अजमेर। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार वास्तव में फिक्रमंद
नहीं दिखती। वाहवाही के चक्कर में सरकार ने कन्या महाविद्यालय तो खोल दिए
पर इनमें शिक्षक और संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। इसमें शहर का राजकीय कन्या
महाविद्यालय भी शामिल है।
यहां कई विषयों में छात्राएं स्नातकोत्तर डिग्री नहीं ले सकतीं। साथ ही शिक्षकों की कमी है। वहीं प्रदेश के सबसे पुराने सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में शिक्षकों की भरमार है।
तत्कालीन भाजपा सरकार ने 1994-95 में राजकीय कन्या महाविद्यालय स्थापित किया। यहां करीब 3 हजार छात्राएं अध्ययनरत हैं। करीब 15 साल तक कॉलेज सीमित संसाधनों में एसपीसी-जीसीए परिसर के छात्रावास में चला। सावित्री कॉलेज पर मंडराते खतरे को देखकर सरकार ने राजकीय कन्या महाविद्यालय को यहां स्थानांतरित कर दिया, लेकिन शिक्षकों और संसाधनों के मामले में यह अब तक जीसीए से पिछड़ा हुआ है।
न कॉमर्स न साइंस में पीजी
किसी भी कॉलेज में कला के साथ-साथ विज्ञान और वाणिज्य संकाय भी अहम होते हैं। विद्यार्थी इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री लेते हैं। कन्या महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर तो तीन संकाय के विषय हैं, पर स्नातकोत्तर स्तर पर हाल खराब हैं। यहां कॉमर्स और साइंस में स्नातकोत्तर विषय ही उपलब्ध नहीं है। केवल कला संकाय में राजनीति विज्ञान (एसएफएस), चित्रकला, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास और संगीत में ही स्नातकोत्तर कक्षाएं संचालित हैं। इस संकाय में भी भूगोल, संस्कृत, गृह विज्ञान, समाजशास्त्र, राजस्थानी, उर्दू, फारसी और अन्य भाषाओं की कक्षाएं नहीं हैं।
वहां ज्यादा, यहां शिक्षकों भी कमी
सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में 8 हजार से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते हैं। कला, वाणिज्य, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान संकाय में 150 से ज्यादा शिक्षक कार्यरत हैं। जूलॉजी, बॉटनी और अन्य विषयों में तो शिक्षकों की संख्या 12 से 18 के बीच है। उधर राजकीय कन्या महाविद्यालय मात्र 52 शिक्षकों के भरोसे संचालित है। विज्ञान संकाय के जूलॉजी विषय में यहां शिक्षक नहीं है।
छात्राएं उठा चुकी हैं मांग
छात्रसंघ अध्यक्ष किरण चौधरी ने बताया कि कॉलेज में भूगोल, संस्कृत, गृह विज्ञान और अन्य विषयों में एम.ए की सुविधा नहीं है। यहां जूलॉजी और अन्य विषय में व्याख्याता, पुस्तकालयाध्यक्ष पद रिक्त है। खेलकूद मैदान, हाइटेक क्लास का अभाव है।
यहां कई विषयों में छात्राएं स्नातकोत्तर डिग्री नहीं ले सकतीं। साथ ही शिक्षकों की कमी है। वहीं प्रदेश के सबसे पुराने सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में शिक्षकों की भरमार है।
तत्कालीन भाजपा सरकार ने 1994-95 में राजकीय कन्या महाविद्यालय स्थापित किया। यहां करीब 3 हजार छात्राएं अध्ययनरत हैं। करीब 15 साल तक कॉलेज सीमित संसाधनों में एसपीसी-जीसीए परिसर के छात्रावास में चला। सावित्री कॉलेज पर मंडराते खतरे को देखकर सरकार ने राजकीय कन्या महाविद्यालय को यहां स्थानांतरित कर दिया, लेकिन शिक्षकों और संसाधनों के मामले में यह अब तक जीसीए से पिछड़ा हुआ है।
न कॉमर्स न साइंस में पीजी
किसी भी कॉलेज में कला के साथ-साथ विज्ञान और वाणिज्य संकाय भी अहम होते हैं। विद्यार्थी इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री लेते हैं। कन्या महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर तो तीन संकाय के विषय हैं, पर स्नातकोत्तर स्तर पर हाल खराब हैं। यहां कॉमर्स और साइंस में स्नातकोत्तर विषय ही उपलब्ध नहीं है। केवल कला संकाय में राजनीति विज्ञान (एसएफएस), चित्रकला, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास और संगीत में ही स्नातकोत्तर कक्षाएं संचालित हैं। इस संकाय में भी भूगोल, संस्कृत, गृह विज्ञान, समाजशास्त्र, राजस्थानी, उर्दू, फारसी और अन्य भाषाओं की कक्षाएं नहीं हैं।
वहां ज्यादा, यहां शिक्षकों भी कमी
सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में 8 हजार से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते हैं। कला, वाणिज्य, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान संकाय में 150 से ज्यादा शिक्षक कार्यरत हैं। जूलॉजी, बॉटनी और अन्य विषयों में तो शिक्षकों की संख्या 12 से 18 के बीच है। उधर राजकीय कन्या महाविद्यालय मात्र 52 शिक्षकों के भरोसे संचालित है। विज्ञान संकाय के जूलॉजी विषय में यहां शिक्षक नहीं है।
छात्राएं उठा चुकी हैं मांग
छात्रसंघ अध्यक्ष किरण चौधरी ने बताया कि कॉलेज में भूगोल, संस्कृत, गृह विज्ञान और अन्य विषयों में एम.ए की सुविधा नहीं है। यहां जूलॉजी और अन्य विषय में व्याख्याता, पुस्तकालयाध्यक्ष पद रिक्त है। खेलकूद मैदान, हाइटेक क्लास का अभाव है।
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