जयपुर. लोकसभा चुनाव में जिला प्रशासन ने 50 हजार से
अधिक कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई लेकिन अब तक 3 हजार से अधिक की ड्यूटी
निरस्त हो चुकी है। कर्मचारी ड्यूटी निरस्त कराने में जुटे हैं लेकिन
विभिन्न विभागों के कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो चुनाव प्रक्रिया के रंग
में रंगे हैं। चुनाव आते ही प्रशासन को इनकी जरूरत महसूस होती है और इन्हें
विशेष तौर पर बुलाया जाता है।
इनमें से कोई 20 तो कोई 25 साल से चुनाव करा रहा है। अपने-अपने प्रकोष्ठ के चुनाव कार्य में ये कर्मचारी इतने अनुभवी हो गए हैं लेकिन अफसर कहीं अटक जाएं तो इनसे राय लेते हैं। इन कर्मचारियों ने अपनी चुनाव ड्यूटी कभी निरस्त नहीं कराई। बल्कि लोकतंत्र के उत्सव में पूरी ऊर्जा से शामिल होते हैं। जयपुर कलक्ट्रेट में काम कर रहे ये कर्मचारी नजीर बन रहे हैं। राजस्थान पत्रिका ने शुक्रवार को इनमें से कुछ अनुभवी कर्मचारियों से खास बातचीत की।
पहली ही बार में काम ऐसा संभाला, हर बार बुलाए जाते हैं अंजनिकुमार शर्मा
शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक पद पर कार्यरत अंजनिकुमार शर्मा की पहली बार 1999 में कलक्ट्रेट में चुनाव ड्यूटी लगी। असहज महसूस हुआ लेकिन कतराए नहीं। चुनाव में परिवहन व्यवस्था का जिम्मा ऐसा संभाला कि अफसर हर बार चुनाव में उन्हें बुलाते रहे। पिछले 20 साल में वह 25 चुनाव में काम करने का अनुभव हासिल कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कभी भी चुनाव ड्यूटी निरस्त नहीं कराई। उनकी ड्यूटी हमेशा यातायात प्रकोष्ठ में ही लगती रही है। इसमें वह वाहनों के आवंटन, मुक्ति, भुगतान, परिवहन विभाग से वाहनों के संबंध में तालमेल आदि का काम देखते हैं। इन दिनों सुबह 10 बजे काम में जुटते हैं, जिसके बाद रात 8 बजे तक ही घर लौट पाते हैं। मतदान के लिए रोजाना 16 घंटे काम करते हैं। तीन बार कलक्टर की ओर से सम्मानित हो चुके हैं।
अनुभव के आधार पर प्राथमिकता से याद किए जाते हैं रणजीत वर्मा
बिजली विभाग में कार्यरत रणजीत वर्मा पहली बार 11 वीं लोकसभा के चुनाव में कलक्ट्री में ड्यूटी पर लगाए गए थे। तब से हर बार हर चुनाव में कार्य किया। हर बार उन्हें सेक्टर मजिस्ट्रेट प्रकोष्ठ में लगाया जाता है। विभागों में कार्यरत अधिकारियों की रिपोर्ट लेते हैं, उनकी सेक्टर-जोनल मजिस्टे्रट आदि के रूप में ड्यूटी लगवाकर तालीम दिलाने का अहम जिम्मा संभालते हैं। ढाई दशक से एक ही प्रकोष्ठ का काम देख रहे हैं। जब भी चुनाव आते हैं, अनुभव के आधार पर अफसर इन्हें ही सबसे पहले प्रकोष्ठ में बुलाते हैं। रणजीत का कहना है, अब तक एक भी चुनाव में ड्यूटी निरस्त नहीं कराई। वर्षों से ड्यूटी करते हुए साथियों से अच्छा मेल-मिलाप हो गया है। चुनाव आते ही प्रकोष्ठ में आने के लिए उन्हें फोन किए जाते हैं।
विधानसभा चुनाव में ड्यूटी पर लगे, तब से लौटकर नहीं गए सुरेन्द्र कसाना
पीडब्ल्यूडी में कार्यरत सुरेन्द्र कसाना पिछले 6 महीने से कलक्टे्रट में ही चुनाव का काम कर रहे हैं। कसाना कलक्ट्रेट में परिवहन शाखा का काम देखते हैं। सबसे पहले 2008 में उन्हें यहां लगाया गया था। तब से अब तक लगातार यही प्रकोष्ठ देख रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में ड्यूटी करने आए तो लौटकर विभाग में अब तक नहीं गए। विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए। कभी चुनाव ड्यूटी निरस्त नहीं कराई। चुनाव में वाहनों का अधिग्रहण काराना, फॉर्म तैयार, गाड़ी इंद्राज, डीजल कूपन से संबंधित जिम्मा संभालते हैं।
इनमें से कोई 20 तो कोई 25 साल से चुनाव करा रहा है। अपने-अपने प्रकोष्ठ के चुनाव कार्य में ये कर्मचारी इतने अनुभवी हो गए हैं लेकिन अफसर कहीं अटक जाएं तो इनसे राय लेते हैं। इन कर्मचारियों ने अपनी चुनाव ड्यूटी कभी निरस्त नहीं कराई। बल्कि लोकतंत्र के उत्सव में पूरी ऊर्जा से शामिल होते हैं। जयपुर कलक्ट्रेट में काम कर रहे ये कर्मचारी नजीर बन रहे हैं। राजस्थान पत्रिका ने शुक्रवार को इनमें से कुछ अनुभवी कर्मचारियों से खास बातचीत की।
पहली ही बार में काम ऐसा संभाला, हर बार बुलाए जाते हैं अंजनिकुमार शर्मा
शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक पद पर कार्यरत अंजनिकुमार शर्मा की पहली बार 1999 में कलक्ट्रेट में चुनाव ड्यूटी लगी। असहज महसूस हुआ लेकिन कतराए नहीं। चुनाव में परिवहन व्यवस्था का जिम्मा ऐसा संभाला कि अफसर हर बार चुनाव में उन्हें बुलाते रहे। पिछले 20 साल में वह 25 चुनाव में काम करने का अनुभव हासिल कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कभी भी चुनाव ड्यूटी निरस्त नहीं कराई। उनकी ड्यूटी हमेशा यातायात प्रकोष्ठ में ही लगती रही है। इसमें वह वाहनों के आवंटन, मुक्ति, भुगतान, परिवहन विभाग से वाहनों के संबंध में तालमेल आदि का काम देखते हैं। इन दिनों सुबह 10 बजे काम में जुटते हैं, जिसके बाद रात 8 बजे तक ही घर लौट पाते हैं। मतदान के लिए रोजाना 16 घंटे काम करते हैं। तीन बार कलक्टर की ओर से सम्मानित हो चुके हैं।
अनुभव के आधार पर प्राथमिकता से याद किए जाते हैं रणजीत वर्मा
बिजली विभाग में कार्यरत रणजीत वर्मा पहली बार 11 वीं लोकसभा के चुनाव में कलक्ट्री में ड्यूटी पर लगाए गए थे। तब से हर बार हर चुनाव में कार्य किया। हर बार उन्हें सेक्टर मजिस्ट्रेट प्रकोष्ठ में लगाया जाता है। विभागों में कार्यरत अधिकारियों की रिपोर्ट लेते हैं, उनकी सेक्टर-जोनल मजिस्टे्रट आदि के रूप में ड्यूटी लगवाकर तालीम दिलाने का अहम जिम्मा संभालते हैं। ढाई दशक से एक ही प्रकोष्ठ का काम देख रहे हैं। जब भी चुनाव आते हैं, अनुभव के आधार पर अफसर इन्हें ही सबसे पहले प्रकोष्ठ में बुलाते हैं। रणजीत का कहना है, अब तक एक भी चुनाव में ड्यूटी निरस्त नहीं कराई। वर्षों से ड्यूटी करते हुए साथियों से अच्छा मेल-मिलाप हो गया है। चुनाव आते ही प्रकोष्ठ में आने के लिए उन्हें फोन किए जाते हैं।
विधानसभा चुनाव में ड्यूटी पर लगे, तब से लौटकर नहीं गए सुरेन्द्र कसाना
पीडब्ल्यूडी में कार्यरत सुरेन्द्र कसाना पिछले 6 महीने से कलक्टे्रट में ही चुनाव का काम कर रहे हैं। कसाना कलक्ट्रेट में परिवहन शाखा का काम देखते हैं। सबसे पहले 2008 में उन्हें यहां लगाया गया था। तब से अब तक लगातार यही प्रकोष्ठ देख रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में ड्यूटी करने आए तो लौटकर विभाग में अब तक नहीं गए। विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए। कभी चुनाव ड्यूटी निरस्त नहीं कराई। चुनाव में वाहनों का अधिग्रहण काराना, फॉर्म तैयार, गाड़ी इंद्राज, डीजल कूपन से संबंधित जिम्मा संभालते हैं।
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