जब जब शिक्षक जागा है तब तूँफा आया है..
फिर आज 12..के शिक्षक को सरकार ने सताया है
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फिर आज 12..के शिक्षक को सरकार ने सताया है
बारह में भर्ती हुए और वेतन 12 पाते है
खुद खाते है तो मात पिता भूखें ही सो जाते है.
जब देखें बहना को तो हृदय नीर बहाता है...
छोटा भाई पैसो के खातिर हम से रुठ जाता है..
एक जोडी़ कपडो़ में पूरा वर्ष बिताते है
रोजाना धोकर उसको हम रात में सुखाते है.
चप्पल इतनी घीसी हुई है .काँटे घायल करते है
नीर बहाते अश्क हमारे रात रात हम जगते है..
सोचा था अब मान मिलेगा , धन और सम्मान मिलेगा.
बीत गये 12.महीनें ना जाने कब फरमान मिलेगा..
हार गये सब दे देकर ज्ञापन हम सरकारी है
दर्द बना सीने में शोला फूँट गई चिंगारी है..
बहुत सह लिया अब तक हमने अब रण की तैयारी है
जाग उठा है शिक्षक 12..संकट आना भारी है..
शर्त राज ने जो रखी थी वो सबने की पूरी थी..
सबने की पूरी थी पूरी शर्ते ना किसी की अधूरी थी..
सोचो गर तुम कि कौन कौन हट जायेगा..
छेड़ दिया गर इस ज्वाला को राज पाट मिट जायेगा...
लोकन्तन्त्र में सभी समान है ये क्यों फिर तानाशाही है..
नेता बन कर बैठ गये शिक्षा हमसे पाई है...
अब अन्तिम विनय है हक सम्मान हमें दे दो..
12 वाले गुर्वों से बस जल्दी ही तुम
रानी जी कह दो..
गर श्राप पर उतर गये तो कमन्डल 40.हजारी है
शिक्षक से तो हर युग में दुनिया सारी हारी है..
नेता सब बन बैठो हो क्या संविधान नहीं जाने
सम कारज के लिए हक सबको है वेतन पाने..
बुरा लगा तो मुझको फाँसी पे लटका देना...
विनति है पर मात पिता यह संदेशा मत देना..
वरना उनकी हाय लगेगी जैसे दशरथ ने पाई ..
पुत्र वियोग होकर जिसने ..अन्त समय पीड़ा पाई..
लिखते समय कसम 40.हजार 2012.के शिक्षक साथीयों मेरे आँखों से नीर बह रहे थे शायद सरकार तक यह पहुँच जाये तो उसको भी रोना आ जाये...…
खुद खाते है तो मात पिता भूखें ही सो जाते है.
जब देखें बहना को तो हृदय नीर बहाता है...
छोटा भाई पैसो के खातिर हम से रुठ जाता है..
एक जोडी़ कपडो़ में पूरा वर्ष बिताते है
रोजाना धोकर उसको हम रात में सुखाते है.
चप्पल इतनी घीसी हुई है .काँटे घायल करते है
नीर बहाते अश्क हमारे रात रात हम जगते है..
सोचा था अब मान मिलेगा , धन और सम्मान मिलेगा.
बीत गये 12.महीनें ना जाने कब फरमान मिलेगा..
हार गये सब दे देकर ज्ञापन हम सरकारी है
दर्द बना सीने में शोला फूँट गई चिंगारी है..
बहुत सह लिया अब तक हमने अब रण की तैयारी है
जाग उठा है शिक्षक 12..संकट आना भारी है..
शर्त राज ने जो रखी थी वो सबने की पूरी थी..
सबने की पूरी थी पूरी शर्ते ना किसी की अधूरी थी..
सोचो गर तुम कि कौन कौन हट जायेगा..
छेड़ दिया गर इस ज्वाला को राज पाट मिट जायेगा...
लोकन्तन्त्र में सभी समान है ये क्यों फिर तानाशाही है..
नेता बन कर बैठ गये शिक्षा हमसे पाई है...
अब अन्तिम विनय है हक सम्मान हमें दे दो..
12 वाले गुर्वों से बस जल्दी ही तुम
रानी जी कह दो..
गर श्राप पर उतर गये तो कमन्डल 40.हजारी है
शिक्षक से तो हर युग में दुनिया सारी हारी है..
नेता सब बन बैठो हो क्या संविधान नहीं जाने
सम कारज के लिए हक सबको है वेतन पाने..
बुरा लगा तो मुझको फाँसी पे लटका देना...
विनति है पर मात पिता यह संदेशा मत देना..
वरना उनकी हाय लगेगी जैसे दशरथ ने पाई ..
पुत्र वियोग होकर जिसने ..अन्त समय पीड़ा पाई..
लिखते समय कसम 40.हजार 2012.के शिक्षक साथीयों मेरे आँखों से नीर बह रहे थे शायद सरकार तक यह पहुँच जाये तो उसको भी रोना आ जाये...…
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