जयपुर. सरकारी स्कूलों में मोबाइल पर रोक लगाने का आदेश कुछ शिक्षकों के गले नहीं उतर रहा है लेकिन छात्र खुश हैं। सरकारी स्कूलों के लगातार गिरते परिणाम से परेशान शिक्षा विभाग ने इसे सही कदम बताया है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूल कैंपस में फोन के इस्तेमाल से पढ़ाई प्रभावित होती है
और इस पर रोक लगाने के आदेश सही हैं। स्कूली छात्रों ने भी शिक्षा विभाग के इस फैसले का स्वागत किया है।
छात्रों ने बातचीत में कहा कि पढ़ाई के समय गुरुजी का फोन पर बात करना ठीक नहीं है। महिला शिक्षकों की सुरक्षा के मद्देनजर उनके परिवार के लोगों ने इस आदेश को सही नहीं ठहराया है। बच्चों और शिक्षा विभाग का कहना है कि फोन पढ़ाई में बाधा है वहीं शिक्षकों का कहना है कि आदेश पर पुनर्विचार किया जाए।
मोबाइल फोन रखना क्या पाठ्यक्रम में शामिल है? विभाग ने जो आदेश जारी किया है वे शिक्षा, विद्यार्थियों और अध्यापकों तीनों के हित में है। स्कूल में फोन पर रोक लगाने का सबको सहयोग करना चाहिए। निरंतर चिंता जताई जा रही है कि शिक्षकों और छात्रों के बीच इंटरेक्शन कम हो रहा है। विद्यालय में फोन पर रोक लगाने का कदम सुधारवादी है।
विष्णुु स्वामी, माध्यमिक शिक्षा उपनिदेशक एवं जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक, जयपुर
हाल ही में एक शिक्षक ने स्मार्ट फोन का सदुपयोग करते हुए एक एप बनाया था जिसकी प्रधानमंत्री ने विदेश में दिए गए एक भाषण में चर्चा की थी। फोन पर बैन अलग बात है लेकिन शिक्षक चाहें तो इसका शिक्षण कार्य में सदुपयोग कर अपनी और संस्था की क्षमता बढ़ा सकते हैं। मौजूदा फैसले पर विचार होना चाहिए लेकिन यह जरूर है कि कक्षाओं और परिसर में फोन इस्तेमाल की एक स्वैच्छिक आचार संहिता होनी चाहिए। बसंत जिंदल, प्रदेश उपाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय
कक्षा कक्ष में रोक लगाना सही है लेकिन स्कूल परिसर में फोन लाने पर रोक ठीक नहीं है, इस पर पुनर्विचार होना चाहिए। यदि फोन से कार्य प्रभावित होता है और यह प्रमाणित हो चुका है तो यह आदेश सरकारी शिक्षकों पर ही क्यों सभी विभागों के कर्मचारियों पर लागू किया जाए। विपिनप्रकाश शर्मा, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
मोबाइल फोन पर तो बैन होना ही चाहिए। कक्षा कक्ष में कोई अध्यापक पढ़ा रहा है और उस समय फोन आएगा तो क्या वह फोन पर बात नहीं करेगा? विभागीय आदेशों को प्रधानाध्यापक और सक्षम अधिकारियों के माध्यम से नियमानुसार सब तक पहुंचाया जाता रहा है। इसमें फोन नहीं होने से कोई बाधा नहीं होगी। राधामोहन गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक
बच्चों से बात की तो हर किसी का एक ही जवाब था- सर और मैडम तो फोन पर ही बात करते रहते हैं। कालांश समाप्त हो जाता है और बात चलती रहती है। यह रोज का काम है। हर बच्चे का एक ही जवाब था, फोन पर रोक होनी ही चाहिए।
राहुल, कक्षा 9, पोद्दार स्कूल
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
और इस पर रोक लगाने के आदेश सही हैं। स्कूली छात्रों ने भी शिक्षा विभाग के इस फैसले का स्वागत किया है।
छात्रों ने बातचीत में कहा कि पढ़ाई के समय गुरुजी का फोन पर बात करना ठीक नहीं है। महिला शिक्षकों की सुरक्षा के मद्देनजर उनके परिवार के लोगों ने इस आदेश को सही नहीं ठहराया है। बच्चों और शिक्षा विभाग का कहना है कि फोन पढ़ाई में बाधा है वहीं शिक्षकों का कहना है कि आदेश पर पुनर्विचार किया जाए।
मोबाइल फोन रखना क्या पाठ्यक्रम में शामिल है? विभाग ने जो आदेश जारी किया है वे शिक्षा, विद्यार्थियों और अध्यापकों तीनों के हित में है। स्कूल में फोन पर रोक लगाने का सबको सहयोग करना चाहिए। निरंतर चिंता जताई जा रही है कि शिक्षकों और छात्रों के बीच इंटरेक्शन कम हो रहा है। विद्यालय में फोन पर रोक लगाने का कदम सुधारवादी है।
विष्णुु स्वामी, माध्यमिक शिक्षा उपनिदेशक एवं जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक, जयपुर
हाल ही में एक शिक्षक ने स्मार्ट फोन का सदुपयोग करते हुए एक एप बनाया था जिसकी प्रधानमंत्री ने विदेश में दिए गए एक भाषण में चर्चा की थी। फोन पर बैन अलग बात है लेकिन शिक्षक चाहें तो इसका शिक्षण कार्य में सदुपयोग कर अपनी और संस्था की क्षमता बढ़ा सकते हैं। मौजूदा फैसले पर विचार होना चाहिए लेकिन यह जरूर है कि कक्षाओं और परिसर में फोन इस्तेमाल की एक स्वैच्छिक आचार संहिता होनी चाहिए। बसंत जिंदल, प्रदेश उपाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय
कक्षा कक्ष में रोक लगाना सही है लेकिन स्कूल परिसर में फोन लाने पर रोक ठीक नहीं है, इस पर पुनर्विचार होना चाहिए। यदि फोन से कार्य प्रभावित होता है और यह प्रमाणित हो चुका है तो यह आदेश सरकारी शिक्षकों पर ही क्यों सभी विभागों के कर्मचारियों पर लागू किया जाए। विपिनप्रकाश शर्मा, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
मोबाइल फोन पर तो बैन होना ही चाहिए। कक्षा कक्ष में कोई अध्यापक पढ़ा रहा है और उस समय फोन आएगा तो क्या वह फोन पर बात नहीं करेगा? विभागीय आदेशों को प्रधानाध्यापक और सक्षम अधिकारियों के माध्यम से नियमानुसार सब तक पहुंचाया जाता रहा है। इसमें फोन नहीं होने से कोई बाधा नहीं होगी। राधामोहन गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक
बच्चों से बात की तो हर किसी का एक ही जवाब था- सर और मैडम तो फोन पर ही बात करते रहते हैं। कालांश समाप्त हो जाता है और बात चलती रहती है। यह रोज का काम है। हर बच्चे का एक ही जवाब था, फोन पर रोक होनी ही चाहिए।
राहुल, कक्षा 9, पोद्दार स्कूल
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