नीम का थाना लोहारका काम करने वाले मुन्ना की मेहनत और उनकी बेटी रेहाना की जिद बेटियों को बोझ समझने वालों के लिए सबक है। पिता के साथ लोहा पीटने वाली रेहाना ने 12वीं में 96 फीसदी अंक हासिल किए। कॉलेज टॉपर बनी। आज रेहाना चला आदर्श गांव की ब्रांड एंबेसेडर है।
रेहाना अब तक पढ़ाई छोड़ चुकी 24 बेटियों को दोबारा शिक्षा से जोड़ चुकी है। लेकिन शून्य से शिखर तक का सफर आसान नहीं था।
इसकी शुरुआत 20 साल पहले हुई जब मुन्ना लोहार और उनकी प|ी जमीला चला में आकर बसे। उन्होंने यहां लोहे के औजार बनाने का काम शुरू किया। पाई-पाई बचाकर रेहाना को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाया। रेहाना ने भी पिता की मेहनत जाया नहीं जाने दी। पढ़ाई में रात-दिन एक कर दिए। 2012-13 में 96 फीसदी अंकों के साथ 12वीं कक्षा और 70 फीसदी अंकों के साथ कॉलेज टॉप किया। रेहाना अब निजी कॉलेज में अंग्रेजी विषय से एमए कर रही हैं। साथ ही ब्रांड एंबेसेडर की जिम्मेदारी भी निभा रही है। गांव के सरपंच बीरबल काजला बताते हैं कि रेहाना ग्रामीणों को बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं। हालांकि अब भी रेहाना ने काम में पिता का हाथ बंटाना नहीं छोड़ा।
पिता के साथ काम करती रेहाना
आईएएस बनाने के लिए कोचिंग खर्च ट्रस्ट उठाएगा
गांवकी बेटी आईएएस बने, इसके लिए हाल ही में गठित हिमालय ट्रस्ट आर्थिक मदद करने को तैयार हुआ है। ट्रस्ट द्वारा रेहाना को दिल्ली या अन्य स्थान पर कोचिंग करवाई जाएगी। फिलहाल रेहाना इसी ट्रस्ट की निशुल्क कोचिंग संस्थान में तैयारी कर रही है।
इतना ही नहीं रेहाना गांव की बहु और बेटियों को भी पढ़ाई से वापस जोड़ने में जुटी हैं। स्कूल छोड़ चुकी 24 बच्चियों को वापस स्कूल में दाखिला दिला चुकी हैं। वहीं गांव की बहुओं को आगे की पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षा करने के लिए प्रेरित कर रही है। गांव की 17 बहुएं रेहाना के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है।
रेहाना अब तक पढ़ाई छोड़ चुकी 24 बेटियों को दोबारा शिक्षा से जोड़ चुकी है। लेकिन शून्य से शिखर तक का सफर आसान नहीं था।
इसकी शुरुआत 20 साल पहले हुई जब मुन्ना लोहार और उनकी प|ी जमीला चला में आकर बसे। उन्होंने यहां लोहे के औजार बनाने का काम शुरू किया। पाई-पाई बचाकर रेहाना को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाया। रेहाना ने भी पिता की मेहनत जाया नहीं जाने दी। पढ़ाई में रात-दिन एक कर दिए। 2012-13 में 96 फीसदी अंकों के साथ 12वीं कक्षा और 70 फीसदी अंकों के साथ कॉलेज टॉप किया। रेहाना अब निजी कॉलेज में अंग्रेजी विषय से एमए कर रही हैं। साथ ही ब्रांड एंबेसेडर की जिम्मेदारी भी निभा रही है। गांव के सरपंच बीरबल काजला बताते हैं कि रेहाना ग्रामीणों को बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं। हालांकि अब भी रेहाना ने काम में पिता का हाथ बंटाना नहीं छोड़ा।
पिता के साथ काम करती रेहाना
आईएएस बनाने के लिए कोचिंग खर्च ट्रस्ट उठाएगा
गांवकी बेटी आईएएस बने, इसके लिए हाल ही में गठित हिमालय ट्रस्ट आर्थिक मदद करने को तैयार हुआ है। ट्रस्ट द्वारा रेहाना को दिल्ली या अन्य स्थान पर कोचिंग करवाई जाएगी। फिलहाल रेहाना इसी ट्रस्ट की निशुल्क कोचिंग संस्थान में तैयारी कर रही है।
इतना ही नहीं रेहाना गांव की बहु और बेटियों को भी पढ़ाई से वापस जोड़ने में जुटी हैं। स्कूल छोड़ चुकी 24 बच्चियों को वापस स्कूल में दाखिला दिला चुकी हैं। वहीं गांव की बहुओं को आगे की पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षा करने के लिए प्रेरित कर रही है। गांव की 17 बहुएं रेहाना के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है।
No comments:
Post a Comment