अलवर. शिक्षा विभाग के
राजपत्रित अधिकारियों ने ही सरकार को लाखों चूना लगाने का कारनामा कर दिया।
नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के तहत प्राइवेट स्कूलों की फीस निर्धारण
करने गए अधिकारियों ने निजी स्कूलों की फीस जानबूझकर कई गुना ज्यादा दिखा
दी, ताकि सरकार से पुनर्भरण राशि ज्यादा से ज्यादा उठाई जा सके।
शिकायत पर जब शिक्षा निदेशक कार्यालय ने अलवर जिले के प्राइवेट स्कूलों की पड़ताल की तो यह खुलासा हुआ। अब फीस निर्धारण करने गए शिक्षा अधिकारियों को चार्जशीट थमाने की तैयारी की जा रही है।
दरअसल, शिक्षा के अधिकार के तहत बीपीएल व एससी-एसटी परिवार के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने के नाम पर सरकार की ओर से निजी स्कूलों को पुनर्भरण राशि मिलती है। इसके लिए फीस निर्धारण का कार्य राजपत्रित अधिकारियों से कराया जाता है।
अलवर जिले में भी सभी गैर सरकारी स्कूलों में आरटीई के तहत अध्ययनरत बच्चों की फीस पुनर्भरण के लिए सरकारी स्कूलों के राजपत्रित अधिकारी स्कूल शिक्षक और उनके सहायक एक शिक्षक को भेजा गया। इनमें से कई शिक्षकों ने महानगरों के स्कूलों से अधिक फीस तय कर दी और प्रस्ताव भेज दिए। जिला मुख्यालय से यह फीस निर्धारित कर प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेज दिया गया।
शिक्षा निदेशक कार्यालय ने अलवर जिले के ग्रामीण सुदूर गांव में प्रतिमाह एक हजार रुपए से अधिक की फीस देखी और उस स्कूल के बारे में जानकारी ली तो पता लगा कि उसमें बैठने तक की पर्याप्त सुविधा नहीं है। एेसे में शिक्षा निदेशक कार्यालय ने जांच के लिए अलवर जिले में कई जांच दल भेजे।
इस दल ने अलवर जिले के कई गैर सरकारी स्कूलों में जांच की तो यह सामने आया कि कई शिक्षकों ने जानबूझकर गैर सरकारी स्कूल की फीस कई गुना बढ़ाकर बता दी। इस जांच रिपोर्ट के बाद कई गैर सरकारी स्कूलों की फीस निदेशक कार्यालय ने कम कर दी है। शिक्षा निदेशक ने इस मामले में फीस निर्धारण करने गए दल के प्रभारी अधिकारियों को चार्जशीट देने के आदेश दिए हैं, जिसमें एक दर्जन शिक्षक शामिल हैं।
ब्लॉकवार प्रवेशित विद्यार्थी
बानसूर 283, बहरोड़ 218, कठूमर 120, किशनगढ़बास 291, कोटकासिम 41, लक्ष्मणगढ़ 409, मुंडावर 120, नीमराणा 74, रैणी 328, राजगढ़ 519, रामगढ़ 312, थानागाजी 951, तिजारा 352, उमरैण में 758 बालक-बालिकाओं को प्रवेश दिया गया।
चार्जशीट के आदेश
रोहिताश मित्तल डीईओ प्रारभिक शिक्षा अलवर ने बताया कि शिक्षा निदेशालय ने उन प्रभारी अधिकारियों को चार्जशीट के आदेश दिए हैं, जिन्होंने जानबूझकर गैर सरकारी स्कूलों की फीस अधिक बता दी। इससे सरकार को लाखों को नुकसान हो सकता था।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
शिकायत पर जब शिक्षा निदेशक कार्यालय ने अलवर जिले के प्राइवेट स्कूलों की पड़ताल की तो यह खुलासा हुआ। अब फीस निर्धारण करने गए शिक्षा अधिकारियों को चार्जशीट थमाने की तैयारी की जा रही है।
दरअसल, शिक्षा के अधिकार के तहत बीपीएल व एससी-एसटी परिवार के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने के नाम पर सरकार की ओर से निजी स्कूलों को पुनर्भरण राशि मिलती है। इसके लिए फीस निर्धारण का कार्य राजपत्रित अधिकारियों से कराया जाता है।
अलवर जिले में भी सभी गैर सरकारी स्कूलों में आरटीई के तहत अध्ययनरत बच्चों की फीस पुनर्भरण के लिए सरकारी स्कूलों के राजपत्रित अधिकारी स्कूल शिक्षक और उनके सहायक एक शिक्षक को भेजा गया। इनमें से कई शिक्षकों ने महानगरों के स्कूलों से अधिक फीस तय कर दी और प्रस्ताव भेज दिए। जिला मुख्यालय से यह फीस निर्धारित कर प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेज दिया गया।
शिक्षा निदेशक कार्यालय ने अलवर जिले के ग्रामीण सुदूर गांव में प्रतिमाह एक हजार रुपए से अधिक की फीस देखी और उस स्कूल के बारे में जानकारी ली तो पता लगा कि उसमें बैठने तक की पर्याप्त सुविधा नहीं है। एेसे में शिक्षा निदेशक कार्यालय ने जांच के लिए अलवर जिले में कई जांच दल भेजे।
इस दल ने अलवर जिले के कई गैर सरकारी स्कूलों में जांच की तो यह सामने आया कि कई शिक्षकों ने जानबूझकर गैर सरकारी स्कूल की फीस कई गुना बढ़ाकर बता दी। इस जांच रिपोर्ट के बाद कई गैर सरकारी स्कूलों की फीस निदेशक कार्यालय ने कम कर दी है। शिक्षा निदेशक ने इस मामले में फीस निर्धारण करने गए दल के प्रभारी अधिकारियों को चार्जशीट देने के आदेश दिए हैं, जिसमें एक दर्जन शिक्षक शामिल हैं।
ब्लॉकवार प्रवेशित विद्यार्थी
बानसूर 283, बहरोड़ 218, कठूमर 120, किशनगढ़बास 291, कोटकासिम 41, लक्ष्मणगढ़ 409, मुंडावर 120, नीमराणा 74, रैणी 328, राजगढ़ 519, रामगढ़ 312, थानागाजी 951, तिजारा 352, उमरैण में 758 बालक-बालिकाओं को प्रवेश दिया गया।
चार्जशीट के आदेश
रोहिताश मित्तल डीईओ प्रारभिक शिक्षा अलवर ने बताया कि शिक्षा निदेशालय ने उन प्रभारी अधिकारियों को चार्जशीट के आदेश दिए हैं, जिन्होंने जानबूझकर गैर सरकारी स्कूलों की फीस अधिक बता दी। इससे सरकार को लाखों को नुकसान हो सकता था।
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