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Wednesday 30 September 2015

सिविल सर्विस UPSC की प्रतियोगी परीक्षा की पद्धति में बड़ा बदलाव

भारत सरकार सिविल सर्विस यानी संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा की पद्धति में बड़ा बदलाव करने जा रही है और इसके लिए एक समिति बनाने की घोषणा की गई है.कार्मिक, पेंशन और जन शिकायत विभाग के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में सरकार के इस फ़ैसले की घोषणा की.

उनके मुताबिक़ सरकार चाहती है कि संघ लोक सेवा आयोग की इस सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा में हिस्सा लेने वाले सभी अभ्यार्थियों को समान अवसर मिले.
संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के बारे में कहा जाता रहा है कि गणित, मेडिकल और इंजीनियरिंग की पृष्ठभूमि वाले अभ्यार्थियों को कला क्षेत्र के
विषयों को चुनने वाले अभ्यार्थियों से ज़्यादा नंबर हासिल करने का मौक़ा मिलता रहा है.
‪‎क्या‬ क्या बदलेगा
अब सरकार इस परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को इस तरह पिरोना चाहती है 'जिसमे 21 वीं सदी के भारत' को देखते हुए ही प्रतियोगियों का चयन किया जा सके.
कार्मिक, पेंशन और जन शिकायत विभाग के उप निदेशक वी बालकृष्ण ने बीबीसी से कहा कि सरकार की ओर से गठित कमेटी पाठ्यक्रम के अलावा पैटर्न, योग्यता, आयु सीमा में छूट में
बदलाव पर विचार करेगी.
इस कमेटी का नेतृत्व छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी रहे बीएस बस्वान करेंगे जबकि इसमें नौकरशाहों के अलावा शिक्षाविदों और विशेषज्ञों को भी रखा जा रहा है.
बालकृष्ण कहते हैं, "बीएस बस्वान के अलावा इस कमेटी में कौन होंगे, यह अभी तक तय नहीं हो पाया है मगर यह सही है कि यूपीएससी की
प्रतियोगी परीक्षा के पाठ्यक्रम और पैटर्न का रिव्यू किया जाएगा. जो भी बदलाव लाए जाएंगे वो समिति की अनुशंसा के आधार पर ही लाए जाएंगे".
छह‬ महीने में रिपोर्ट
भारत सरकार में कैबिनेट सेक्रेटरी रह चुके टीएसआर सुब्रमण्यम का कहना है कि समय समय पर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा का रिव्यू होते रहना चाहिए.
उनका कहना है कि उम्र की सीमा बढ़ा दी गई है जिस पर पुनर्विचार होना ज़रूरी है. पिछले साल यूपीएससी की परीक्षा को लेकर काफी हंगामा हुआ था जिसके बाद सामान्य ज्ञान के दूसरे पर्चे से अंग्रेज़ी को हटा दिया गया था.
इस आंदोलन से जुड़े रहे नलिन मिश्रा भी मानते हैं कि परीक्षा के पैटर्न और पाठ्यक्रम में बदलाव होना ज़रूरी है क्योंकि इसमें कला जैसे विषयों को
लेकर पढ़ने वाले छात्रों को तुलनात्मक रूप से नुक़सान उठाना पड़ता था.
सरकार का कहना है कि बस्वान की अगुवाई में बनाई जा रही कमेटी छह महीनों के अंदर ही अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि सीसैट के प्रश्नपत्र को जारी रखा जाए या फिर इसका भी प्रारूप बदला जाना चाहिए.
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