भास्कर संवाददाता| बांसवाड़ा शिक्षा विभाग प्रारंभिक में प्रबोधक के फर्जी आदेश के मामले में अब नया
मोड आया है। प्रकरण सामने आने के बाद अब शिक्षक संघ सियाराम ने दावा किया
है कि जिस आदेश को बीईईओ और डीईओ कार्यालय अवैध बता रहे है, वह आदेश
तत्कालीन डीईओ प्रभाकर आचार्य ने ही जारी किया था।
दरअसल पिछले दिनों शिक्षा विभाग में काउंसलिंग की प्रक्रिया हुई थी। इस प्रक्रिया के बाद राबाउप्रावि वजवाना में पदस्थापित प्रबोधक प्रेमलता पंड्या का बाद में संशोधन आदेश राउप्रावि अगरपुरा शहर के लिए जारी कियागया। इसी आदेश काे जांच के बाद अब अवैध बताया जा रहा है। इस प्रकरण की जांच बीईईओ प्रकाश पंड्या ने की है और जांच के लिए डीईओ प्रेमजी पाटीदार ने आदेश जारी किए है। दूसरी ओर रविवार को शिक्षक संघ सियाराम के अध्यक्ष अनिल व्यास ने पत्र जारी कर बताया कि जिस आदेश को अवैध बताया जा रहा है, उस आदेश को तत्कालीन डीईओ ने ही जारी किया था। साथ ही संगठन ने इस बात का भी दावा किया है कि 12 अन्य शिक्षकों के आदेश भी पूर्व डीईओ ने ही जारी किए थे।
आदेश नियम विरुद्ध
दूसरीओर पूर्व डीईओ आचार्य के आखिरी कार्यकाल में जारी किए गए कुछ आदेश जो संदेह के घेरे में है। वह सभी एक तरह से नियमों के विरुद्ध जारी हुए है। क्योंकि अब तक काउंसलिंग के बाद संशोधन को लेकर राज्य सरकार या विभाग ने संशोधन करने की अनुमति देने वाला कोई भी आदेश जारी नहीं किया है। ऐसे में कुछ प्रबोधकों और शिक्षकों का संशोधन काउंसलिंग के बाद कैसे हुआ है। हालांकि यह पूरा मामला जांच का है, फिलहाल तो विभाग ने कुछ आदेशों को संदेह के घेरे में रखते हुए अंदरूनी जांच की जा रही है। दूसरी ओर संगठन ने यह भी दावा किया है कि यह सभी आदेश नियम विरुद्ध है और पूर्व डीईओ अपनी पेंशन बचाने के लिए झूठ बोल रहे है।
इधर, प्रबोधक प्रेमलता पंड्या ने अपनी बात रखते हुए बताया कि बीईईओ प्रकाश पंड्या जांच के लिए आए थे, लेकिन कार्यमुक्त करने को लेकर उन्होंने रजिस्टर में ही नोट लिखा है। जबकि नियमानुसार मुझे कार्यमुक्त करने संबंधित आदेश देना था, जो नहीं दिया गया है। साथ ही जांच के दौरान जिन दस्तावेजों पर जांच टीम द्वारा हस्ताक्षर कराए गए है। वह दबाव बनाकर कराए है, सभी हस्ताक्षर को लेकर सहमत नहीं है।
^तत्कालीन डीईओ ने ही यह आदेश जारी किया है। इसके साथ ही 12 अन्य आदेश भी इन्होंने ही जारी किए है। अब पेंशन प्रकरण रुक जाए, इसलिए वह झूठ बोल कर प्रबोधकों को और संगठन को बली का बकरा बना रहे है। हस्ताक्षर आदेश इन्होंने ही जारी किए है, दावा करते है। -अनिलव्यास, अध्यक्ष शिक्षक संघ सियाराम
^जिस तरह के आदेश को लेकर इन दिनों चर्चा हो रही है। इस तरह का आदेश मैंने जारी नहीं किया है। साथ ही में कहना चाहता हूं कि मैंने नियमों के खिलाफ किसी भी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया है। यह मेरा दावा है और इस संबंध में मैंने डीईओ को भी अवगत करा दिया है। -प्रभाकर आचार्य, तत्कालीन डीईओ
दूसरी ओर प्रबोधक पंड्या के आरोप पर बीईईओ प्रकाश पंड्या ने बताया कि दबाव बनाने जैसी स्थित ही नहीं थी। और ही कोई दबाव बनाया। जब बयान दर्ज किए गए थे, तब उनकी ही संस्थाप्रधान और अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी तलवाड़ा दोनों मौजूद थे। जांच कार्रवाई इनकी मौजूदगी में हुई है। जिन प्रश्नों को पूछा गया था, वह प्रबोधक स्वयं ने अपनी स्वेच्छा से दिए है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
दरअसल पिछले दिनों शिक्षा विभाग में काउंसलिंग की प्रक्रिया हुई थी। इस प्रक्रिया के बाद राबाउप्रावि वजवाना में पदस्थापित प्रबोधक प्रेमलता पंड्या का बाद में संशोधन आदेश राउप्रावि अगरपुरा शहर के लिए जारी कियागया। इसी आदेश काे जांच के बाद अब अवैध बताया जा रहा है। इस प्रकरण की जांच बीईईओ प्रकाश पंड्या ने की है और जांच के लिए डीईओ प्रेमजी पाटीदार ने आदेश जारी किए है। दूसरी ओर रविवार को शिक्षक संघ सियाराम के अध्यक्ष अनिल व्यास ने पत्र जारी कर बताया कि जिस आदेश को अवैध बताया जा रहा है, उस आदेश को तत्कालीन डीईओ ने ही जारी किया था। साथ ही संगठन ने इस बात का भी दावा किया है कि 12 अन्य शिक्षकों के आदेश भी पूर्व डीईओ ने ही जारी किए थे।
आदेश नियम विरुद्ध
दूसरीओर पूर्व डीईओ आचार्य के आखिरी कार्यकाल में जारी किए गए कुछ आदेश जो संदेह के घेरे में है। वह सभी एक तरह से नियमों के विरुद्ध जारी हुए है। क्योंकि अब तक काउंसलिंग के बाद संशोधन को लेकर राज्य सरकार या विभाग ने संशोधन करने की अनुमति देने वाला कोई भी आदेश जारी नहीं किया है। ऐसे में कुछ प्रबोधकों और शिक्षकों का संशोधन काउंसलिंग के बाद कैसे हुआ है। हालांकि यह पूरा मामला जांच का है, फिलहाल तो विभाग ने कुछ आदेशों को संदेह के घेरे में रखते हुए अंदरूनी जांच की जा रही है। दूसरी ओर संगठन ने यह भी दावा किया है कि यह सभी आदेश नियम विरुद्ध है और पूर्व डीईओ अपनी पेंशन बचाने के लिए झूठ बोल रहे है।
इधर, प्रबोधक प्रेमलता पंड्या ने अपनी बात रखते हुए बताया कि बीईईओ प्रकाश पंड्या जांच के लिए आए थे, लेकिन कार्यमुक्त करने को लेकर उन्होंने रजिस्टर में ही नोट लिखा है। जबकि नियमानुसार मुझे कार्यमुक्त करने संबंधित आदेश देना था, जो नहीं दिया गया है। साथ ही जांच के दौरान जिन दस्तावेजों पर जांच टीम द्वारा हस्ताक्षर कराए गए है। वह दबाव बनाकर कराए है, सभी हस्ताक्षर को लेकर सहमत नहीं है।
^तत्कालीन डीईओ ने ही यह आदेश जारी किया है। इसके साथ ही 12 अन्य आदेश भी इन्होंने ही जारी किए है। अब पेंशन प्रकरण रुक जाए, इसलिए वह झूठ बोल कर प्रबोधकों को और संगठन को बली का बकरा बना रहे है। हस्ताक्षर आदेश इन्होंने ही जारी किए है, दावा करते है। -अनिलव्यास, अध्यक्ष शिक्षक संघ सियाराम
^जिस तरह के आदेश को लेकर इन दिनों चर्चा हो रही है। इस तरह का आदेश मैंने जारी नहीं किया है। साथ ही में कहना चाहता हूं कि मैंने नियमों के खिलाफ किसी भी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया है। यह मेरा दावा है और इस संबंध में मैंने डीईओ को भी अवगत करा दिया है। -प्रभाकर आचार्य, तत्कालीन डीईओ
दूसरी ओर प्रबोधक पंड्या के आरोप पर बीईईओ प्रकाश पंड्या ने बताया कि दबाव बनाने जैसी स्थित ही नहीं थी। और ही कोई दबाव बनाया। जब बयान दर्ज किए गए थे, तब उनकी ही संस्थाप्रधान और अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी तलवाड़ा दोनों मौजूद थे। जांच कार्रवाई इनकी मौजूदगी में हुई है। जिन प्रश्नों को पूछा गया था, वह प्रबोधक स्वयं ने अपनी स्वेच्छा से दिए है।
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