोंको लेकर पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों का 10 अक्टूबर से मैस बहिष्कार शुरू हुआ था जो 8वें दिन बुधवार को भी रहा। पुलिसकर्मियों का कहना है कि मांगें नहीं मानी जाएंगी तो बहिष्कार लगातार चलता रहेगा। साथ ही उग्र मेंं भी बदल सकता है। बुधवार को भी लाइन में मैस संचालक और खाना बनाने वाले मैस आए लेकिन कांस्टेबल की तरफ से मैस के बहिष्कार के कारण फिर से लौट गए।
शिक्षकों का कहना है कि कटारिया काे अगर मांगें वाजिब लगती हैं, तो मानते क्यों नहीं। वे मांगों को मानें या फिर अपने पद से इस्तीफा दे दें।
शिक्षकों ने ये बात बुधवार को अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के बैनर तले कलेक्ट्री पर जवानों की मांगों के समर्थन में एक दिवसीय अनशन के दौरान कही। महासंघ के संघर्ष समिति के संयोजक शेरसिंह चौहान के नेतृत्व में धरना दिया गया। इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और वेतन कटौती के निर्णय को वापस लेने की मांग की। शिक्षकों ने कहा कि पुलिसकर्मी लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे हैं लेकिन उनकी मांगों पर सरकार चुप है। बल्कि पुलिस-प्रशासन के अधिकारी पुलिस कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करके उनके आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। लोकतंत्र इसकी इजाजत नहीं देता। राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष नवीन व्यास ने कहा कि पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता है और रात-दिन कहीं भी मनमानी ड्यूटी लगा दी जाती है जो शोषण है। पुलिस कर्मियों की सेवा संबंधी प्रकरणों के निस्तारण और कर्मचारी कल्याण के लिए कोई प्राधिकरण या मंच तक नहीं है। जहां वे अपनी वाजिब अपील कर सकें। संघ ने कलक्टर बिष्णुचरण मल्लिक को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें आदेश वापस नहीं लिए जाने पर आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। प्रतिनिधि मंडल में योगेन्द्र सिंह भाटी, चन्द्र शेखर परमार, सतीश जैन, प्रेम बैरवा, देवीसिंह सारंगदेवोत, सुरेश खंडारिया और जब्बरसिंह आदि थे।
श्रमिक संगठनों ने कहा- पुलिस कर्मियों के वेतन में से कटौती नहीं की जाए
केन्द्रीयश्रमिक संगठनों की समन्वय समिति ने कांस्टेबल की मांगों के विरोध का समर्थन किया है। समिति संयोजक पीएस खींची ने कहा कि वर्ष 2006 के बाद भर्ती पुलिस कर्मियों के वेतन में से कटौती नहीं की जाए। एक बार लागू पे-ग्रेड हमेशा रहेगी और यही आधार आने वाले वेतनमान में भी रहेगा। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मी के विरोध में संगठन साथ हैं।
मांगें नहीं मानने तक मैस का बहिष्कार जारी
मांगोंको लेकर पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों का 10 अक्टूबर से मैस बहिष्कार शुरू हुआ था जो 8वें दिन बुधवार को भी रहा। पुलिसकर्मियों का कहना है कि मांगें नहीं मानी जाएंगी तो बहिष्कार लगातार चलता रहेगा। साथ ही उग्र मेंं भी बदल सकता है। बुधवार को भी लाइन में मैस संचालक और खाना बनाने वाले मैस आए लेकिन कांस्टेबल की तरफ से मैस के बहिष्कार के कारण फिर से लौट गए।
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