अजमेर। । पीएचडी और एम.टेक करने वाले कुछ शिक्षकों पर इंजीनियरिंग कॉलेज जबरदस्त मेहरबान हैं। शिक्षकों के सुविधार्थ कॉलेज राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के नियमों को धत्ता बता रहा है। विश्वविद्यालय के नियम एम.टेक और पीएचडी के दौरान नियमित कक्षाएं लेने और पूरी पगार लेने की इजाजत नहीं देते। लेकिन कॉलेज ने विश्वविद्यालय इन्हें किनारा कर खुद के नियम बना रखे हैं।
बड़लिया स्थित राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के कई शिक्षक एम.टेक और पीएचडी कर रहे हैं। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के नियमानुसार उन्हें गाइड आवंटन किए गए हैं। कॉलेज दो-तीन शिक्षकों पर विशेष मेहरबान है। इनको फायदा पहुंचाने के लिए कॉलेज ने नए नियम बना दिए। जबकि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
यह है विश्वविद्यालय का नियम
विश्वविद्यालय के पीएचडी अधिनियम 0.11 में स्पष्ट कहा गया है, कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में कार्यरत फेकल्टी (शिक्षक)को स्पॉन्सर आधारित पीएचडी-एमटेक के लिए मूल संस्थान से अवकाश लेकर रिलीव करना जरूर होगा। उन्हें नियमित कक्षाएं लेने की इजाजत नहीं होगी। इस अवधि में उन्हें पूर्ण के बजाय आधे वेतन-भत्ते ही देय होंगे। सार्वजनिक उपक्रम/शिक्षण संस्थानों/निजी संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों अथवा अधिकारियों को पीएचडी करने पर उन्हें फुल टाइम (पूर्ण अवधि) शोधार्थी माना जाएगा। पीएचडी/एमटेक अवधि के दौरान उन्हें संबंधित संस्थान का रिलीविंग और स्पॉन्सरशिप सर्टिफिकेट लगाना जरूरी होगा।
कॉलेज ने बनाए अपने नियम
कॉलेज के दो-तीन शिक्षक पूर्व प्राचार्यों के निर्देशन में पीएचडी कर रहे हैं। शिक्षकों के खातिर कॉलेज ने अपने ही नियम बना लिए। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की छठी बैठक में एजेंडा संख्या 6.16 (1) में यह फेरबदल किया गया। इसमें कहा गया, कि पीएचडी कर रहे शिक्षक नियमित कक्षाएं लेने के अलावा प्रशासनिक जिम्मेदारियां देख रहे हैं। इनका स्थाई शोध केंद्र कॉलेज में है, लिहाजा इन्हें कक्षाओं लेने के अलावा पूर्ण वेतन और भत्ते देय होंगे। विश्वविद्यालय के नियमानुसार ना शिक्षकों को रिलीव किया गया ना इन्हें आधा वेतन दिया जा रहा है।
विश्वविद्यालय को नहीं जानकारी
बीते अगस्त में कुछ शिक्षकों ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय और कॉलेज से सूचना के अधिकार में नियमित कक्षाएं और वेतन-भत्ते लेकर पीएचडी और एम.टेक करने से जुड़े नियम मांगे। विश्वविद्यालय ने बीते 23 सितम्बर अपने नियमों की प्रति भेज दी। लेकिन उसने पत्र में कॉलेज द्वारा पीएचडी के नियम बदलने पर अनभिज्ञता जताई है।
जांच सिर्फ एक मामले में!
बड़ल्या स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक आचार्य विवेक दुबे ने तत्कालीन प्राचार्य प्रो. एम. सी. गोविल के निर्देशन में एम.टेक किया। वे उस दौरान परिवीक्षाकाल में थे। उन्हें कॉलेज प्रशासन ने एमटेक करने की मंजूरी दी। बीते दिनों राजभवन भेजी शिकायत पर राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय को पत्र भेजा। इसके आधार पर दुबे की एम.टेक को विश्वविद्यालय के नियम विरुद्ध मानते हुए जांच चल रही है।
पीएचडी के लिए विश्वविद्यालय के नियम सर्वोपरी है। नियम में नियमित कक्षाएं और वेतन-भत्ते नहीं देने का जिक्र है, तो उसकी पालना होनी चाहिए। कॉलेज ने किन परिस्थितियों और शिक्षकों के लिए नियम बदले, इसको दिखवाया जाएगा।
डॉ. जे. पी. भामू, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
बड़लिया स्थित राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के कई शिक्षक एम.टेक और पीएचडी कर रहे हैं। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के नियमानुसार उन्हें गाइड आवंटन किए गए हैं। कॉलेज दो-तीन शिक्षकों पर विशेष मेहरबान है। इनको फायदा पहुंचाने के लिए कॉलेज ने नए नियम बना दिए। जबकि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
यह है विश्वविद्यालय का नियम
विश्वविद्यालय के पीएचडी अधिनियम 0.11 में स्पष्ट कहा गया है, कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में कार्यरत फेकल्टी (शिक्षक)को स्पॉन्सर आधारित पीएचडी-एमटेक के लिए मूल संस्थान से अवकाश लेकर रिलीव करना जरूर होगा। उन्हें नियमित कक्षाएं लेने की इजाजत नहीं होगी। इस अवधि में उन्हें पूर्ण के बजाय आधे वेतन-भत्ते ही देय होंगे। सार्वजनिक उपक्रम/शिक्षण संस्थानों/निजी संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों अथवा अधिकारियों को पीएचडी करने पर उन्हें फुल टाइम (पूर्ण अवधि) शोधार्थी माना जाएगा। पीएचडी/एमटेक अवधि के दौरान उन्हें संबंधित संस्थान का रिलीविंग और स्पॉन्सरशिप सर्टिफिकेट लगाना जरूरी होगा।
कॉलेज ने बनाए अपने नियम
कॉलेज के दो-तीन शिक्षक पूर्व प्राचार्यों के निर्देशन में पीएचडी कर रहे हैं। शिक्षकों के खातिर कॉलेज ने अपने ही नियम बना लिए। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की छठी बैठक में एजेंडा संख्या 6.16 (1) में यह फेरबदल किया गया। इसमें कहा गया, कि पीएचडी कर रहे शिक्षक नियमित कक्षाएं लेने के अलावा प्रशासनिक जिम्मेदारियां देख रहे हैं। इनका स्थाई शोध केंद्र कॉलेज में है, लिहाजा इन्हें कक्षाओं लेने के अलावा पूर्ण वेतन और भत्ते देय होंगे। विश्वविद्यालय के नियमानुसार ना शिक्षकों को रिलीव किया गया ना इन्हें आधा वेतन दिया जा रहा है।
विश्वविद्यालय को नहीं जानकारी
बीते अगस्त में कुछ शिक्षकों ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय और कॉलेज से सूचना के अधिकार में नियमित कक्षाएं और वेतन-भत्ते लेकर पीएचडी और एम.टेक करने से जुड़े नियम मांगे। विश्वविद्यालय ने बीते 23 सितम्बर अपने नियमों की प्रति भेज दी। लेकिन उसने पत्र में कॉलेज द्वारा पीएचडी के नियम बदलने पर अनभिज्ञता जताई है।
जांच सिर्फ एक मामले में!
बड़ल्या स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक आचार्य विवेक दुबे ने तत्कालीन प्राचार्य प्रो. एम. सी. गोविल के निर्देशन में एम.टेक किया। वे उस दौरान परिवीक्षाकाल में थे। उन्हें कॉलेज प्रशासन ने एमटेक करने की मंजूरी दी। बीते दिनों राजभवन भेजी शिकायत पर राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय को पत्र भेजा। इसके आधार पर दुबे की एम.टेक को विश्वविद्यालय के नियम विरुद्ध मानते हुए जांच चल रही है।
पीएचडी के लिए विश्वविद्यालय के नियम सर्वोपरी है। नियम में नियमित कक्षाएं और वेतन-भत्ते नहीं देने का जिक्र है, तो उसकी पालना होनी चाहिए। कॉलेज ने किन परिस्थितियों और शिक्षकों के लिए नियम बदले, इसको दिखवाया जाएगा।
डॉ. जे. पी. भामू, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज
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