शिक्षक कम तो कहीं चपरासी नहीं : राजस्थान शिक्षकों का ब्लॉग - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

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Monday 3 August 2015

शिक्षक कम तो कहीं चपरासी नहीं : राजस्थान शिक्षकों का ब्लॉग

जयपुर। बेहतर परीक्षा परिणाम के बावजूद शहर के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का खमियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है तो कहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पद रिक्त होने या अवकाश पर होने के कारण बच्चों को पोषाहार पकाने के झूठे बर्तन मांझने पड़ते है। राजस्थान पत्रिका मीडिया एक्शन ग्रुप एवं जन संगठनों के नींव अभियान के तहत किए गए सिटीजन ऑडिट में सामने आया कि कई विद्यालयों में तो कक्षाकक्ष एवं प्रांगण की सफाई भी विद्यार्थियों को करनी पड़ती है।
दूसरी ओर, सर्वे में सुखद पहलू यह सामने आया कि संस्था प्रधान एवं विद्यालय प्रबंधन समिति की चाह से शिक्षा की आसान राह भी निकाली है। शहर के शास्त्री नगर, सिविल लाइंस, सी-स्कीम, झोटवाड़ा, मीनावाला, नाहरी का नाका, लेबर कॉलोनी इलाकों के सरकारी स्कूलों की वॉलंटियर्स की आंखो देखी।

शहर के झोटवाड़ा क्षेत्र में स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय का परीक्षा परिणाम सुधरने के बावजूद शिक्षक कम कर दिए गए। यहां तृतीय श्रेणी शिक्षक छह से एक, द्वितीय श्रेणी 11 से 4 और प्राध्यापक 25 से 19, अन्य कर्मचारी पांच से तीन कर दिए गए। विद्यालय का परीक्षा परिणाम अच्छा रहने के बावजूद कई शिक्षकों के तबादले कर दिए गए। प्रधानाचार्य शीला देवी ने बताया कि इस साल दसवीं का परीक्षा परिणाम 75, बारहवीं विज्ञान वर्ग का 93, कला का 100 तथा वाणिज्य का 90 प्रतिशत रहा है। यहां बालिका शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया जाता है। अगर कोई अभिभावक अपनी बालिका की पढ़ाई छुड़वाने के लिए टीसी कटवाना चाहता है तो उसे टीसी नहीं दी जाती। अभिभावक का तबादला होने तथा उच्च शिक्षा के लिए ही टीसी दी जाती है। 

भामाशाहों की कृपा पर है स्कूल : हर साल बेहतर परिणाम के साथ-साथ नामांकन बढ़ाने में अग्रणी सिरसी रोड, मीनावाला का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भामाशाह की कृपा से चल रहा है। यहां दसवीं का परीक्षा परिणाम 96 व बारहवीं का 100 फीसदी रहा है। इसकी बदौलत निजी स्कूलों के 20 बच्चों ने इस विद्यालय में नामांकन करवाया है, लेकिन यहां पर्याप्त कक्षाकक्ष नहीं हैं। कुल 12 कमरों में से एक पुस्तकालय, एक स्टाफ रूम तथा एक स्टोर के काम आता है। भामाशाहों के सहयोग से ही पुस्तकालय की अलमारियां, कम्प्यूटर व वाटर कूलर लगवाए गए हैं, लेकिन कक्षाकक्ष बदहाल हैं।
नींव सर्वे टीम: ऋषभ शेखावत, सौम्या गुप्ता, अर्पित जैन, शिखा भोर्या। 

समिति ने बदला स्कूल
शास्त्री नगर के बाजोरिया स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों की सोच ने विद्यालय की दशा बदल दी। शिक्षकों की मेहनत से यहां परिणाम 100 फीसदी रहता है वहीं विद्यालय प्रबंधन समिति यानी एसएमसी के सहयोग से मूलभूत सुविधाओं का स्तर सुधारा जाता है। लेबर कॉलोनी स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में दसवीं का परीक्षा परिणाम 33 से बढ़कर 80 फीसदी हो गया है। संस्था प्रधान पुष्पा शर्मा एवं शिक्षकों के प्रयास से यह विद्यालय दसवीं से बारहवीं तक हो गया। बारहवीं के पहले बैच का परिणाम भी 100 फीसदी रहा। यहां एसएमसी की बैठक प्रतिमाह होती है। शिक्षक नामांकन बढ़ाने के लिए घर-घर संपर्क करते हैं और परचे बंटवाते हैं। सिविल लाइंस की जेडीए कॉलोनी स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय में भी एसएमसी की बैठक नियमित होती है जिससे नए सुझाव आते हैं। यहां शिक्षकों का विशेष जोर अनुशासन पर रहता है। 

250 विद्यार्थियों के लिए एक शौचालय
मीनावाला के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के सर्वे में सामने आया कि यहां भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं होने के कारण बच्चों को बर्तन मांझने पड़ते हैं। बच्चों ने बताया कि कालांश के दौरान ही उन्हें बर्तन मांझने भेज दिया जाता है। हालांकि, प्रधानाचार्य नीलम चौधरी ने बताया कि खाली समय में बच्चे अपनी प्लेट धोते हैं। यहां कक्षाकक्षों की नियमित सफाई नहीं होती। बिजली और कम्प्यूटर शिक्षक दोनों ही नहीं हैं तो कम्प्यूटर बेकार पड़े हैं। यहां करीब 250 विद्यार्थियों के लिए एक और अध्यापिकाओं के लिए दो शौचालय हैं। 

कचरा उठाते मिले बच्चे
सर्वे टीम जब शास्त्री नगर स्थित नाहरी का नाका के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में पहुंची तो बच्चे कचरा उठाते मिले। बच्चे बाल्टी में कचरा भरकर बाहर फेंकने जा रहे थे। बच्चों ने बताया कि उनसे मैदान की सफाई करवाई जाती है जिससे पढ़ाई का वक्त चला जाता है। 

बर्तन भी धोने पड़ते हैं बच्चों को...
झोटवाड़ा इलाके के शहीद मेजर आलोकनाथ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में जिस दिन चपरासी अवकाश पर रहते हैं उस दिन बच्चों की शामत आ जाती है। यहां पोषाहार की झूठी प्लेट के साथ-साथ पोषाहार पकाने में काम आने वाले बड़े बर्तन भी बच्चों को धोने पड़ते हैं। सर्वे के दौरान बच्चों और स्कूल स्टाफ से हुई चर्चा में सामने आया कि यहां दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन जिस दिन सुबह की पारी वाला चपरासी अवकाश पर चला जाता है उस दिन बच्चों को बर्तन मांझने पड़ते हैं। इतना ही नहीं विद्यालय में शिक्षकों के पद रिक्त हैं, खेल मैदान, चारदीवारी व पर्याप्त शौचालय भी नहीं हैं। हालांकि, नया भवन तैयार है लेकिन विद्यालय पुराने भवन में ही चल रहा है।

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