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Monday 10 October 2016

प्रार्थना सभा के लिये प्रेरक प्रसंग, जीवन में सूझ-बूझ

प्रार्थना सभा के लिये प्रेरक प्रसंग*जीवन में सूझ-बूझ
एक किसान थककर खेतो में लौट रह था | उसे भूख भी बहुत लगी थी लेकिन जेब में चंद सिक्के ही थे | रास्ते में हलवाई की दुकान पड़ती थी | किसान हलवाई ककी दुकान पर रुका तो उसकी मिठाइयो की सुगंध का आनंद लेने लगा | हलवाई ने उसे एसा करते देखा तो उसकी कुटिलता सूझी |

जैसे ही किसान लौटने लगा, हलवाई ने उसे रोक लिया | किसान हैरान होकर देखने लगा | हलवाई बोला- पैसे निकालो | किसान ने पूछा पैसे किस बात के? मेने तो मिठाई खाई ही नहीं | जवाब में हलवाई बोला- तुमने मिठाई खाई बेशक नहीं हैं लेकिन यहाँ यहाँ इतनी देर खड़े होकर आनंद तो लिया हैं न | मिठाई कि खुबसू लेना मिठाई खाने के बराबर हैं | तो तुम्हे उस खुसबू का आनंद उठाने के ही पैसे भरने होगे | किसान पहले तो घबरा गया लेकिन थोड़ी सूझ-बूझ बरतते हुए उसने अपनी जेब से सिक्के निकले | उन सिक्को को दोनों हाथो के बिच डालकर खनकाया | जब हलवाई ने सिक्को कि खनक सुन ली तो किसान जाने लगा | हलवाई ने फिर पैएसे मांगे तो उसने कहा- जिस तरह मिठाई कि खुशबु लेना मिताही खाने के बराबर हैं, उसी तरह सिक्को कि खनक सुनना पैसे लेनेके बराबर हैं.
*मंत्र : सूझबूझ से मुश्किल हल करे*
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