लीगल/एजुकेशनरिपोर्टर|जयपुर सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से आरटेट-2011 में आरक्षित वर्ग को दिए गए रिजर्वेशन और इसके तहत 2012 में की गई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती को सही माना है।
न्यायाधीश एके सीकरी एनवी रमाना की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार अन्य की एसएलपी को मंजूर करते हुए दिया। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के 2 जुलाई 2013 के आदेश को भी रद्द कर दिया।
इस आदेश के तहत राज्य सरकार द्वारा आरटेट-2011 के परिणाम को रद्द करते हुए 2012 में इसके तहत की गई तृतीय श्रेणी शिक्षकों का परिणाम दुबारा जारी करने तथा दुबारा चयन सूची बनाने को कहा गया था।
साथ ही शिक्षा विभाग को भी 8 हजार नए शिक्षक मिलेंगे।
इससे स्कूलों में खाली पद भर सकेंगे।
राजस्थान एकीकृत बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा-यह बेरोजगारों के लंबे संघर्ष की जीत है।
इनको मिलेगी नियुक्ति
तृतीयश्रेणी शिक्षक भर्ती 2013 में सरकार को 20 हजार पदों पर नियुक्ति करनी थी। मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण 12 हजार उन चयनितों को नियुक्ति दी गई,जिनके आरटेट में 60%से अधिक अंक थे। अब आठ हजार शिक्षकों की नियुक्ति भी हो सकेगी।
अनिश्चितता खत्म
^सुप्रीमकोर्ट के निर्णय से अनिश्चितता खत्म हो सकेगी और अभ्यर्थियों को उनका हक मिलेगा।-वासुदेवदेवनानी,शिक्षा राज्यमंत्री
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 में सरकार ने 40 हजार को नियुक्ति दी थी। इसमें से 27 हजार चयनित शिक्षकों के 60%से अधिक अंक थे और 13 हजार के 60%से कम। सुप्रीम कोर्ट में मामला होने के कारण इन 13 हजार शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही थी। इनको राहत मिल गई। अब सभी 40 हजार शिक्षकों का स्थायीकरण भी हो सकेगा। हालांकि सरकार इनको नियमित वेतन देने के आदेश दे चुकी थी,लेकिन एरियर बकाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया हाईकोर्ट का आदेश,राज्य सरकार का निर्णय सही
अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने अपनी नोटिफिकेशन सर्कुलर के अनुसार आरटेट में आरक्षित वर्ग को रिजर्वेशन दिया था और सरकार को अपनी नीतियों के तहत रिजर्वेशन देने का अधिकार था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता इरशाद अहमद ने दलील दी कि राज्य सरकार ने नियमानुसार ही आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को रिजर्वेशन दिया है और इसमें कोई अवैधानिक कार्य नहीं किया है इसलिए हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर एसएलपी मंजूर की जाए।
एनसीटीई की गाइडलाइन के मुताबिक टेट में न्यूनतम 60 फीसदी अंक प्राप्त करने वाला ही शिक्षक भर्ती के योग्य माना गया है। लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने आरटेट में आरक्षित वर्ग को न्यूनतम उत्तीर्णांक में 5 से 20%की छूट दी। इस पर कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट की पहले एकलपीठ,फिर खंडपीठ ने इसे गलत माना। हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार की 5 से 20 प्रतिशत अंकों की छूट देना गलत है। आरटेट में 60%अंक ही जरूरी हैं। इस पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
न्यायाधीश एके सीकरी एनवी रमाना की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार अन्य की एसएलपी को मंजूर करते हुए दिया। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के 2 जुलाई 2013 के आदेश को भी रद्द कर दिया।
इस आदेश के तहत राज्य सरकार द्वारा आरटेट-2011 के परिणाम को रद्द करते हुए 2012 में इसके तहत की गई तृतीय श्रेणी शिक्षकों का परिणाम दुबारा जारी करने तथा दुबारा चयन सूची बनाने को कहा गया था।
साथ ही शिक्षा विभाग को भी 8 हजार नए शिक्षक मिलेंगे।
इससे स्कूलों में खाली पद भर सकेंगे।
राजस्थान एकीकृत बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा-यह बेरोजगारों के लंबे संघर्ष की जीत है।
इनको मिलेगी नियुक्ति
तृतीयश्रेणी शिक्षक भर्ती 2013 में सरकार को 20 हजार पदों पर नियुक्ति करनी थी। मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण 12 हजार उन चयनितों को नियुक्ति दी गई,जिनके आरटेट में 60%से अधिक अंक थे। अब आठ हजार शिक्षकों की नियुक्ति भी हो सकेगी।
अनिश्चितता खत्म
^सुप्रीमकोर्ट के निर्णय से अनिश्चितता खत्म हो सकेगी और अभ्यर्थियों को उनका हक मिलेगा।-वासुदेवदेवनानी,शिक्षा राज्यमंत्री
तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2012 में सरकार ने 40 हजार को नियुक्ति दी थी। इसमें से 27 हजार चयनित शिक्षकों के 60%से अधिक अंक थे और 13 हजार के 60%से कम। सुप्रीम कोर्ट में मामला होने के कारण इन 13 हजार शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही थी। इनको राहत मिल गई। अब सभी 40 हजार शिक्षकों का स्थायीकरण भी हो सकेगा। हालांकि सरकार इनको नियमित वेतन देने के आदेश दे चुकी थी,लेकिन एरियर बकाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया हाईकोर्ट का आदेश,राज्य सरकार का निर्णय सही
अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने अपनी नोटिफिकेशन सर्कुलर के अनुसार आरटेट में आरक्षित वर्ग को रिजर्वेशन दिया था और सरकार को अपनी नीतियों के तहत रिजर्वेशन देने का अधिकार था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता इरशाद अहमद ने दलील दी कि राज्य सरकार ने नियमानुसार ही आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को रिजर्वेशन दिया है और इसमें कोई अवैधानिक कार्य नहीं किया है इसलिए हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर एसएलपी मंजूर की जाए।
एनसीटीई की गाइडलाइन के मुताबिक टेट में न्यूनतम 60 फीसदी अंक प्राप्त करने वाला ही शिक्षक भर्ती के योग्य माना गया है। लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने आरटेट में आरक्षित वर्ग को न्यूनतम उत्तीर्णांक में 5 से 20%की छूट दी। इस पर कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट की पहले एकलपीठ,फिर खंडपीठ ने इसे गलत माना। हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार की 5 से 20 प्रतिशत अंकों की छूट देना गलत है। आरटेट में 60%अंक ही जरूरी हैं। इस पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
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