चूरू । सरकार की अनदेखी राजकीय विधि महाविद्यालय में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों पर भारी पड़ रही है। रिक्त पदों की पूर्ति नहीं किए जाने से विद्यार्थियों का अध्ययन प्रभावित हो रहा है हालांकि कॉलेज प्रशासन ने अपने स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है लेकिन यह विद्यार्थियों के लिए नाकाफी है। ऐसे में केवल एक प्राचार्य के भरोसे विद्यार्थियों का भविष्य संवर रहा है।
एक प्राचार्य के भरोसे 158 विद्यार्थी
राजकीय लोहिया महाविद्यालय परिसर में राजकीय विधि महाविद्यालय 1979 से संकाय के रूप में संचालित है। यह 2005 तक संचालित रहा। इसके बाद वर्ष 2005-06 में बार कौंसिल ऑफ इण्डिया के मानकों के अनुरूप इसकी स्वतंत्र विधि महाविद्यालय के रूप में स्थापना कर दी गई। फिलहाल कॉलेज के पास भवन की सुविधा नहीं है लेकिन शीघ्र ही यह सुविधा विद्यार्थियों को मिल जाएगी। वर्तमान में यह कॉलेज तीन कमरों में संचालित है। वर्तमान में महाविद्यालय में द्वितीय वर्ष में 82 और तृतीय वर्ष में 76 सहित कुल 158 विद्यार्थी कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार की ओर से रिक्त पद नहीं भरे जाने के कारण महाविद्यालय प्रशासन ने स्वयं के स्तर पर तीन वकील की व्यवस्था कर रखी है। वे विद्यार्थियों को कानून की पढ़ाई कराते हैं।
प्रथम वर्ष को नहीं मिली मान्यता, प्रवेश से वंचित
चूरू सहित प्रदेश के 15 राजकीय विधि महाविद्यालयों को एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश की मान्यता नहीं मिल पाई है। अब कॉलेज प्रशासन बीसीआई से सत्र 2017-18 में निरीक्षण करवाकर मान्यता के प्रयास में जुट गए हैं। प्रथम वर्ष में चूरू में दो सैक्शन में 120 सीटें निर्धारित हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को निराशा हाथ लगी।
कॉलेज शिक्षा आयुक्त की दलील भी काम नहीं आई
एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश को लेकर मान्यता देने के लिए कॉलेज शिक्षा आयुक्त अनूप खींची भी बीसीआई के समक्ष अपनी दलील रख चुके हैं लेकिन बार कौंसिल ऑफ इण्डिया नियमों के अलावा बात करने को तैयार तक नहीं है। राजकीय विधि महाविद्यालय चूरू को महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय ने सम्बद्धता तो प्रदान कर दी। इसके बावजूद बीसीआई से सम्बद्धता का अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है।
रिक्त पदों की स्थिति
प्राचार्य कार्यरत
दस व्याख्याता के पद रिक्त
एक पुस्तकालय अध्यक्ष का पद रिक्त
एक पीटीआई का पद रिक्त
एक बुक लिफ्टर का पद रिक्त
दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद रिक्त
एक स्वीपर का पद रिक्त
कॉलेज में रिक्त पदों को लेकर सरकार को
समय-समय पर अवगत जा रहा है। इसके अलावा निदेशालय को भी रिपोर्ट दी जा रही है। रिक्त पदों से परेशानियों के दौर से गुजरना पड़ रहा है।
डा.श्रवण सैनी, प्राचार्य, राजकीय विधि महाविद्यालय, चूरू
एक प्राचार्य के भरोसे 158 विद्यार्थी
राजकीय लोहिया महाविद्यालय परिसर में राजकीय विधि महाविद्यालय 1979 से संकाय के रूप में संचालित है। यह 2005 तक संचालित रहा। इसके बाद वर्ष 2005-06 में बार कौंसिल ऑफ इण्डिया के मानकों के अनुरूप इसकी स्वतंत्र विधि महाविद्यालय के रूप में स्थापना कर दी गई। फिलहाल कॉलेज के पास भवन की सुविधा नहीं है लेकिन शीघ्र ही यह सुविधा विद्यार्थियों को मिल जाएगी। वर्तमान में यह कॉलेज तीन कमरों में संचालित है। वर्तमान में महाविद्यालय में द्वितीय वर्ष में 82 और तृतीय वर्ष में 76 सहित कुल 158 विद्यार्थी कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार की ओर से रिक्त पद नहीं भरे जाने के कारण महाविद्यालय प्रशासन ने स्वयं के स्तर पर तीन वकील की व्यवस्था कर रखी है। वे विद्यार्थियों को कानून की पढ़ाई कराते हैं।
प्रथम वर्ष को नहीं मिली मान्यता, प्रवेश से वंचित
चूरू सहित प्रदेश के 15 राजकीय विधि महाविद्यालयों को एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश की मान्यता नहीं मिल पाई है। अब कॉलेज प्रशासन बीसीआई से सत्र 2017-18 में निरीक्षण करवाकर मान्यता के प्रयास में जुट गए हैं। प्रथम वर्ष में चूरू में दो सैक्शन में 120 सीटें निर्धारित हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को निराशा हाथ लगी।
कॉलेज शिक्षा आयुक्त की दलील भी काम नहीं आई
एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश को लेकर मान्यता देने के लिए कॉलेज शिक्षा आयुक्त अनूप खींची भी बीसीआई के समक्ष अपनी दलील रख चुके हैं लेकिन बार कौंसिल ऑफ इण्डिया नियमों के अलावा बात करने को तैयार तक नहीं है। राजकीय विधि महाविद्यालय चूरू को महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय ने सम्बद्धता तो प्रदान कर दी। इसके बावजूद बीसीआई से सम्बद्धता का अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है।
रिक्त पदों की स्थिति
प्राचार्य कार्यरत
दस व्याख्याता के पद रिक्त
एक पुस्तकालय अध्यक्ष का पद रिक्त
एक पीटीआई का पद रिक्त
एक बुक लिफ्टर का पद रिक्त
दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद रिक्त
एक स्वीपर का पद रिक्त
कॉलेज में रिक्त पदों को लेकर सरकार को
समय-समय पर अवगत जा रहा है। इसके अलावा निदेशालय को भी रिपोर्ट दी जा रही है। रिक्त पदों से परेशानियों के दौर से गुजरना पड़ रहा है।
डा.श्रवण सैनी, प्राचार्य, राजकीय विधि महाविद्यालय, चूरू
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