जयपुर, 11 अप्रेल। शिक्षा राज्यमंत्री श्री वासुदेव देवनानी ने शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठनों का आह्वान किया है कि वे प्रदेश को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी करने के राज्य सरकार के प्रयासों में सक्रिय सहभागिता निभाएं। उन्होंने कहा कि गैर सरकारी संगठन अपने कार्य का चयन ऎसे क्षेत्रों के लिए करें जहां अभी भी शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ापन है।
उन्होंने एक जिले में एक ही एन.जी.ओ को कार्य करने, एक निश्चित अवधि के बाद संबंधित एन.जी.ओ. को दूसरी जरूरत वाले क्षेत्रों में कार्य किए जाने पर भी जोर दिया।
श्री देवनानी मंगलवार को यहां शिक्षा संकुल में गैर सरकारी शैक्षिक संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन‘, ‘रूम टू रिड‘ तथा ‘ओ.ई.एल.पी.’ (ओरगनाईजेशन फॉर अरली लिटरेरी प्रमोशन) द्वारा सर्वशिक्षा अभियान के साथ मिलकर किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी ली तथा एन.जी.ओ. द्वारा किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा भी की। उन्होंंने इस बात की आवश्यकता भी जताई कि शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे़ जिलों और ब्लॉक में शिक्षा की बेहतरी के लिए अधिकाधिक कार्य किये जाएं।
एन.जी.ओ. द्वारा किए जाने वाले कार्यों के मूल्यांकन पर जोर देते हुए शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के साथ जो संगठन एम.ओ.यू. करता है, उसमें यह भी देखा जाए कि उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों से व्यावहारिक स्तर पर कितना लाभ संबंधित क्षेत्र में मिला है। उन्होंने एन.जी.ओ. के प्रतिनिधियों को संबंधित क्षेत्र के शिक्षा अधिकारियोें से सतत सम्पर्क और संवाद रखे जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भी दिए कि वे जिस एन.जी.ओ. के साथ एम.ओ.यू. हुआ है, उसके कार्यों के बारे में अपने स्तर पर नियमित रिपोर्ट भी लें ताकि शिक्षा क्षेत्र में होने वाले कार्यों की व्यवहारिकता का मूल्यांकन जमीनी स्तर पर हो सके। उन्होंने कहा कि हम सभी का प्रयास यही होना चाहिए कि संशोधनों का समुचित सदुपयोग सभी स्तरों पर हो तथा वास्तविक रूप में प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़े। विद्यालयों में नामांकन वृद्धि हो ताकि आवश्यकता वाले क्षेत्रों में शैक्षणिक सुविधाओं में निंरतर विस्तार किया जा सके।
शिक्षा राज्यमंत्री ने एनजीओ द्वारा प्रस्तुत कार्यों के दौरान इस बात पर चिंता भी जताई कि बडे़ स्तर पर प्रतिवर्ष शिक्षा क्षेत्र में लाखों-करोड़ों का व्यय किए जाने के बावजूद पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में उस अनुपात में गुणवत्ता वृद्धि नहीं हो रही है। उन्होंने एनजीओ द्वारा प्रतिवर्ष किए जाने वाले कार्य की रिपोर्ट विभागीय अधिकारियों को देने तथा विभाग के स्तर पर उसका समय पर मूल्यांकन किए जाने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण जैसी गतिविधियोें में भी एकरूपता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह निर्णय किया है कि अवकाश के दिनों में ही प्रशिक्षण हो। एन.जी.ओ. यदि प्रशिक्षण गतिविधियां क्रियान्वित करती हैं तो वह राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले प्रशिक्षण में ही अपनी विशेषज्ञता का भाग उसमें जोड़े। उन्होंने कहा कि कार्यों की मोनिटरिंग से शैक्षिक गुणवत्ता में वृद्धि होगी और यही हम सभी का उद्देश्य होना चाहिए।
राजस्थान प्राथमिक शिक्षा परिषद् के आयुक्त डॉ. जोगाराम ने कहा कि राज्य सरकार गैर सरकारी संगठनों से शिक्षा में सहयोग के लिए जो एम.ओ.यू. करती है, उसमें यह भी देखा जाएगा कि जिला एवं राज्य स्तर पर एकरूपता हो। उन्होंने कहा कि एनजीओ द्वारा किए जाने वाले कार्यों के बारे में एक मानक तैयार किया जाएगा। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित और गैर सरकार संगठनों की शैक्षणिक गतिविधियों में समानता नहीं हो। विभाग विशेष शैक्षणिक आवश्यकता वाले क्षेत्रों का विश्लेषण कर वहां की शिक्षा जरूरतों के बारे में पता लगाएगी तथा उसी आधार पर भविष्य में एनजीओ के साथ एमओयू किए जाएंगे।
बैठक में अतिरिक्त आयुक्त श्री मुकुल शर्मा ने एनजीओ द्वारा जमीनी स्तर पर परिणामोन्मुख कार्य किए जाने पर जोर दिया। बैठक में एनजीओ के प्रतिनिधियों ने अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में सर्व शिक्षा अभियान एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
उन्होंने एक जिले में एक ही एन.जी.ओ को कार्य करने, एक निश्चित अवधि के बाद संबंधित एन.जी.ओ. को दूसरी जरूरत वाले क्षेत्रों में कार्य किए जाने पर भी जोर दिया।
श्री देवनानी मंगलवार को यहां शिक्षा संकुल में गैर सरकारी शैक्षिक संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन‘, ‘रूम टू रिड‘ तथा ‘ओ.ई.एल.पी.’ (ओरगनाईजेशन फॉर अरली लिटरेरी प्रमोशन) द्वारा सर्वशिक्षा अभियान के साथ मिलकर किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी ली तथा एन.जी.ओ. द्वारा किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा भी की। उन्होंंने इस बात की आवश्यकता भी जताई कि शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे़ जिलों और ब्लॉक में शिक्षा की बेहतरी के लिए अधिकाधिक कार्य किये जाएं।
एन.जी.ओ. द्वारा किए जाने वाले कार्यों के मूल्यांकन पर जोर देते हुए शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के साथ जो संगठन एम.ओ.यू. करता है, उसमें यह भी देखा जाए कि उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों से व्यावहारिक स्तर पर कितना लाभ संबंधित क्षेत्र में मिला है। उन्होंने एन.जी.ओ. के प्रतिनिधियों को संबंधित क्षेत्र के शिक्षा अधिकारियोें से सतत सम्पर्क और संवाद रखे जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भी दिए कि वे जिस एन.जी.ओ. के साथ एम.ओ.यू. हुआ है, उसके कार्यों के बारे में अपने स्तर पर नियमित रिपोर्ट भी लें ताकि शिक्षा क्षेत्र में होने वाले कार्यों की व्यवहारिकता का मूल्यांकन जमीनी स्तर पर हो सके। उन्होंने कहा कि हम सभी का प्रयास यही होना चाहिए कि संशोधनों का समुचित सदुपयोग सभी स्तरों पर हो तथा वास्तविक रूप में प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़े। विद्यालयों में नामांकन वृद्धि हो ताकि आवश्यकता वाले क्षेत्रों में शैक्षणिक सुविधाओं में निंरतर विस्तार किया जा सके।
शिक्षा राज्यमंत्री ने एनजीओ द्वारा प्रस्तुत कार्यों के दौरान इस बात पर चिंता भी जताई कि बडे़ स्तर पर प्रतिवर्ष शिक्षा क्षेत्र में लाखों-करोड़ों का व्यय किए जाने के बावजूद पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में उस अनुपात में गुणवत्ता वृद्धि नहीं हो रही है। उन्होंने एनजीओ द्वारा प्रतिवर्ष किए जाने वाले कार्य की रिपोर्ट विभागीय अधिकारियों को देने तथा विभाग के स्तर पर उसका समय पर मूल्यांकन किए जाने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण जैसी गतिविधियोें में भी एकरूपता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह निर्णय किया है कि अवकाश के दिनों में ही प्रशिक्षण हो। एन.जी.ओ. यदि प्रशिक्षण गतिविधियां क्रियान्वित करती हैं तो वह राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले प्रशिक्षण में ही अपनी विशेषज्ञता का भाग उसमें जोड़े। उन्होंने कहा कि कार्यों की मोनिटरिंग से शैक्षिक गुणवत्ता में वृद्धि होगी और यही हम सभी का उद्देश्य होना चाहिए।
राजस्थान प्राथमिक शिक्षा परिषद् के आयुक्त डॉ. जोगाराम ने कहा कि राज्य सरकार गैर सरकारी संगठनों से शिक्षा में सहयोग के लिए जो एम.ओ.यू. करती है, उसमें यह भी देखा जाएगा कि जिला एवं राज्य स्तर पर एकरूपता हो। उन्होंने कहा कि एनजीओ द्वारा किए जाने वाले कार्यों के बारे में एक मानक तैयार किया जाएगा। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित और गैर सरकार संगठनों की शैक्षणिक गतिविधियों में समानता नहीं हो। विभाग विशेष शैक्षणिक आवश्यकता वाले क्षेत्रों का विश्लेषण कर वहां की शिक्षा जरूरतों के बारे में पता लगाएगी तथा उसी आधार पर भविष्य में एनजीओ के साथ एमओयू किए जाएंगे।
बैठक में अतिरिक्त आयुक्त श्री मुकुल शर्मा ने एनजीओ द्वारा जमीनी स्तर पर परिणामोन्मुख कार्य किए जाने पर जोर दिया। बैठक में एनजीओ के प्रतिनिधियों ने अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में सर्व शिक्षा अभियान एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
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