अकलेरा बाईपास के पास रहने वाले धर्मेंद्र शर्मा का शिक्षक बनकर सेवा करने का सपना था, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। एसटीसी में चयन होने के कारण वह प्रशिक्षण में जाने वाला था कि नाव हादसे में उसकी मौत हो गई। गुरुवार को जैसे ही परवन नदी से उसका शव मिला तो पूरे परिवार के सपनों पर पानी फिर गया।
बहन निशा शर्मा ने बताया कि उसका भाई धर्मेंद्र छबड़ा में रहने वाली दीदी निखलेश शर्मा के यहां रक्षाबंधन पर गया था। बहन से मिलकर वह सुबह 9 बजे अकलेरा के लिए रवाना हो गया। इससे पहले उसने परवन नदी में पानी का पता लगाने के लिए कॉल किया तो मां ने बोला कि नदी में पानी चुका है, तुम रवाना मत होना। लेकिन वह एसटीसी प्रशिक्षण में जाने की जल्दी में रवाना हो गया। छीपाबड़ौद आकर उसने 11.40 बजे दीदी से बात की तो दीदी ने नाव से जाने के लिए मना कर दिया। इसी बीच उसने हरनावदा बस में बैठने की बात कही थी। उसके बाद शाम तक उसका मोबाइल बंद मिला। निशा का कहना था कि पापा उचावदा स्कूल में हेडमास्टर हैं। उन्होंने 15 दिन पहले ही दौसा जिले के रामगढ़ कछवाड़ा के श्याम कालेज में एसटीसी प्रशिक्षण में एडमिशन कराया था। इसी साल धर्मेंद्र ने आरएससीआईटी पास कर हिन्दी में एमए किया था। 10 अगस्त को कालेज में पहुंचने की जल्दी में ही वह कलमोदिया से पैदल चलकर परवन नदी आया और नाव मे सवार हो गया। और हादसे का शिकार हो गया। उस दिन शाम 4 बजे नदी में नाव पलटने का पता चलने पर परिवार में मातम छा गया।
बहन निशा शर्मा ने बताया कि उसका भाई धर्मेंद्र छबड़ा में रहने वाली दीदी निखलेश शर्मा के यहां रक्षाबंधन पर गया था। बहन से मिलकर वह सुबह 9 बजे अकलेरा के लिए रवाना हो गया। इससे पहले उसने परवन नदी में पानी का पता लगाने के लिए कॉल किया तो मां ने बोला कि नदी में पानी चुका है, तुम रवाना मत होना। लेकिन वह एसटीसी प्रशिक्षण में जाने की जल्दी में रवाना हो गया। छीपाबड़ौद आकर उसने 11.40 बजे दीदी से बात की तो दीदी ने नाव से जाने के लिए मना कर दिया। इसी बीच उसने हरनावदा बस में बैठने की बात कही थी। उसके बाद शाम तक उसका मोबाइल बंद मिला। निशा का कहना था कि पापा उचावदा स्कूल में हेडमास्टर हैं। उन्होंने 15 दिन पहले ही दौसा जिले के रामगढ़ कछवाड़ा के श्याम कालेज में एसटीसी प्रशिक्षण में एडमिशन कराया था। इसी साल धर्मेंद्र ने आरएससीआईटी पास कर हिन्दी में एमए किया था। 10 अगस्त को कालेज में पहुंचने की जल्दी में ही वह कलमोदिया से पैदल चलकर परवन नदी आया और नाव मे सवार हो गया। और हादसे का शिकार हो गया। उस दिन शाम 4 बजे नदी में नाव पलटने का पता चलने पर परिवार में मातम छा गया।
No comments:
Post a Comment