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सीजेआई ने जताई शिक्षा व्यवस्था पर चिंता, बोले- कई स्कूलों की कक्षाओं में ब्लैकबोर्ड तक नहीं

मेयो कॉलेज अजमेर का 133वां सालाना पुरस्कार वितरण समारोह उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधिपति (सीजेआई) टीएस ठाकुर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ.

सीजेआई ठाकुर रविवार को दिल्ली से हैलिकॉप्टर में पंजाब के राज्यपाल वी पी सिंह बदनौर के साथ मेयो पहुंचे और विभिन्न शैक्षिक और खेलकूद प्रतियोगिता में अव्वल रहे छात्रों को सम्मानित किया.
इस दौरान मेयो गर्वनिंग कौंसिल के चयरमैन महाराव बृजराज सिंह ने सीजेआई का अभिवादन किया. राजस्थान की आन बान और शान पचरंगी साफे में बैठे स्कूली छात्रों को देख सीजेआई काफी प्रभावित हुए.
अपने संबोधन में सीजेआई ने देश की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि मेयो में पढ़ने वाले छात्र अपने आप को भाग्यशाली समझ सकते हैं क्योंकि देश में अभी भी कई ऐसी स्कूलें है जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं और कक्षाओं में ब्लैकबोर्ड तक नहीं है. आजादी के 70 साल के बाद भी हम अवसर मुहैया कराने में समानता नहीं ला पाए हैं जो एक चिंता की बात है. इसके साथ ही अपने संबोधन में सीजेआई ने कानून विषय की पढ़ाई पर काफी जोर दिया और कहा कि अब जरूरत आ गई है जब स्कूलों में कानून की पढ़ाई होनी चाहिए.
न्याय व्यवस्था और संविधान की जानकारी होना बेहद जरूरी है और खासतौर से नई पीढ़ी को इसकी जानकारी बुनियादी स्तर से ही मुहैया करानी चाहिए. देश की नागरिकों को अपने अधिकारों और उनकी रक्षा की जानकारी होने के साथ ही देश के प्रति कर्तव्यों का ज्ञान होना चाहिए.
अपने संबोधन के अंत में सीजेआई ने मेयो की तारीफ करते हुए कहा कि यह संस्था विश्व की बेहतरीन शैक्षिक संस्थाओं को चुनौती देने में सक्षम है और वे उम्मीद करेंगे कि उनका पोता भी यहां दाखिला ले.
उन्होनें कहा कि अधिवक्ताओं का स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज के दौर तक में काफी योगदान रहा है. राजनीति में भी वकील से राजनेता बने लोग काफी सफल साबित हो रहे हैं क्योंकि उन्हें कानून की पेंचिदगियों और बारीकियों की जानकारी है. वे उस संवैधानिक ढांचे को भलीभांति जानते और समझते हैं जिसके तहत हम सब काम करते हैं.
सीजेआई ने कहा कि कानून की शिक्षा लेने के बाद वकील का प्रोफेशन जिंदगी में बहुत अवसर देता है, जितना शायद कोई अन्य प्रोफेशन नहीं देता हो. उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम लेकर उदाहरण दिया कि अगर उन्हें सरकार से हटने के लिए कह दिया जाए तो वे एक मिनट भी नहीं सोचेंगे और वापस से अपना जैकेट और कोट पहन कर कोर्ट में वकालत करेंगे.

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