शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी स्कूलों में स्टाफिंग पैटर्न सेटअप परिवर्तन
के बाद भले ही स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था में सुधार को लेकर बड़े-बड़े
दावे करते हो, लेकिन स्टाफिंग पैटर्न सेटअप परिवर्तन के बाद जिले के कई
स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था ही चरमराई गई है।
कई स्कूलों की हालत तो इतनी खराब है कि वहां पर 100 से अधिक का नामांकन होने के बाद भी एक ही शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल संचालित हो रहा है, जबकि सरकार द्वारा स्टाफिंग पैटर्न अनुसार किसी भी स्कूल में न्यूनतम 5 शिक्षक 1 प्रधानाध्यापक का पद होना चाहिए। इसके बाद भी इन स्कूलों में एक ही शिक्षक कार्यरत है, जबकि शिक्षा विभाग ने बाकायदा ऑनलाइन काउंसलिंग कैंप का आयोजन कर शिक्षकों की काउंसलिंग कर पदस्थापन भी किया था। इसके बाद भी इतने बड़े स्तर हुई गड़बडिय़ों को लेकर कोई भी अधिकारी जबाव देने को तैयार नहीं है। इन सबसे शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कोई फर्क पड़े या नहीं, लेकिन विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी तरह से चौपट हो गई है।
इसस्कूल में तो एक ही शिक्षक वो भी पीटीआई : सेटअपपरिवर्तन के बाद स्कूलों की स्थिति का इसी बात से पता लगाया जा सकता है कि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मीणाें का झूंपा स्कूल में 169 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसके बाद भी इस स्कूल में एक ही शिक्षक कार्यरत है, वह भी पीटीआई। यानि, विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक ही नहीं है यहां। पीटीआई के भरोसे ही पूरा स्कूल संचालित होता है।
मनमर्जीकी काउंसलिंग का नतीजा : सरकारद्वारा स्टाफिंग पैटर्न के बाद माध्यमिक शिक्षा प्रारंभिक शिक्षा में सेटअप परिवर्तन के बाद शिक्षकों को ऑनलाइन पदस्थापन दिया गया था। इसमें भी शिक्षा विभाग के बाबुओं ने अपनी मनमर्जी से शिक्षकों की काउंसलिंग कर दी थी। साथ ही सेटअप परिवर्तन में शिक्षकों का लेवल तक बदल दिया था। इसके बाद भी यह बाबू अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
शेष|पेज13
हरमंत्री के निर्देश अधिकारी फोन चालू रखे, लेकिन डीईओ प्रारंभिक का फोन हमेशा बंद रहता है : राज्यसरकार के हर मंत्री द्वारा जिला स्तरीय बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि अधिकारी अपना फोन हर समय चालू रखेंगे और जनप्रतिनिधियों की समस्याएं सुनेंगे, लेकिन डीईओ प्रारंभिक शिवप्रसाद परिहार शायद मंत्रियों की सुनते ही नहीं है। उनका फोन हर समय बंद ही रहता है। इससे शिक्षा विभाग के अधिकारी भी काफी परेशानी हैं। आखिर वे अपनी समस्या किसके सामने रखें।
शिक्षकों की समस्याओं का भी तुरंत हल करें
^स्कूलों में शिक्षकों की कमी को लेकर मैंने निदेशक को अवगत करा दिया है। साथ ही डीईओ को भी आज ही निर्देश देती हूं कि स्कूलों में शिक्षक लगाएं। साथ ही उनसे यह भी कहा है कि वे शिक्षकों की समस्याओं का भी तुरंत हल करें। -नूतनबाला कपिला, उपनिदेशकप्रारंभिक शिक्षा
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
कई स्कूलों की हालत तो इतनी खराब है कि वहां पर 100 से अधिक का नामांकन होने के बाद भी एक ही शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल संचालित हो रहा है, जबकि सरकार द्वारा स्टाफिंग पैटर्न अनुसार किसी भी स्कूल में न्यूनतम 5 शिक्षक 1 प्रधानाध्यापक का पद होना चाहिए। इसके बाद भी इन स्कूलों में एक ही शिक्षक कार्यरत है, जबकि शिक्षा विभाग ने बाकायदा ऑनलाइन काउंसलिंग कैंप का आयोजन कर शिक्षकों की काउंसलिंग कर पदस्थापन भी किया था। इसके बाद भी इतने बड़े स्तर हुई गड़बडिय़ों को लेकर कोई भी अधिकारी जबाव देने को तैयार नहीं है। इन सबसे शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कोई फर्क पड़े या नहीं, लेकिन विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी तरह से चौपट हो गई है।
इसस्कूल में तो एक ही शिक्षक वो भी पीटीआई : सेटअपपरिवर्तन के बाद स्कूलों की स्थिति का इसी बात से पता लगाया जा सकता है कि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मीणाें का झूंपा स्कूल में 169 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसके बाद भी इस स्कूल में एक ही शिक्षक कार्यरत है, वह भी पीटीआई। यानि, विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक ही नहीं है यहां। पीटीआई के भरोसे ही पूरा स्कूल संचालित होता है।
मनमर्जीकी काउंसलिंग का नतीजा : सरकारद्वारा स्टाफिंग पैटर्न के बाद माध्यमिक शिक्षा प्रारंभिक शिक्षा में सेटअप परिवर्तन के बाद शिक्षकों को ऑनलाइन पदस्थापन दिया गया था। इसमें भी शिक्षा विभाग के बाबुओं ने अपनी मनमर्जी से शिक्षकों की काउंसलिंग कर दी थी। साथ ही सेटअप परिवर्तन में शिक्षकों का लेवल तक बदल दिया था। इसके बाद भी यह बाबू अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
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हरमंत्री के निर्देश अधिकारी फोन चालू रखे, लेकिन डीईओ प्रारंभिक का फोन हमेशा बंद रहता है : राज्यसरकार के हर मंत्री द्वारा जिला स्तरीय बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि अधिकारी अपना फोन हर समय चालू रखेंगे और जनप्रतिनिधियों की समस्याएं सुनेंगे, लेकिन डीईओ प्रारंभिक शिवप्रसाद परिहार शायद मंत्रियों की सुनते ही नहीं है। उनका फोन हर समय बंद ही रहता है। इससे शिक्षा विभाग के अधिकारी भी काफी परेशानी हैं। आखिर वे अपनी समस्या किसके सामने रखें।
शिक्षकों की समस्याओं का भी तुरंत हल करें
^स्कूलों में शिक्षकों की कमी को लेकर मैंने निदेशक को अवगत करा दिया है। साथ ही डीईओ को भी आज ही निर्देश देती हूं कि स्कूलों में शिक्षक लगाएं। साथ ही उनसे यह भी कहा है कि वे शिक्षकों की समस्याओं का भी तुरंत हल करें। -नूतनबाला कपिला, उपनिदेशकप्रारंभिक शिक्षा
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