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Friday 4 November 2016

बड़ा फैसला: आरपीएससी ने खारिज की एमएससी फिजिक्स एनर्जी की डिग्री

कोटा।आरपीएससी ने कोटा यूनिवर्सिटी की एमएससी फिजिक्स एनर्जी की डिग्री खारिज करते हुए छात्रों को फर्स्ट ग्रेड टीचर्स काउंसिलिंग से बाहर कर दिया है। आरपीएससी की ओर से शिक्षक व्याख्याता के लिए निकाली गई भर्ती के लिए एमएससी फिजिक्स की योग्यता मांगी थी। आरपीएससी ने एमएससी फिजिक्स के साथ एनर्जी में स्पेशलाइजेशन के लिए शुरू किए गए कोर्स को एमएससी फिजिक्स के समकक्ष नहीं माना है।
ऐसे में एक बार फिर से यूनिवर्सिटी की ओर से चलाए जा रहे कोर्सेज पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह दिक्कत मात्र कोटा यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ ही आई है। उधर, इसके बाद एमएससी इंडस्ट्रियल केमेस्ट्री की पढ़ाई करके फर्स्ट ग्रेड स्कूल लेक्चरर की दौड़ में शामिल बच्चों के भविष्य पर भी खतरा मंडराने लगा है। यह डिग्री भी स्पेशलाइजेशन के कारण एमएससी केमेस्ट्री के समकक्ष नहीं मानी जाती।
स्कूल में पढ़ाने के लिए नहीं है इस डिग्री की उपयोगिता
एक्सपर्ट का मानना है कि स्पेशलाइजेशन से जुड़े टॉपिक स्कूल एजुकेशन में काम नहीं आते। इसी कारण से वह योग्यता के पैमाने पर खरे नहीं उतरते। प्योर फिजिक्स और केमेस्ट्री से जुड़े लोग स्कूलों में बेहतर पढ़ा सकते हैं। आरपीएससी के नियम से कोटा यूनिवर्सिटी के उन छात्रों की मेहनत पर पानी फिर गया है, जिन्होंने फर्स्ट ग्रेड टीचर का मुश्किल एग्जाम पास किया। अब काउंसिलिंग में उनकी डिग्री को अवैध माना गया है। ऐसे में आरपीएससी की अन्य परीक्षा पास करके भी जॉब हासिल करना उनके लिए काफी मुश्किल होगा।
जिम्मेदारी से पीछे हटी यूनिवर्सिटी
छात्रों की मदद करने की जगह यूनिवर्सिटी फिर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। इस संबंध में डीन पीजी स्टडीज प्रो. आशु रानी का कहना है कि यूनिवर्सिटी इस मामले में कुछ नहीं कर सकती है। यह आरपीएससी के लेवल पर ही तय होगा कि वह किस डिग्री को एमएससी के समकक्ष मानते हैं। एमएनआईटी जयपुर और एमडीएस यूनिवर्सिटी के एप्लाइड साइंस को भी एमएससी फिजिक्स के समकक्ष नहीं माना गया है। जबकि यूनिवर्सिटी इस कोर्स की मान्यता और समकक्षता के संबंध में आरपीएससी से बातचीत कर सकती है, ताकि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं हो।
यूनिवर्सिटी की डिग्रियों पर अब किसी एकेडमिक डिटेल को नहीं छिपाया जा सकेगा। अब डिग्रियों पर एजुकेशन मोड भी लिखना होगा। इसमें रेगुलर, नॉन रेगुलर, ओपन डिस्टेंस लर्निंग सहित जिस तरीके से छात्र ने पढ़ाई की है, वह भी लिखना होगा। अब तक कॉलेजों की मार्कशीट पर रेगुलर और प्राइवेट लिखा होता था। इसमें भी मोड नहीं लिखा होता था। ये फैसला यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की मीटिंग में लिया गया है। इसी प्रकार डिप्लोमा और अन्य सर्टिफिकेट में भी एजुकेशन मोड लिखना जरूरी होगा। नए नियम के बाद छात्र के एकेडमिक रिकार्ड में ज्यादा पारदर्शिता रहेगी।

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