बाड़ापदमपुरा . सरकार ने प्रदेश में विद्यालयों को क्रमोन्नत तो कर दिया, लेकिन सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में विद्यार्थियों को अव्यवस्थाओं के बीच पढ़ाई करनी पड़ रही है। ऐसे ही हालात यहां ग्राम पंचायत बरखेड़ा की राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के हैं, जहां कक्षा-कक्षों, शिक्षक और बिजली-पानी जैसी समस्याओं से विद्यार्थियों को जूझना पड़ रहा है। विद्यालय में 186 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
इन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए कक्षा-कक्षों की कमी है। स्कूल में कुल सात कमरे हैं, जिनमें एक स्टाफ रूम व एक स्टोर के काम आ रहा है। ऐसे में पांच कक्षाओं में आठ कक्षाओं विद्यार्थियों को बैठाकर पढ़ाना पड़ रहा है। बच्चों को पढ़ाना तो दूर अनुशासन बनाना तक मुश्किल हो जाता है। इन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सात शिक्षक लगे हुए हैं, जिनमें एक प्रधानाध्यापक स्कूल की अन्य गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में छह अध्यापक ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
चारदीवारी नहीं
स्कूल में चारदीवारी नहीं होने से समाजकंटक परिसर में नुकसान कर जाते हैं। इसके अलावा आवारा पशु भी परिसर में विचरण करते रहते हैं, जिससे गंदगी हो जाती है। गंदगी से उठती बदबू के कारण बच्चों व स्टाफ का कमरों में बैठना दूभर हो जाता है। विद्यालय में खेल मैदान नहीं होनेे से बच्चे खेल प्रतियोगिता में भाग लेने से वंचित रहते हैं।
बिजली-पानी का संकट
विद्यालय परिसर में एक हैण्डपम्प लगा हुआ है, लेकिन इसमें खारा व फ्लोराइडयुक्त पानी आता है, जो कि पीने योग्य नहीं है। बच्चों को घर से बोतल में पानी लाना पड़ता है। पानी खत्म हो जाने पर इधर-उधर से व्यवस्था करनी पड़ती है। वहीं, स्कूल में बिजली की व्यवस्था नहीं होने से गर्मियों के मौसम में विद्यार्थियों व स्टाफ को परेशानी सामना करना पड़ता हैै। गर्मी के कारण बच्चों को बरामदे में बैठाना पड़ता है।
स्कूल की समस्याओं के लिए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों व ग्राम पंचायत प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन समस्यओं के समाधान की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
रामेश्वर प्रसाद मीणा, प्रधानाध्यापक, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, बरखेड़ा।
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